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This Article is From Oct 15, 2018

सर्दी आते ही दिल्ली में फिर प्रदूषण की मार, SDMC ने निर्माण कार्यों पर लगाई रोक

बढ़ते प्रदूषण(Pollution) को रोकने की दिशा में सख्त कदम उठाते हुए दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने प्रगति मैदान के परियोजना स्थल पर सभी निर्माण एवं तोड़-फोड़ की गतिविधियों को “तत्काल रोकने” को कहा. 

सर्दी आते ही दिल्ली में फिर प्रदूषण की मार, SDMC ने निर्माण कार्यों पर लगाई रोक
फाइल फोटो.
नई दिल्ली: सर्दी का मौसम आते ही दिल्ली सहित समूचे एनसीआर पर प्रदूषण की काली छाया पड़ने लगी है. पिछले साल भी एनसीआर में प्रदूषण का मामला सुर्खियों में रहा था. इस साल भी कुछ ऐसे ही हालात पैदा हो रहे हैं. लिहाजा प्रदूषण की रोकथाम के लिए कवायदे भी शुरू हो चुकीं हैं.  प्रदूषण(Pollution) को रोकने की दिशा में नगर निगमों ने सख्त कदम उठाना शुरू किया है. दक्षिणी दिल्ली नगर निगम(SDMC) ने प्रगति मैदान स्थित परियोजना स्थल पर सभी तरह के निर्माण एवं तोड़-फोड़ की गतिविधियों को “तत्काल रोकने” को कहा है.  एसडीएमसी ने कहा कि शहर में लगातार गिर रही वायु गुणवत्ता को देखते हुए उसने पिछले एक हफ्ते में कई कदम उठाए हैं।    नगर निकाय ने एक बयान में कहा, “एसडीएमसी ने खुले इलाकों में पानी के छिड़काव के लिए रविवार को 22 अतिरिक्त पानी की टंकियों से काम लिया जिसके साथ ही ऐसे टैंकरों की संख्या 62 पहुंच गई है। एनबीसीसी द्वारा एसडीएमसी की ओर से एनजीटी के दिशा-निर्देशों का अनुपालन करने का आग्रह नजरअंदाज करने के बाद उससे प्रगति मैदान में सभी निर्माण एवं तोड़-फोड़ के कार्य तत्काल रोकने को कहा गया है।” एनबीसीसी प्रगति मैदान में विश्व स्तरीय सम्मेलन सह प्रदर्शनी केंद्र का निर्माण कर रहा है।

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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने आठ अक्टूबर को केन्द्र के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) को अधिसूचित करने की प्रस्तावना पर आयी एक समाचार पत्र की रिपोर्ट के बाद संज्ञान लेते हुए केन्द्र और राज्य सरकारों को मिलकर तय समय-सीमा के भीतर योजना बनाकर पूरे देश में वायु प्रदूषण को राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक के अंदर लाने के लिये कहा है। ग्रीनपीस इंडिया उम्मीद करती है कि एनजीटी के इस आदेश के बाद जल्द ही एनसीएपी को अधिसूचित किया जाएगा। ग्रीनपीस इंडिया के सीनियर कैंपेनर सुनील दहिया कहते हैं, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अदालत को योजना बनाने से लेकर उसे लागू करने तक हर कदम पर हस्तक्षेप करके यह सुनिश्चित करना पड़ रहा है कि लोगों के हितों की रक्षा हो। क्या यह सरकार की जिम्मेदारी नहीं है कि वह कोर्ट के हस्तक्षेप के बिना नीतियों को लागू करे?"

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सुनील कहते हैं, "हम लोग देख रहे हैं कि सरकार लगातार पर्यावरण से जुड़े कानून कमजोर करके और प्रदूषण फैलाने वाली कंपनियों के हित में नीतियों में बदलाव कर रही है।"जनता और मीडिया के दबाव के बाद पर्यावरण मंत्रालय ने अप्रैल में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के ड्राफ्ट को लोगों की प्रतिक्रिया के लिये अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक किया था। लेकिन पांच महीने बीत जाने के बावजूद अभी तक कार्यक्रम को लागू नहीं किया जा सका है। वायु प्रदूषण की खराब स्थिति पर सवाल उठाने पर राज्य और केन्द्र सरकार एक-दूसरे पर उंगली उठाने लगते हैं। दूसरी तरफ पर्यावरण मंत्रालय और ऊर्जा मंत्रालय दोनों ही प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक ईकाईयों और थर्मल पावर प्लांट के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। दोनों ने मिलकर थर्मल पावर प्लांट के लिए जारी उत्सर्जन मानकों को लागू करने की समय सीमा को पांच साल और बढ़ाने की अनुमति दे दी।

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एनजीटी ने आठ अक्टूबर 2018 को अपने आदेश में कहा कि एनसीएपी को अंतिम प्रारूप देने में थोड़ी प्रगति हुई है, लेकिन अभी भी वर्तमान वायु प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए इस कार्यक्रम को लागू करने की गति बेहद धीमी है। एनजीटी ने ऑब्जर्व किया है कि 102 शहरों में से सिर्फ 73 शहरों की कार्ययोजना ही जमा हो सकी है। इसमें से भी 36 शहरों की ही कार्ययोजना तैयार है, 37 शहरों की योजना अभी भी अपूर्ण है और 29 शहरों ने अभी तक अपनी कार्ययोजना जमा ही नहीं की है। (सितंबर 2018 तक)। एनजीटी ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि वाहनों की संख्या को, औद्योगिक ईकाईयों के प्रदूषण को नियंत्रित करने और वायु गुणवत्ता को मानकों के भीतर लाने की तत्काल जरुरत है।

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सुनील कहते हैं, "यह जानना सुखद है कि पर्यावरण मंत्री वायु प्रदूषण की वजह से देश की अंतर्राष्ट्रीय छवि खराब होने को लेकर चिंतित हैं लेकिन यह चिंता तब तक ठोस नहीं मानी जाएगी जब तक कि एनसीएपी को योजनाबद्ध तरीके से तत्काल लागू नहीं किया जाए । यह निराशाजनक है कि पर्यावरण मंत्री आराम से अपनी जिम्मेदारी राज्य सरकार पर डाल दे रहे हैं और राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम को लागू करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। उनके दावों के हिसाब से एनसीएपी को बहुत पहले लागू हो जाना चाहिए था।"

अब केन्द्र सरकार को एनसीएपी में सारे राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों द्वारा तैयार कार्ययोजना को मिलाकर उसे लागू करना होगा। इसके लिये पर्याप्त बजट भी आंवटित करना होगा। ग्रीनपीस इंडिया उम्मीद करती है कि एनजीटी के हस्तक्षेप के बाद जल्द ही केन्द्र सरकार इस कार्यक्रम को लागू करने की दिशा में पहल करेगी और देशभर में वायु प्रदूषण की वजह से लोगों के स्वास्थ्य पर उतपन्न खतरा कम होगा। (इनपुट-भाषा और आईएनएएस)

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