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आसान सवालों के जवाब दो और पैसे कमाओ.. Probo ऐप के गोरखधंधे पर ईडी का वार, 284 करोड़ फ्रीज किए

Probo ऐप को एक ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म के रूप में प्रचारित किया जाता है लेकिन जांच में खुलासा हुआ कि यह ऐप लोगों को “हां या ना” वाले सवालों पर पैसे लगाने के लिए लालच देकर जुए और सट्टेबाजी के लिए उकसाता है. यह एक सट्टेबाजी स्कीम थी

आसान सवालों के जवाब दो और पैसे कमाओ.. Probo ऐप के गोरखधंधे पर ईडी का वार, 284 करोड़ फ्रीज किए
  • ईडी ने हरियाणा के गुरुग्राम और जींद में प्रोबो मीडिया कंपनी और इसके प्रमोटर्स के ठिकानों पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में छापेमारी की.
  • जांच में पता चला कि प्रोबो ऐप ऑनलाइन गेमिंग के नाम पर लोगों को "हां या ना" वाले सवालों पर पैसे लगाने के लिए उकसाता था, जो असल में जुआ है.
  • प्रोबो कंपनी ने विदेशी कंपनियों से बड़ी रकम जुटाई थी. ईडी ने 284.5 करोड़ रुपये की संपत्ति फ्रीज कर तीन बैंक लॉकर भी सील कर दिए हैं.
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गुरुग्राम:

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने हरियाणा के गुरुग्राम और जींद में प्रोबो मीडिया (Probo Media) टेक्नोलोजीज प्राइवेट लिमिटेड और इसके प्रमोटर्स सचिन सुभाष चंद्र गुप्ता और आशीष गर्ग के ठिकानों पर छापेमारी की है. मनी लॉन्ड्रिंग (PMLA) एक्ट के तहत की गई इस कार्रवाई से ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुए के गैरकानूनी रैकेट का पर्दाफाश हुआ है. ईडी ने कंपनी की Probo ऐप और वेबसाइट के जरिए देशभर में चल रही अवैध गतिविधियों को टारगेट किया है. इस कार्रवाई के तहत 284.5 करोड़ रुपये की संपत्ति फ्रीज की गई है. 

हां या ना के सवालों से ललचाते थे

Probo ऐप को एक ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म के रूप में प्रचारित किया जाता है लेकिन जांच में खुलासा हुआ कि यह ऐप लोगों को “हां या ना” वाले सवालों पर पैसे लगाने के लिए लालच देकर जुए और सट्टेबाजी के लिए उकसाता है. शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि उन्हें साधारण सवालों के जवाब देकर मुनाफा कमाने का झांसा दिया गया लेकिन असल में यह एक सट्टेबाजी स्कीम थी. इसके चलते कई यूजर्स ने भारी नुकसान उठाया क्योंकि ज्यादा मुनाफे के लालच में वे बार-बार पैसे लगाते रहे. 

जुए-सट्टेबाजी का खेल, स्किल गेमिंग नहीं

ईडी ने गुरुग्राम, पलवल और आगरा में दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की थी.  जांच में सामने आया कि प्रोबो खुद को "ओपिनियन ट्रेडिंग" यानी विचार आधारित खेल बताता है लेकिन इस खेल की सच्चाई ये है कि इसमें हर सवाल का जवाब केवल "हां" या "ना" में होता है. यानी सिर्फ दो नतीजे संभव हैं, जिससे ये सीधे तौर पर जुए और सट्टेबाज़ी की कैटेगरी में आता है न कि स्किल बेस्ड गेमिंग की श्रेणी में.

नाबालिगों को रोकने का कोई इंतजाम नहीं

ईडी को छापेमारी के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल डेटा मिला है. जांच में ये भी सामने आया कि ऐप में नाबालिगों के लिए कोई रोकटोक नहीं थी. यूजर्स का KYC नहीं किया जा रहा था. भ्रामक विज्ञापनों के ज़रिए नए लोगों को जोड़ा जाता था. ऐप पर चुनाव नतीजों से जुड़े सवालों पर भी सट्टेबाज़ी कराई जाती थी. 

जांच में यह भी पता चला कि कंपनी ने मॉरीशस, केमैन आइलैंड समेत कई विदेशी कंपनियों से प्रेफरेंस शेयर के ज़रिए 134.84 करोड़ रुपये जुटाए. छापेमारी में ईडी ने 284.5 करोड़ रुपये की एफडी और शेयरों में किए गए निवेश को फ्रीज कर दिया है. इसके अलावा तीन बैंक लॉकर भी सील किए गए हैं. 
 

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