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This Article is From Jul 02, 2020

COVID-19: इस साल सावन में नहीं होगी कांवड़ यात्रा, राज्यों को हरिद्वार से कलशों में भरकर भेजा जाएगा गंगाजल

हरिद्वार में हर साल कांवड़ियों के रूप में आने वाले शिवभक्तों के लिए उनके निवास स्थानों के पास स्थित प्रमुख मंदिरों और शिवालयों में पवित्र गंगाजल की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी.

COVID-19: इस साल सावन में नहीं होगी कांवड़ यात्रा, राज्यों को हरिद्वार से कलशों में भरकर भेजा जाएगा गंगाजल
कोविड-19 के चलते नहीं किया जाएगा कांवड़ यात्रा का आयोजन.
नई दिल्ली:

कोविड-19 महामारी (COVID-19 Pandemic) से उत्पन्न परिस्थितियों के कारण इस वर्ष रद्द की गयी वार्षिक कांवड़ (Kanwar) यात्रा के मद्देनजर उत्तराखंड सरकार (Uttrakhand Government) हरिद्वार (Haridwar) में 'हर की पौड़ी' से पीतल के कलशों में गंगाजल भरकर सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भेजेगी जहां से हर साल बड़ी संख्या में शिवभक्त आते हैं.

उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री एवं राज्य सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक ने संवाददाताओं से कहा कि सभी राज्यों (जहां से कांवड़िया आते हैं) के मुख्यमंत्रियों द्वारा कोविड-19 (COVID-19) के कारण इस साल कांवड़ यात्रा का आयोजन करने में असमर्थता व्यक्त किए जाने के बाद हरिद्वार से पवित्र गंगाजल से भरे हुए कलशों को इन राज्यों में पहुंचाने का निर्णय लिया गया है.

उन्होंने कहा कि 'हर की पौड़ी' में पवित्र गंगाजल से भरे बड़े कलशों को ट्रकों में रखा जाएगा और शिवभक्त कांवड़ियों के बीच वितरण के लिए राज्यों के मुख्यमंत्रियों, केंद्रशासित प्रदेशों के उपराज्यपालों और मंत्रियों को भेजा जाएगा. कौशिक ने कहा, ''उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री इस बात पर सहमत हुए हैं कि पारंपरिक कांवड़ यात्रा इस साल संभव नहीं है और इसलिए हमने हरिद्वार से गंगाजल को पीतल के बड़े कलशों में इन राज्यों में ट्रकों से भेजने का फैसला किया है."

उन्होंने कहा कि हरिद्वार में हर साल कांवड़ियों के रूप में आने वाले शिवभक्तों के लिए उनके निवास स्थानों के पास स्थित प्रमुख मंदिरों और शिवालयों में पवित्र गंगाजल की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी.

कौशिक ने कहा कि राज्य सरकार की तरफ से गंगाजल अन्य राज्यों को भेजे जाने का संदेश यह है कि कोविड -19 महामारी के कारण हरिद्वार में कांवड़ यात्रा नहीं हो पा रही है और इसके पीछे ''आस्था या इरादे की कमी'' जैसा अन्य कोई कारण नहीं है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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