लोकसभा चुनाव में विभिन्न राजनीतिक दलों के केंद्र में सत्ता हासिल करने की जद्दोजहद के बीच शत्रुघ्न सिन्हा, राज बब्बर, हेमा मालिनी के साथ अभिनय से राजनीति में कदम रखने वाली किरण खेर, गुल पनाग, मुनमुन सेन जैसे कलाकार सत्ता की दौड़ में ग्लैमर का तड़का लगा रहे हैं।
फिल्मी कलाकारों का राजनीति में कदम रखना कोई नई बात नहीं है, लेकिन दक्षिण भारत की तुलना में उत्तर भारत में यह चलन सफल नहीं रहा है।
तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के लोगों में फिल्मी कलाकारों के प्रति जबरदस्त आकर्षण देखा गया है और इन प्रदेशों के लोगों ने एनटी रामाराव और एमजी रामचंद्रन जैसे फिल्मी दुनिया के शीर्ष कलाकारों को सत्ता की कुंजी सौंपी भी, लेकिन अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, धर्मेंद्र और गोविंदा राजनीति में आए, लेकिन बीच में ही इसे छोड़ गए।
इस चुनाव में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सितारों की जबर्दस्त संख्या क्या अपना जलवा दिखा पाती है और राजनीति में प्रभाव छोड़ पाती है?
इस बार आम चुनाव में चंडीगढ़ से मुकाबला काफी दिलचस्प बन गया है, जहां से गुल पनाग आम आदमी पार्टी (आप) से चुनाव लड़ रही हैं, जबकि भारतीय जनता पार्टी ने जानी-मानी अदाकारा किरण खेर को मुकाबले में उतारा है। युवाओं में गुल पनाग की अपील को देखते हुए 'आप' ने उन्हें चंडीगढ़ से चुनाव में उतारा था, लेकिन किरण खेर को खड़ा करके भाजपा ने चुनावी समीकरण बदल दिया है। इन दोनों कलाकारों के बीच पूर्व रेल मंत्री और इस सीट से वर्तमान सांसद पवन कुमार बंसल कांग्रेस के टिकट पर मैदान में है।
अन्ना आंदोलन के दौरान अरविंद केजरीवाल से सहानुभूति रखने वालों में बॉलीवुड के काफी कलाकार थे, लेकिन उनके राजनीति में कदम रखने के बाद इनमें से कई अलग हो गए। फिल्मी कलाकारों के क्षेत्रीय प्रभाव को देखते हुए कांग्रेस ने जौनपुर से रवि किशन, मेरठ से अभिनेत्री नगमा और गाजियाबाद से जाने-माने अभिनेता राज बब्बर को चुनाव में उतारा है।
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा ने पटना साहिब से शत्रुघ्न सिन्हा, मथुरा से हेमा मालिनी के अलावा अहमदाबाद पूर्व से परेश रावल, बीरभूम से जॉय बनर्जी, आसनसोल से बाबुल सुप्रियो को चुनावी समर में उतारा है। ममता बनर्जी के नेतृत्व वाले तृणमूल कांग्रेस ने बांकुरा से मुनमुन सेन, मिदनापुर से संध्या सेना, नई दिल्ली से विश्वजीत के अलावा घाटल से सुपरस्टार देव और गायक सौमित्र राय और इंद्रनील सेन को उतारा है।
रवि किशन ने पीटीआई से कहा, फिल्म कलाकार भी मनुष्य ही होते हैं। हम सामाजिक समस्याओं पर फिल्में करते है और समाज में योगदान देना चाहते हैं। फिर भी हमें राजनीति में गहरे जांच परख से गुजरना पड़ता है, इसलिए कई कलाकार राजनीति छोड़ देते हैं। उन्हें बाहरी लोगों की तरह बर्ताव किया जाता है। रवि किशन ने इस बात से असहमति व्यक्त की कि फिल्मी कलाकार राजनीति में अच्छा प्रदर्शन नहीं करते।
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