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1 या 2 नवंबर जानें किस दिन की जाएगी गोवर्धन पूजा, जानें सही समय, पूजा विधि और शुभयोग

हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा की जाती है, लेकिन इस बार गोवर्धन पूजा की डेट को लेकर आपको कंफ्यूजन है, तो चलिए हम आपकी इन सभी कंफ्यूजन को दूर करते हैं.

1 या 2 नवंबर जानें किस दिन की जाएगी गोवर्धन पूजा, जानें सही समय, पूजा विधि और शुभयोग
ज्योतिषों के अनुसार, गोवर्धन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त यह है.

Govardhan puja 2024: हिंदू धर्म में दीपावली (Diwali) का त्योहार 5 दिन तक मनाया जाता है, जिसकी शुरुआत धनतेरस के साथ होती है. इसके बाद रूप चौदस, दीपावली, गोवर्धन और भाई दूज का पावन त्योहार मनाया जाता है, लेकिन इस बार दीपावली की डेट को लेकर बहुत असमंजस चल रहा है. जिसके कारण आगे और पीछे के त्योहारों को लेकर भी कंफ्यूजन है, तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा (Govardhan puja) कब की जाएगी. बता दें कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण (Lord Shri Krishna) की पूजा अर्चना की जाती है, साथ ही गोवर्धन पर्वत बनाकर उसकी भी आराधना होती है. आइए जानें इसकी सही तारीख क्या है और इस दिन आप किस तरीके से पूजा अर्चना कर सकते हैं.

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गोवर्धन पूजा 2024 डेट 

हिन्दू धर्म में गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व होता है, जो हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है. कहते हैं कि इस दिन गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना की जाए तो सभी दुख और संताप दूर हो जाते हैं. इस बार गोवर्धन पूजा का पावन त्योहार 2 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा, हालांकि इसकी तिथि 1 नवंबर 2024 को शाम 6:16 को शुरू हो जाएगी और इसका समापन 2 नवंबर को रात 8:21 पर होगा, ऐसे में उदिया तिथि के अनुसार गोवर्धन पूजा का त्योहार 2 नवंबर को ही मनाया जाएगा. 

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गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त 

ज्योतिषों के अनुसार, गोवर्धन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 2 नवंबर 2024 को सुबह 6 बजे से लेकर 8:00 तक रहेगा. इसके बाद दोपहर में 3:23 से लेकर 5:35 के बीच में भी पूजा अर्चना की जा सकती है. गोवर्धन पूजा के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गोबर से गोवर्धन पर्वत और भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति बनाई जाती है, मूर्ति को फूलों और रंगों से सजाया जाता है. इसके बाद गोवर्धन पर्वत और भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना की जाती है, भगवान को फल, फूल, मिष्ठान आदि अर्पित किए जाते हैं. इस दौरान कढ़ी और अन्नकूट, चावल का भोग जरूर लगाया जाता है. इसके बाद इस दिन गाय, बैल और भगवान विश्वकर्मा की पूजा भी की जाती है, पूजा करने के बाद घर में बनाए गए गोवर्धन पर्वत की सात परिक्रमा की जाती है और आखिर में आरती करके पूजा को संपन्न किया जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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