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This Article is From Sep 15, 2014

महाराष्ट्र में सीट बंटवारे को लेकर गठबंधनों में खींचतान

महाराष्ट्र में सीट बंटवारे को लेकर गठबंधनों में खींचतान
फाइल फोटो
नई दिल्ली:

महाराष्ट्र में 25 साल पुराना बीजेपी−शिवसेना और दूसरा 15 साल पुराना कांग्रेस−एनसीपी गठबंधन डगमगा रहा है। राज्य में 15 अक्टूबर को वोट पड़ने है, लेकिन अब तक गठबंधन सहयोगियों में सीटों का बटवारा नहीं हुआ है।

बीजेपी इस बार 288 विधानसभा सीटों में से  135 सीटें चाह रही है। वहीं शिवसेना पहले की तरह सिर्फ 119 देने को तैयार है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने पहली बार साफ और स्पष्ट कह दिया है कि इतनी सीटें नहीं दे सकते। दोनों गठबंधनो में सीटों को लेकर मतभेद तो है ही, मुख्यमंत्री पद को लेकर भी कड़ुवाहट है।

आज बीजेपी के महाराष्ट्र प्रभारी राजीव प्रताप रूडी और उद्धव ठाकरे की बैठक होनी थी, जो नहीं हुई। इस बार शिवसेना मुख्यमंत्री पद चाहती है। उद्धव ठकरे अपने लिए ये पद चाहते हैं।

महाराष्ट्र में शिवसेना को बीजेपी का बड़ा भाई माना गया, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। साल 2009 के चुनावों में बीजेपी ने शिवसेना से ज्यादा सीटें हासिल की। बीजेपी ने 119 में से 46 सीटें जीतीं, तो वहीं 160 सीटों पर लड़ी शिवसेना ने 44 पर जीत दर्ज किया। इस वजह से लीडर ऑफ अॅपोजिशन का पद भी बीजेपी को गया।

अब केंद्र में बीजेपी की सरकार है। नरेंद्र मोदी की लहर है। ऐसे में बीजेपी महाराष्ट्र में अपनी भूमिका बदलना चाहती है। कुछ दिनों पहले उद्धव ठाकरे के बुलावे पर ही अमित शाह उनसे मिलने पंहुचे थे, खुद से नहीं गए थे।

ये साफ है कि बीजेपी को गोपीनाथ मुंडे के गुजरने का बड़ा झटका लगा था। बीजेपी उन्हें सीएम कैनडिडेट की तरह प्रोजेक्ट करना चाह रही थी। उनके जाने से अब बीजेपी में मुख्यमंत्री पद के लिए कई दावेदार खड़े हो गए हैं।

परेशानी बीजेपी के लिए और भी है। नितिन गडकरी ने एक बार उद्धव की जगह राज ठाकरे को तव्वजो दे दी थी। तब इसे लेकर इतना हंगामा हुआ कि उनको अपने कदम वापस खींचने पड़े। एक समय नरेंद्र मोदी और राज ठाकरे की करीबियों की चर्चा भी थी।

अब 17 सितंबर को बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह ठोस बातचीत के लिए मुंबई पंहुच रहे हैं। यहां वह उद्धव से भी मिल सकते हैं। 18 और 19 को उनकी महाराष्ट्र में अलग-अलग सभाए हैं।

उधर कांग्रेस एनसीपी में भी तनाव है। आज कुछ देर पहले अजीत पवार ने सीटों को आधे में बांटने की वकालत की है। साल 2009 में कांग्रेस 170 पर लड़ी थी और 82 जीती थी। वहीं एनसीपी 113 पर लड़ी थी और 62 जीती थी।

हाल ही में शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ भी की थी। उनकी गुप्त मुलाकात की खबरें भी चर्चा में आई थी। उनके पाला बदलने की खबर चली थी।

अब भले ही कांग्रेस−एनसीपी की बॉडी लैंग्वेज पर हार के कयास लगाए जा रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण की साफ छवी कुछ राहत देती है।

भले ही कांग्रेस को इससे ज्यादा फायदा न हो, लेकिन शिवसेना के उद्धव ठाकरे ने आज सामना में सीएम पर वार कर कहा कि वह आईसीयू में एक मरीज की तरह हैं। आधी नींद में काम करते हैं। उनको कोई अनुभव नहीं था, सिर्फ सोनिया गांधी की कृपा से सीएम पद मिला।

अब आने वाले दिन ही बताएंगे कि इन गठबंधनों में शामिल कौन से दल कितनी सीटें अपने हिस्से में कर पाएंगे।

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