दिल्ली के चुनावी दंगल में इस बार फिर 'आया राम गया राम' की राजनीति चारों तरफ दिखाई दे रही है। हर बार की तरह 2015 के चुनावों में भी बड़ी संख्या में दलबदलू नेता अपना भाग्य आजमा रहे हैं। इस उम्मीद के साथ कि पार्टी बदलने से उनका राजनीतिक भविष्य इस बार ज़रूर बदलेगा।
दल-बदलू नेताओं की लिस्ट में सबसे ऊपर नाम पूर्व केंद्रीय मंत्री कृष्णा तीरथ का है। यूपीए सरकार में पिछले साल तक केंद्रीय मंत्री रहीं कृष्णा तीरथ ने चुनावों से ठीक पहले इसी महीने बीजेपी का दामन थाम लिया और अब पटेल नगर से चुनाव लड़ रही हैं। तीरथ लंबे समय से कांग्रेस पार्टी के साथ जुड़ी रहीं, लेकिन जब पार्टी की नैया डूबने लगी तो उन्होंने पाला बदलना बेहतर समझा।
फिर नाम आता है मटिया महल सीट से पिछले पांच विधानसभा चुनाव जीत चुके शोएब इकबाल का। शोएब 1993 से मटिया महल सीट का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं और इस विधानसभा सीट पर उनकी पकड़ मज़बूत मानी जाती है। साल 2013 का विधान सभा चुनाव जेडी-यू के टिकट पर लड़ा। अब 2015 में जेडी-यू का साथ छोड़कर कांग्रेस के खेमे में आ गए। एनडीटीवी से बातचीत में दावा करते हैं कि पार्टी से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता, इलाके के लोग जानते हैं कि उन्होंने कितना काम किया है।
एक समय आम आदमी पार्टी के सक्रीय कार्यकर्ता रहे विनोद बिन्नी ने 2013 का चुनाव उसी के टिकट पर लड़ा। चुनाव जीते भी, लेकिन जीतने के बाद जब अरविंद केजरीवाल सरकार में मंत्रीपद नहीं मिला तो पार्टी छोड़ दी। अब पटपड़गंज में आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया के ख़िलाफ़ चुनाव मैदान में हैं, जिनके साथ कई साल राजनीतिक काम कप चुके हैं।
एनडीटीवी ने जब उनसे वजह पूछी तो बिन्नी ने कहा, 'राजनीतिक विचारधारा महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण ये है कि आपने इलाके में काम किया है या नहीं। मैंने मोहल्ला सभा शुरू की, लेकिन आम आदमी पार्टी ने इसका इस्तेमाल पूरी दिल्ली में अपने फायदे के लिए कर लिया।
बिन्नी आप से बीजेपी में पहुंचे तो शाहदरा से पूर्व विधायक राम निवास गोयल बीजेपी छोड़कर आम आदमी पार्टी में जा पहुंचे। एनडीटीवी से बातचीत में कहते हैं अन्ना आंदोलन के समय ही हृदय परिवर्तन हुआ। उनकी नज़र में बीजेपी ने कांग्रेस के कई नेताओं को लोकसभा चुनाव से पहले शामिल कर लिया जिससे वो निराश हो गए थे।
दरअसल दलबदलुओं की लिस्ट काफी लंबी है। दिल्ली विधानसभा के पूर्व स्पीकर एमएस धीर आप से बीजेपी में आए तो नरेश बालियान बीजेपी से आप में आए। करतार सिंह तंवर भी बीजेपी से आप में आए जबकि एससी वत्स कांग्रेस से बीजेपी में पहुंच गए। जिस तरह से चुनावों से ठीक पहले दिल्ली की राजनीति में सक्रीय कई नेताओं ने पाला बदला है, उससे साफ है कि सत्ता की होड़ में शायद राजनीतिक विचारधारा से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ नेताओं के लिए सत्ता की चाहत है।
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