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This Article is From Mar 12, 2014

ममता की रैली में नहीं आए अन्ना, सहयोगियों ने कहा, तबीयत नासाज

ममता की रैली में नहीं आए अन्ना, सहयोगियों ने कहा, तबीयत नासाज
नई दि्ल्ली:

गांधीवादी नेता अन्ना हजारे को बुधवार को तृणमूल कांग्रस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की रैली में आना था, लेकिन दीदी उनकी राह देखती रह गईं। उधर, हजारे के सहयोगियों ने सफाई देते हुए कहा कि अन्ना तबीयत नासाज होने के कारण रैली में शामिल नहीं हो पाए।

दीदी की रैली की अगर बात करें तो तृणमूल कांग्रेस आलाकमान की दिल्ली के आसमान तक जाती महत्वाकांक्षाओं की परवाज को आगाज देने के लिए आहूत की गई इस रैली को कोई खासी तव्वजो नहीं मिल सकी।

अन्ना की सहायक सुनीता गोदारा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘अन्नाजी की सेहत हमारे लिए सबसे बड़ी बात है। इसलिए यदि वह स्वस्थ नहीं हैं तो उन्हें इस धूप में बाहर नहीं निकलना चाहिए। और यदि उन्होंने इसका फैसला किया है तो उन्होंने ठीक ही किया होगा । अन्ना को संदेश देना था, ममताजी संदेश दे रही हैं।’’

रैली के दौरान हजारे की गैर-मौजूदगी के लिए कोई कारण नहीं बताया गया जो कल रात ही यहां रैली में भाग लेने के लिए पहुंचे थे।

तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी को समर्थन देने वाले और अपने पूर्व सहयोगी अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को फटकार लगाने वाले हजारे ने पूर्व में कहा था कि वह रैली में भाग लेंगे।

महत्वपूर्ण बात यह है कि कोलकाता के एक इमाम ने धमकी जारी की थी कि यदि ममता बनर्जी ने हजारे के साथ मंच साझा किया तो वह बनर्जी से समर्थन वापस ले लेंगे।
तृणमूल प्रमुख ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह राजनीतिक बैठक नहीं थी। यह सामाजिक बैठक थी। उन्हें न्यौता दिया गया था। मैंने यहां आने का वादा किया था और मैं आयी।’’ उन्होंने दावा किया कि यहां तृणमूल के झंडे और बैनर नहीं लगे थे क्योंकि यह उनकी पार्टी की रैली नहीं थी।

हालांकि उन्होंने हजारे के खिलाफ कुछ कहने से इनकार कर दिया और कहा कि वह उनका और उनकी इच्छा का सम्मान करती हैं।

दूसरी तरफ हजारे के सहयोगियों ने कहा कि यह तृणमूल की रैली थी और लोगों की कम उपस्थिति का कारण यह है कि यह गलत समय और गलत दिन आयोजित की गयी।

हजारे की सहयोगी सुनीता गोदारा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कब लोग इकट्ठा होते हैं? यह रविवार या शाम का वक्त होना चाहिए या फिर छुट्टी का दिन ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग पहुंचें । लोगों को अपनी रोजी रोटी के लिए कामधंधे पर निकलना होता है।’’

रैली में अन्ना के नहीं पहुंचने पर सुनीता ने कहा, ‘‘अन्नाजी का स्वास्थ्य हमारी प्राथमिकता है। यदि वह अस्वस्थ हैं तो उन्हें सूरज की गर्मी में बाहर नहीं आना चाहिए। और यदि उन्होंने तय कर लिया तो उन्होंने सही ही किया होगा। अन्ना को संदेश देना था और ममताजी संदेश दे रही हैं।’’

यहां एक महत्वपूर्ण बात यह है कि कोलकाता के एक इमाम ने धमकी दी थी कि यदि ममता बनर्जी ने हजारे के साथ मंच साझा किया तो वह ममता के प्रति अपना समर्थन वापस ले लेंगे।

ममता बनर्जी ने कांग्रेस और भाजपा के अलावा अपनी चिर प्रतिद्वंद्वी वामपंथी पार्टियों को भी निशाना बनाते हुए कहा, ‘‘भाजपा कहती है कि वह शीर्ष सत्ता पर आएगी। लेकिन मैं पूछना चाहती हूं कि वह कैसे सत्ता में आएगी... गुजरात का चेहरा सांप्रदायिक है। गुजरात के लोग ही नहीं बल्कि वहां के नेता भी सांप्रदायिक हैं।’’

भाजपा या कांग्रेस को समर्थन देने से इनकार करते हुए ममता ने कहा कि दोनों दल देश को बेचने के लिए सिंडीकेट बनाते हैं। वे साथ आ सकते हैं और माकपा की इन दलों से साठगांठ है। हम कांग्रेस, भाजपा या माकपा या इन दलों से संबंध रखने वालों का समर्थन नहीं करेंगे।

रामलीला मैदान में लोगों की कम उपस्थिति पर तृणमूल प्रमुख ने कहा, ‘‘इस मैदान में बाहर से लोग लाए जाते हैं । हम भी ऐसा कर सकते थे। लेकिन यह चुनाव का समय है।’’ उन्होंने कहा कि कम लोगों के आने की वजह कल की वष्रा हो सकती है।

हजारे को परोक्ष रूप से यह संकेत देते हुए कि उन्हें उनकी जरूरत नहीं है, ममता ने कहा, ‘‘तृणमूल कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ती रही है और ऐसा करती रहेगी। आज हमारे पास 10 लोग हैं जो बढ़कर 10 लाख हो जाएंगे। पंचायत चुनाव में भी हम अकेले लड़े। हम गुजरात, असम, त्रिपुरा, झारखंड, अरूणाचल प्रदेश में भी (चुनाव) लड़ेंगे।’’

ममता ने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि शिशु मृत्युदर गुजरात से कम बंगाल में हैं । राष्ट्रीय शिशु मृत्युदर 44 है, गुजरात में यह 44 और पश्चिम बंगाल में 32 है।

उन्होंने यह भी दावा किया कि देश की आर्थिक विकास दर से बंगाल की जीडीपी दर अधिक है। देश की जीडीपी दर 4.9 फीसदी है जबकि पश्चिम बंगाल में यह 7.71 है।

 

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