नई दिल्ली:
नोटों की कमी के चलते आम आदमी के साथ करोबारी तक रोज़ाना तमाम समस्याओं से दोचार हो रहे हैं. नोटों की कमी के कारण कारोबार का ग्राफ दिनप्रतिदिन नीचे आ रहा है. उसके ऊपर से स्वाइप मशीनों की कमी के कारण कारोबार बिल्कुल ठप होने के कगार पर आ गया है.
कारोबार जगत नोटों की कमी के साथसाथ स्वाइप मशीनों की कमी से भी जूझ रहा है. छोटे दुकानदारों पर इसका बहुत ज्यादा असर पड़ रहा है. रुपयों की कमी में लोगों ने डिजिटल भुगतान को सामान की खरीदफरोख्त का जरिया बनाया है, लेकिन स्वाइप मशीनों की कमी के कारण यह माध्यम भी कारगर साबित नहीं हो पा रहा है. दुकानदारों ने स्वाइप मशीनें बुक करवा ली हैं, लेकिन मांग अचानक बढ़ने से मशीनों की आपूर्ति में तकरीबन एक महीने की वेटिंग चल रही है.
आशीष, लाजपत नगर में एक बेकरी चलाते हैं. आशीष बताते हैं कि बेकरी पर ग्राहक तो आते हैं लेकिन कार्ड लेकर. उनके पास अभी स्वाइप मशीन नहीं है. स्वाइप मशीन के लिए आवेदन किए हुए 25 दिन हो गए हैं पर, मशीन अभी तक नहीं मिली है.
उधर, ग्राहक भी कार्ड से भुगतान करना चाहते हैं क्योंकि एटीएम में पैसे निकालने के लिए लंबी क़तारे हैं. कतारों में लग कर पैसे निकालने से बेहतर है कि कार्ड से भुगतान कर दिया जाए. पेटीएम भी भुगतान का अच्छा माध्यम है लेकिन बहुत सारे दुकानदारों के पास यह सुविधा भी नहीं है.
बैंकों की मानें तो कि अप्लाई करने के बाद पूरी प्रक्रिया में एक हफ़्ता लगता है. पहले सारे दस्तावेजों की जांच होती है फिर उनका सत्यापन किया जाता है, तब कहीं जा कर मशीन मिलती है. नोटबंदी के बाद एकसाथ बहुत सारी मशीनों की मांग होने से इनकी आपूर्ति में भी ज़्यादा वक़्त लग रहा है.
कारोबार जगत नोटों की कमी के साथसाथ स्वाइप मशीनों की कमी से भी जूझ रहा है. छोटे दुकानदारों पर इसका बहुत ज्यादा असर पड़ रहा है. रुपयों की कमी में लोगों ने डिजिटल भुगतान को सामान की खरीदफरोख्त का जरिया बनाया है, लेकिन स्वाइप मशीनों की कमी के कारण यह माध्यम भी कारगर साबित नहीं हो पा रहा है. दुकानदारों ने स्वाइप मशीनें बुक करवा ली हैं, लेकिन मांग अचानक बढ़ने से मशीनों की आपूर्ति में तकरीबन एक महीने की वेटिंग चल रही है.
आशीष, लाजपत नगर में एक बेकरी चलाते हैं. आशीष बताते हैं कि बेकरी पर ग्राहक तो आते हैं लेकिन कार्ड लेकर. उनके पास अभी स्वाइप मशीन नहीं है. स्वाइप मशीन के लिए आवेदन किए हुए 25 दिन हो गए हैं पर, मशीन अभी तक नहीं मिली है.
उधर, ग्राहक भी कार्ड से भुगतान करना चाहते हैं क्योंकि एटीएम में पैसे निकालने के लिए लंबी क़तारे हैं. कतारों में लग कर पैसे निकालने से बेहतर है कि कार्ड से भुगतान कर दिया जाए. पेटीएम भी भुगतान का अच्छा माध्यम है लेकिन बहुत सारे दुकानदारों के पास यह सुविधा भी नहीं है.
बैंकों की मानें तो कि अप्लाई करने के बाद पूरी प्रक्रिया में एक हफ़्ता लगता है. पहले सारे दस्तावेजों की जांच होती है फिर उनका सत्यापन किया जाता है, तब कहीं जा कर मशीन मिलती है. नोटबंदी के बाद एकसाथ बहुत सारी मशीनों की मांग होने से इनकी आपूर्ति में भी ज़्यादा वक़्त लग रहा है.
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