महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री आरआर पाटिल फिर विवादों में हैं। पाटिल ने जनसभा को संबोधित करते हुए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के उम्मीदवार सुधाकर खडे जो फिलहाल बलात्कार के आरोप में जेल में बंद है, उनके बारे में कहा कि अगर खडे को रेप करना ही था तो चुनाव के बाद करते।
सांगली जिले में प्रचार के दौरान कवठे एकंद गांव में उन्होंने जनसभा को संबोधित करने के दौरान कहा, एमएनएस के कुछ लोग मुझसे मिलने आए और कहा कि हम आपको समर्थन दे रहे हैं तो मैंने पूछा क्यों समर्थन दे रहे हो, उन्होंने कहा, हमारा उम्मीदवार जेल में बंद है। मैंने कहा, कौन सा पुण्य कर्म किया है। तब उन्होंने बताया कि उसपर बलात्कार का आरोप है। तब मैंने कहा कि अगर उसे चुनाव जीतना था, विधायक बनना था, तो रेप चुनाव के बाद करना चाहिए था।
आरआर पाटिल के इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया आ रही है। बीजेपी प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा, ये कैसा वक्तव्य है, क्या चुनाव के बाद बलात्कार ठीक है। एनसीपी किस तरह की विचारधारा में यक़ीन रखती है। महाराष्ट्र के लोगों के पास मौका है 15 अक्तूबर को ऐसे लोगों को सबक सिखाने का। वहीं, वकील आभा सिंह का कहना है कि आईपीसी की धारा 107 के तहत पाटिल पर लोगों को बलात्कार के लिए उकसाने का मामला दर्ज होना चाहिए।
वैसे बयान पर हंगामा मचने के बाद पाटिल का कहना है कि उन्होंने विरोधी उम्मीदवार पर कटाक्ष किया है, जिसे सही मायने में समझा नहीं गया।
वैसे पाटिल की जुबान पहली बार नहीं फिसली है। 2008, 26/11 हमलों को उन्होंने छोटा वाकया बताकर अपनी कुर्सी गंवा दी थी। हालांकि 2009 में कुर्सी वापिस मिल गई। मंत्रिमंडल में उनके साथ रहे महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री जूनियर पवार की भी जुबान भी कई बार लड़खड़ाई है। सूखे से बेहाल किसानों के लिए दिए गए उनके बयान पर उन्होंने पश्चाताप और प्रायश्चित तक जताया था। लेकिन माफी कहीं से नहीं मिली।
ऐसे शर्मनाक बयानों के बाद भी ये नेता कुर्सी से चिपके रहे। शायद सियासत और शर्म का कहीं मिलाप नहीं होता है।
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