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This Article is From Jun 15, 2018

Eid 2018: आखिर चांद देखकर ही क्यों मनाते हैं ईद, जानिए क्या है दोनों के बीच का संबंध...

ईद-उल-फ़ितर हिजरी कैलंडर (हिजरी संवत) के दसवें महीने शव्वाल यानी शव्वाल उल-मुकरर्म की पहली तारीख को मनाई जाती है.

Eid 2018: आखिर चांद देखकर ही क्यों मनाते हैं ईद, जानिए क्या है दोनों के बीच का संबंध...
Happy Eid 2018: ईद और चांद का खास कनेक्शन
नई दिल्ली: जब भी ईद की बात होती है, तो सबसे पहले जिक्र आता है EID के चांद का. ईद का चांद रमजान के 30वें रोज़े के बाद ही दिखता है. इस चांद को देखकर ही ईद मनाई जाती है. गौरतलब है कि हिजरी कैलेण्डर जो एक इस्लामिक कैलेण्डर है, के अनुसार ईद साल में दो बार आती है. एक EID ईद-उल-फितर के तौर पर मनाई जाती है जबकि दूसरी को कहा जाता है ईद-उल-जुहा. ईद-उल-फितर को महज ईद भी कहा जाता है. इसके अलावा इसे मीठी ईद भी कहते हैं. जबकि ईद-उल-जुहा को बकरीद के नाम से भी जाना जाता है. EID के बारे में जानने से पहले यह जानना ज्यादा जरूरी है कि आखिर ईद किस दिन मनाते हैं. आपको  बता दें की ईद उसी दिन मनाई जाती है जिस दिन चांद नजर आता है. यही वजह है कि कई बार एक ही देश में अलग-अलग दिन ईद मनाई जा सकती है. जहां चांद पहले देखा जाता है वहां ईद पहले मन जाती है. इस बात से यह तो साफ होता है कि ईद और चांद के बीच कुछ खास रिश्ता है. दिल्ली के जामा मस्जिद के अनुसार इस साल शनिवार को मनाई जाएगी ईद. आइए आज आपको बताते हैं कि ईद और चांद के बीच है क्या स्पेशल कनेक्शन. 

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ईद और चांद का खास कनेक्शन
ईद-उल-फ़ितर हिजरी कैलंडर (हिजरी संवत) के दसवें महीने शव्वाल यानी शव्वाल उल-मुकरर्म की पहली तारीख को मनाई जाती है. अब समझने वाली बात यह भी है कि हिजरी कैलेण्डर की शुरुआत इस्लाम की एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक घटना से मानी जाती है. वह घटना है हज़रत मुहम्मद द्वारा मक्का शहर से मदीना की ओर हिज्ऱत करने की यानी जब हज़रत मुहम्मद ने मक्का छोड़ कर मदीना के लिए कूच किया था.

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हिजरी संवत जिस हिजरी कैलेण्डर का हिस्सा है वह चांद पर आधारित कैलेण्डर है. इस कैलेण्डर में हर महीना नया चांद देखकर ही शुरू माना जाता है. ठीक इसी तर्ज पर शव्वाल महीना भी ‘नया चांद’ देख कर ही शुरू होता है. और हिजरी कैलेण्डर के मुताबिक रमजान के बाद आने वाला महीना होता है शव्वाल. ऐसे में जब तक शव्वाल का पहला चांद नजर नहीं आता रमजान के महीने को पूरा नहीं माना जाता.

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शव्वाल का चांद नजर न आने पर माना जाता है कि रमजान का महीना मुकम्मल होने में कमी है. इसी वजह से ईद अगले दिन या जब भी चांद नजर आए तब मनाई जाती है.

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