विज्ञापन

Bhaum Pradosh Vrat: आज है भौम प्रदोष व्रत, जानिए किस विधि से करें महादेव की पूजा

Pradosh Vrat Puja: प्रदोष व्रत पर भगवान शिव की पूरे मनोभाव से पूजा-आराधना की जाती है. ऐसे में यहां पढ़ें प्रदोष व्रत की पूजा विधि और शिव मंत्र. 

Bhaum Pradosh Vrat: आज है भौम प्रदोष व्रत, जानिए किस विधि से करें महादेव की पूजा
Bhaum Pradosh Vrat Puja Vidhi: मंगलवार के दिन पड़ने के चलते इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है.  

Bhaum Pradosh Vrat 2025: हर माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है. प्रदोष व्रत पर मान्यतानुसार भगवान शिव की पूजा की जाती है. कहते हैं भक्त यदि पूरे मनोभाव से भोलेनाथ का पूजन करें तो उन्हें भगवान शिव की कृपा मिलती है, आरोग्य का वरदान मिलता है और जीवन में खुशहाली आती है. पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि आज दोपहर 12 बजकर 47 मिनट पर शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन 26 फरवरी सुबह 11 बजकर 08 मिनट पर हो जाएगा. प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल (Pradosh Kaal) में की जाती है इस चलते प्रदोष व्रत आज 25 फरवरी, मंगलवार के दिन रखा जा रहा है. मंगलवार के दिन पड़ने के चलते इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है. यहां जानिए इस दिन प्रदोष व्रत पर भगवान शिव की पूजा किस तरह की जा सकती है. 

शिवरात्रि पर चढ़ाया जाता है बेलपत्र, लेकिन जान लें बेलपत्र कब तोड़ना चाहिए और कब नहीं

भौम प्रदोष व्रत की पूजा | Bhaum Pradosh Vrat Puja 

प्रदोष व्रत पर शाम 6 बजकर 18 मिनट से रात 8 बजकर 49 मिनट के बीच पूजा संपन्न की जा सकती है. प्रदोष व्रत की पूजा यूं तो रात के समय की जाती है लेकिन सुबह उठकर स्नान पश्चात प्रदोष व्रत का संकल्प लिया जाता है. इसके बाद सुबह ही मंदिर में जाकर भगवान शिव (Lord Shiva) का आशीर्वाद लेते हैं. 

रात में प्रदोष व्रत की पूजा में दूध, दही, घी और शक्कर से भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है. पूजा में गंगाजल से भी अभिषेक करते हैं. भोलेनाथ को तिलक, चंदन और भस्म लगाकर उनके समक्ष बेलपत्र, फल और फूल अर्पित किए जाते हैं. दीप और धूप जलाने के बाद आरती की जाती है. महादेव को भोग में खीर, दही और सूजी का हलवा चढ़ाया जाता है. इसके पश्चात शिव मंत्रों का जाप करके पूजा का समापन होता है. 

प्रदोष व्रत पर शिव मंत्रों का जाप 

ॐ नमः शिवाय।
नमो नीलकण्ठाय।
ॐ पार्वतीपतये नमः।
ऊर्ध्व भू फट्।
इं क्षं मं औं अं।
ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।
ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा।
प्रौं ह्रीं ठः।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे: