
भारत के आम चुनावों में नरेंद्र मोदी को मिली जबरदस्त जीत के कारण उन पश्चिमी ताकतों के समक्ष एक ऐसा अरुचिकर काम आ गया है, जिन्होंने वर्षों से इस हिन्दू राष्ट्रवादी नेता को त्याग रखा था। हालांकि पश्चिमी देश भारत को अपना महत्वपूर्ण भागीदार भी मानते हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और अन्य पश्चिमी नेताओं ने मोदी और भारतीय जनता पार्टी को आम चुनावों में मिली जबरदस्त जीत के बाद देश के संभावित प्रधानमंत्री को फोन कर बधाई दी और विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के साथ साझा हित होने की बात पर जोर दिया।
पश्चिम की कई सरकारों ने गुजरात में 2002 के दंगों के चलते हाल तक मोदी के साथ कोई भी संबंध रखने से परहेज किया था। अमेरिका ने तो 2005 में मानवाधिकार आधार पर उन्हें वीजा देने से ही इनकार कर दिया था।
कार्नेगी एंडोमेंट फार इंटरनेशनल पीस के मिलन वैष्णव ने कहा कि अमेरिकी अधिकारी इस 'इस दुखदायी बात से अवगत है कि मोदी के साथ संबंध नहीं होने या उन्हें ढंग से नहीं जानने के कारण वह वास्तव में नुकसान में हैं।'
उन्होंने कहा कि वे इसका जल्द से जल्द 'उपचार' करने का प्रयास करेंगे।
मोदी के जीतने के जैसे ही संकेत आने शुरू हुए अमेरिका ने अपने रुख को तेजी से बदलना शुरू कर दिया। भारत में अमेरिका की निवर्तमान राजदूत नैंसी पावेल ने फरवरी में मोदी से मुलाकात की। अमेरिकी विदेश विभाग ने भी यह स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री के रूप में उनके साथ कोई वीजा समस्या नहीं होगी।
अन्य पश्चिमी देशों ने भी मोदी से मेलजोल बढ़ाने की तेज पहल की। चुनाव से काफी पहले ही ब्रिटिश और फ्रांसीसी राजदूतों ने उसने मुलाकात की थी।
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