प्रतीकात्मक चित्र
जब प्राकृतिक आपदाएं आती हैं, तो केवल इंसानों के ही नहीं बल्कि देवताओं के रिहाइश पर भी संकट आ जाता है। ऐसी ही नौबत उत्तराखंड के गढ़वाल में तब आयी जब अलकनन्दा नदी के भूकटाव की जद एक पौराणिक हनुमान मंदिर में आ गया।
लेकिन जानमाल के नुकसान से बचने के लिए यहां से शिफ्ट कर रहे लोग अपने इष्ट देवता को शिफ्ट करना नहीं भूले। खबर है कि गढ़वाल से कुछ दूर स्थित फरासू में अलकनन्दा के भूकटाव की जद में आए पौराणिक हनुमान मंदिर को ढहने से पहले ही शिफ्ट कर दिया गया।
उल्लेखनीय है कि यहां की एक जलविद्युत परियोजना बांध की झील में आ रहे अलकनन्दा नदी के तेज बहाव से इस पौराणिक हनुमान मंदिर के नीचे लगे पुश्त ढहने के कगार पर आ गए थे। इस वजह से मंदिर कभी भी नदी के तेज बहाव में कट कर धराशायी हो सकता था।
लेकिन यहां के स्थानीय निवासियों ने 10 घंटे की मशक्कत के बाद मंदिर के गर्भस्थल को तोड़कर हनुमानजी की प्रतिमा को बाहर निकाला। वर्तमान में स्थायी व्यवस्था होने तक वह प्रतिमा फरासू गांव से गुजर रहे बद्रीनाथ हाईवे के किनारे अस्थायी मंदिर में रखा गया है।
एक ग्रामीण ने बताया कि हनुमानजी के इस प्रकार शिफ्ट होने से यहां के लोग दुखी हैं, वर्ष 2013 की आपदा में भी इस मंदिर को ऐसा खतरा नहीं हुआ कि उसे शिफ्ट करना पड़े। उसने यह भी बताया कि जब तक प्रतिमा शिफ्ट नहीं हो गई, तब तक मंदिर शिफ्टिंग के कार्य में लगे लोगों की हौसला-अफजाई के लिए मंदिर परिसर में श्रद्धालु भजन-कीर्तन करते रहे।
लेकिन जानमाल के नुकसान से बचने के लिए यहां से शिफ्ट कर रहे लोग अपने इष्ट देवता को शिफ्ट करना नहीं भूले। खबर है कि गढ़वाल से कुछ दूर स्थित फरासू में अलकनन्दा के भूकटाव की जद में आए पौराणिक हनुमान मंदिर को ढहने से पहले ही शिफ्ट कर दिया गया।
उल्लेखनीय है कि यहां की एक जलविद्युत परियोजना बांध की झील में आ रहे अलकनन्दा नदी के तेज बहाव से इस पौराणिक हनुमान मंदिर के नीचे लगे पुश्त ढहने के कगार पर आ गए थे। इस वजह से मंदिर कभी भी नदी के तेज बहाव में कट कर धराशायी हो सकता था।
लेकिन यहां के स्थानीय निवासियों ने 10 घंटे की मशक्कत के बाद मंदिर के गर्भस्थल को तोड़कर हनुमानजी की प्रतिमा को बाहर निकाला। वर्तमान में स्थायी व्यवस्था होने तक वह प्रतिमा फरासू गांव से गुजर रहे बद्रीनाथ हाईवे के किनारे अस्थायी मंदिर में रखा गया है।
एक ग्रामीण ने बताया कि हनुमानजी के इस प्रकार शिफ्ट होने से यहां के लोग दुखी हैं, वर्ष 2013 की आपदा में भी इस मंदिर को ऐसा खतरा नहीं हुआ कि उसे शिफ्ट करना पड़े। उसने यह भी बताया कि जब तक प्रतिमा शिफ्ट नहीं हो गई, तब तक मंदिर शिफ्टिंग के कार्य में लगे लोगों की हौसला-अफजाई के लिए मंदिर परिसर में श्रद्धालु भजन-कीर्तन करते रहे।
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