प्रतीकात्मक चित्र
इंडोनेशिया में आज भी अनेक हिन्दू मंदिर ऐसे हैं, जिनका रहस्य दुनिया को नहीं पता है। ऐसे ही सदियों पुराने एक हिन्दू मंदिर में हाल में कुछ विस्मयकारी अवशेष प्राप्त हुए हैं, जिसमें शताब्दियों पुराना एक शिवलिंग मिला है। यह मंदिर इस देश के जावा द्वीप में स्थित है।
सदियों बाद भी सूखा नहीं है द्रव...
यह शिवलिंग स्फटिक (क्रिस्टल) से बना है, जिसमें पानी की तरह का कोई तरल पदार्थ भरा हुआ है। घोर आश्चर्य की बात यह है कि इसके अंदर भरा हुआ यह तरल सदियां बीत जाने पर भी सूखा नहीं है।
क्या पवित्र दैवी द्रव है यह तरल पदार्थ...
कंडी सुकुह नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर में प्राप्त शिवलिंग के इस तरल पदार्थ को लेकर इंडोनेशिया के जावा द्वीप के स्थानीय लोगों की मानना है कि यह तरल पदार्थ एक पवित्र दैवी द्रव है। जबकि पुरातत्वशास्त्रियों का मानना है इस शिवलिंग में न सूखने वाले इस तरल या पानी के पीछे कोई ठोस वैज्ञानिक कारण हो सकता है, जो अभी ज्ञात नहीं हो पाया है।
स्थानीय लोग बता रहे हैं इसे अमृत...
लेकिन यहां के स्थानीय लोग पुरातत्वविदों से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि यह तरल कुछ और नहीं बल्कि अमृत है, कई लोग इसे समुद्र में किए अमृत मंथन से निकला अमृत बता रहे हैं।
ऐसे चला पता इस शिवलिंग का...
इस शिवलिंग का पता तब चला जब इस मंदिर के उत्खनन से प्राप्त बेशकीमती कलाकृतियों को इंडोनेशिया के राष्ट्रीय संग्रहालय में स्थानांतरित किया जा रहा था। जिसमें से एक यह बेहद सुन्दर क्रिस्टल शिवलिंग, जो एक पीतल के बर्तन के भीतर सुरक्षित रखा गया था, प्राप्त हुआ। आश्चर्यजनक यह कि इस बर्तन में जो द्रव भरा हुआ था, वो कई सदियां बीत जाने के बाद भी सूखा नहीं है।
सदियों बाद भी सूखा नहीं है द्रव...
यह शिवलिंग स्फटिक (क्रिस्टल) से बना है, जिसमें पानी की तरह का कोई तरल पदार्थ भरा हुआ है। घोर आश्चर्य की बात यह है कि इसके अंदर भरा हुआ यह तरल सदियां बीत जाने पर भी सूखा नहीं है।
क्या पवित्र दैवी द्रव है यह तरल पदार्थ...
कंडी सुकुह नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर में प्राप्त शिवलिंग के इस तरल पदार्थ को लेकर इंडोनेशिया के जावा द्वीप के स्थानीय लोगों की मानना है कि यह तरल पदार्थ एक पवित्र दैवी द्रव है। जबकि पुरातत्वशास्त्रियों का मानना है इस शिवलिंग में न सूखने वाले इस तरल या पानी के पीछे कोई ठोस वैज्ञानिक कारण हो सकता है, जो अभी ज्ञात नहीं हो पाया है।
स्थानीय लोग बता रहे हैं इसे अमृत...
लेकिन यहां के स्थानीय लोग पुरातत्वविदों से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि यह तरल कुछ और नहीं बल्कि अमृत है, कई लोग इसे समुद्र में किए अमृत मंथन से निकला अमृत बता रहे हैं।
ऐसे चला पता इस शिवलिंग का...
इस शिवलिंग का पता तब चला जब इस मंदिर के उत्खनन से प्राप्त बेशकीमती कलाकृतियों को इंडोनेशिया के राष्ट्रीय संग्रहालय में स्थानांतरित किया जा रहा था। जिसमें से एक यह बेहद सुन्दर क्रिस्टल शिवलिंग, जो एक पीतल के बर्तन के भीतर सुरक्षित रखा गया था, प्राप्त हुआ। आश्चर्यजनक यह कि इस बर्तन में जो द्रव भरा हुआ था, वो कई सदियां बीत जाने के बाद भी सूखा नहीं है।
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