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This Article is From Nov 19, 2023

'कांच ही बास के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए' गीत गाते हुए पहुंचे घाट, प्रसन्न होंगी छठी मैया, ये हैं खास परंपरागत छठ गीत

Chhath Puja 2023 Folk Songs: छठ में जितना ज्यादा प्रसाद और पूजा का महत्तव है उतना ही इसके पौराणिक गीतों की महिमा है. आइए आपको बताते हैं कुछ परंपरागत गीत, जिन्हें आप इस बार गा कर सकती हैं मैया की पूजा.

'कांच ही बास के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए' गीत गाते हुए पहुंचे घाट, प्रसन्न होंगी छठी मैया, ये हैं खास परंपरागत छठ गीत
Traditional Chhath Songs: ये हैं कुछ परंपरागत छठ के गीत

अंकित श्वेताभ: छठ पूजा (Chhath Puja) हिन्दू लोक आस्था का महापर्व है. ये हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. इस साल छठ 17 नवंबर 2023 से 20 नवंबर 2023 तक छठ पर्व है. ये पर्व देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध है. बिहार-झारखण्ड (Bihar-Jharkhand) में छठ बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता हैं. लोग इस पर्व की तैयारी महीनों पहले से शुरू कर देते हैं. हिन्दी (Hindi) और भोजपूरी (Bhojpuri) में वैसे तो छठ के कई गाने और गीत है, लेकिन कुछ ऐसे गीत हैं जिनके बिना छठ का पर्व अधुरा माना जाता है. आइए आपको बताते हैं इन परंपरागत गीतों के बारे में.

छठ के परंपरागत गीत (Traditional Songs of Chhath Puja)

1. पहिले पहिल हम कईनी,छठी मईया व्रत तोहार।

करिsह क्षमा छठी मईया,भूल-चूक गलती हमार।

सबsके बलकवा के दिहा,छठी मईया ममता-दुलार।

पिया के सनेहिया बनइहा,मईया दिह सुख-सार।

नारियल-केरवा घउदवा,साजल नदिया किनार।

सुनि ह अरज छठी मईया,बढ़े कुल-परिवार।

घाट सजवनी मनोहर,मईया तोरा भगती अपार।

लिहीं अरग हे मईया,दिहीं आशीष हजार।

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2. ऊ जे केरवा जे फरेला खवद से

ओह पर सुगा मेड़राए।

मारबो रे सुगवा धनुख से,

सुगा गिरे मुरझाए।

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से,

आदित होई ना सहाय।

ऊ जे नारियर जे फरेला घवद से,

ओह पर सुगा मेड़राए।

मारबो रे सुगवा धनुख से,

सुगा गिरे मुरझाए।

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से,

आदित होई ना सहाय।

अमरुदवा जे फरेला घवद से,

ओह पर सुगा मेड़राए।

मारबो रे सुगवा धनुख से,

सुगा गिरे मुरझाए।

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से,

आदित होई ना सहाय।

शरीफवा जे फरेला घवद से,

ओह पर सुगा मेड़राए।

मारबो रे सुगवा धनुख से,

सुगा गिरे मुरझाए।

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से,

आदित होई ना सहाय।

ऊ जे सेववा जे फरेला घवद से,

ओह पर सुगा मेड़राए।

मारबो रे सुगवा धनुख से,

सुगा गिरे मुरझाए।

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3. कांच ही बास के बहंगिया,बहंगी लचकत जाए,

बहंगी लचकत जाए।

पेन्ही न पिया जी पियरिया,दउरा घाटे पहुचाये,

दउरा घाटे पहुचाये।

कांच ही बास के बहंगिया,बहंगी लचकत जाए ,

बहंगी लचकत जाए।

पेन्ही न पिया जी पियरिया,दउरा घाटे पहुचाये,

दउरा घाटे पहुचाये।

दउरा में सजल बाटे फल फलहरिया,

पियरे पियर रंग शोभे ला डगरिया। (2)

जेकर जाग जाला भगिया,उह्हे छठ घाटे आये,

पेन्ही न पिया जी पियरिया,दउरा घाटे पहुचाये।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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