दिल्ली विधानसभा चुनाव में अलग-अलग तरह के उम्मीदवार मैदान में हैं - किन्नर, फूलवाला और चायवाले से लेकर बुक बाइंडिंग का काम करने वाला - हर कोई व्यवस्था से खफा है, इसलिए चुनावी अखाड़े में कूदने की जरूरत महसूस हुई।
सुल्तान माजरा सीट से इंडियन समाजवादी शक्ति पार्टी की उम्मीदवार एक किन्नर हैं। पिछली बार भी इसी पार्टी ने मंगोलपुरी सीट से रमेश लिली किन्नर को अपना उम्मीदवार बनाया था, लेकिन वह महज 550 लोगों की ही पसंद बन पाई थीं। लिली कहती हैं कि जब एक शिखंडी छह-छह धुरंधरों पर भारी पड़ सकता है तो मैं क्यों नहीं।
फूल बेचने वाले शिवकुमार तिवारी शिवसेना की टिकट पर नई दिल्ली सीट से चुनावी अखाड़े में हैं। वह अनोखे अंदाज में ऊंट की सवारी करते हुए नामांकन भरने गए। लेकिन यह दूसरा मौका है, जब वह चुनाव लड़ रहे हैं। पिछली बार वह हिन्दू महासभा की टिकट पर मैदान में थे, लेकिन अंतिम वक्त में शीला दीक्षित को समर्थन दे दिया था। शिवकुमार तिवारी के हौसले इतने बुलंद हैं कि कहा, अभी चुनाव से पहले बात कर रहे हैं, जीतने के बाद भी हम बात करेंगे।
चाय बेचने वाले बलराम बारी लोकसभा, विधानसभा और निगम चुनाव मिलाकर 18 बार शिकस्त खा चुके हैं, लेकिन हिम्मत अब तक पस्त नहीं हुई है और इस बार फिर चांदनी चौक सीट से निर्दलीय के रूप में मैदान में हैं। बलराम कहते हैं कि मोहम्मद गौरी 17 बार हार नहीं माना तो फिर अभी तो मेरा 19वां ही मौका है। बलराम बारी वर्ष 1989 से चुनाव लड़ते आ रहे हैं। लोकसभा में अब तक सबसे कम 15 वोट और विधानसभा में 86 वोट मिले हैं। पिछले विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में अब तक वोट पाने का सारे रिकॉर्ड टूट गए थे, और उन्हें लोकसभा चुनाव में 632 और विधानसभा चुनाव में 336 वोट हासिल हुए, जो अब तक उन्हें एक चुनाव में मिले सबसे ज्यादा वोट हैं।
बल्लीमारान सीट से बहुजन मुक्ति पार्टी के उम्मीदवार राजेश कुमार उर्फ प्रजापति बुक बाइंडिंग और प्रिंटिंग का काम करते हैं। वह पहली बार चुनावी मैदान में हैं, लेकिन उनकी पार्टी ने लोकसभा चुनाव में 419 उम्मीदवार खड़े किए थे, जबकि विधानसभा चुनाव में महज सात हैं। प्रजापति कहते हैं हिम्मत और हौसले के दम पर ही चुनावी मैदान में हैं और टक्कर देंगे।
कहते हैं - "गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में, वो तिफ्ल क्या गिरेंगे, जो घुटनों के बल चलें..." लिहाजा ये उम्मीदवार चुनावी अखाड़े में दो-दो हाथ करने के लिए तैयार हैं। किस्मत साथ दे या न दे, लेकिन इनका हिम्मत और हौसला इनके साथ है।
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