अगले लोकसभा चुनाव का पहला वोट सात अप्रैल को पड़ना है और अभी तक बीजेपी यह दावा कर रही है कि इस वक्त देश में उसकी और नरेंद्र मोदी की लहर है। हालांकि यह बीजेपी की अजीब विडंबना है कि बहुत लोग हाल के दिनों में बीजेपी में शामिल हुए हैं, लेकिन बीजेपी खुद अपने बड़े नेताओं के टिकट तय करने में मुश्किल झेल रही है।
इससे ज्यादा नुकसान की बात बीजेपी के लिए यह है कि ये झगड़े लगातार मीडिया में खुलकर सामने आ रहे हैं। यहां तक कि नेताओं के खुद की लीपापोती के बयान इस पर कोई असर नहीं डाल पा रहे हैं।
बीजेपी की बहुत पुरानी समस्या रही है उसका एकजुट नहीं रह पाना। इस पार्टी पर हमेशा से गुटबाजी के गहरे आरोप लगते रहे हैं। मोदी के कैंपेन कमेटी के चेयरमैन बनने से लेकर प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनने की घोषणा तक भी क्या-क्या ड्रामे हुए वह सबके सामने आए।
लालकृष्ण आडवाणी के कद के नेता किस तरह से नाराज थे यह भी सामने आया, लेकिन बाद में ऐसा लगा कि मोदी की घोषणा के बाद अब बीजेपी इस चुनाव में मौके को देखते हुए एकजुट हो चुकी है, लेकिन इतने कम समय में टिकट को लेकर बड़े नेताओं की मारामारी…इस पार्टी को बहुत शमर्सार कर रही है। या तो बीजेपी अपना रास्ता तय करे या इन नेताओं के टिकट तय करे।
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