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This Article is From Jun 26, 2017

रखें विनायक चतुर्थी व्रत, होगा दुखों का अंत

पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्‍ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्‍टी चतुर्थी कहा जाता है. कहा जाता है कि इन दोनों दिनों पर जो लोग व्रत करते हैं और भगवान गणेश जी का स्‍मरण करते हैं उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं.

रखें विनायक चतुर्थी व्रत, होगा दुखों का अंत
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अमावस्‍या के बाद शुक्‍ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं.
पूर्णिमा के बाद कृष्‍ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्‍टी चतुर्थी कहा जाता है.
मोदक हैं भगवान गणेश के प्रिय.
विघ्नहर्ता गणेशजी की उपासना करने के लिए विनायक चतुर्थी व्रत किया जाता है. कहते हैं चंद्र मास में दो चतुर्थी आती है. चतुर्थी तिथि भगवान गणेश जी को समर्पित होती है. अमावस्‍या के बाद जो शुक्‍ल पक्ष की चतुर्थी आती है, उसे ही विनायक चतुर्थी कहा जाता है. वहीं पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्‍ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्‍टी चतुर्थी कहा जाता है. कहा जाता है कि इन दोनों दिनों पर जो लोग व्रत करते हैं और भगवान गणेश जी का स्‍मरण करते हैं उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं.

अगर आप इस दिन किसी कारणवश व्रत नहीं कर पा रहे हैं, तो आप गणेश जी का पूजन करने के बाद अन्‍न ग्रहण कर सकते हैं.

सभी जानते हैं कि गणेश जी को मोदक बेहद पसंद हैं, ऐसे में इस दिन प्रसाद के रूप में भगवान गणेज जी को लड्डू का भोग जरूर लगाएं.

हिंदु धर्मग्रंथों के अनुसार विनायक चतुर्थी का व्रत वे लोग रखते हैं, जो ऋद्धि-सिद्धि यानी धन, विद्या, निपुणता आदि के अभिलाषी होते हैं, जबकि संकष्टी चतुर्थी जीवन की बाधाओं का शमन (समाप्त) करने के उद्देश्य से किया जाता है. मान्यता के अनुसार इन दोनों तिथियों को श्रद्धालु रात में चन्द्रमा के उदय होने बाद उसे दूध और जल से अर्घ्य देकर और फूल, फल, मिष्टान्न आदि अर्पित कर के ही अपना उपवास तोड़ते हैं.

इस प्रकार विनायक चतुर्थी और संकष्टी चतुर्थी का व्रत तो हर महीने में होता है, लेकिन गणेश चतुर्थी केवल भादों के महीने की चतुर्थी तिथि को कहते हैं.
 

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