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This Article is From Jan 04, 2019

एचएस फुल्का के इस्तीफे पर कुमार विश्वास का ट्वीट: एक और योद्धा की कुर्बानी मुबारक, 'अंधों का सरदार' बनना कायराना

फुल्का के इस्तीफे के बाद अब अपनों के तेवर सामने दिखने लगे हैं. कुमार विश्वास से लेकर अल्का लांबा ने ट्वीट कर अपनी राय रखी है. 

एचएस फुल्का के इस्तीफे पर कुमार विश्वास का ट्वीट: एक और योद्धा की कुर्बानी मुबारक, 'अंधों का सरदार' बनना कायराना
एचस फुल्का के इस्तीफे पर कुमार विश्वास का हमला
नई दिल्ली:

पंजाब में आम आदमी पार्टी को एक बड़ा झटका लगा है. वरिष्ठ वकील एच एस फुल्का ने आम आदमी पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया है. उन्होंने अपना इस्तीफ़ा पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सौंप दिया है. हालांकि, आज वो एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर इस्तीफ़े की वजह बताएंगे. फिलहाल आम आदमी पार्टी भी इस मुद्दे पर कुछ नहीं बोल रही है और पार्टी सूत्रों का यही दावा है कि एचएस फुल्का अपना सारा समय 1984 के पीड़ितों का केस लड़ने के लिए देना चाहते हैं. इसलिए उन्होंने इस्तीफ़ा दिया होगा! हालांकि, फुल्का के इस्तीफे के बाद अब अपनों के तेवर सामने दिखने लगे हैं. कुमार विश्वास से लेकर अल्का लांबा ने ट्वीट कर अपनी राय रखी है. 

आखिर क्यों एचएस फुल्का ने आम आदमी पार्टी से दिया इस्तीफा? जानिये वजह...

एच एस फ़ुल्का के इस्तीफ़े के बाद आम आदमी पार्टी के बाग़ी नेता कुमार विश्वास ने ट्वीट कर केजरीवाल पर तंज़ कसा. उन्होंने लिखा- आत्ममुग्ध असुरक्षित बौने की निजी अहंकार मंडित नीचता के नाम एक और खुद्दार-शानदार योद्धा की ख़ामोश क़ुर्बानी मुबारक हो! अपनी स्वराज वाली बची-खुची एक आंख फोड़कर सत्ता के रीढ़विहीन 'अंधों का सरदार' बनना वीभत्स और कायराना है.'

वहीं एक और बाग़ी विधायक अलका लांबा ने लिखा है कि 2012 से पहले के लोग गए तो बहुत नुक़सान होगा, 2012 के बाद आए लोग गए तो नुक़सान होगा. आकलन करने की ज़रूरत. उन्होंने ट्वीट किया- तीन तरह के लोग: एक वो जो 2012 के पहले थे, एक वो जो 2012 के बाद आए, एक वो जो 2015 के बाद आए, 2012 के पहले वाले गए तो अधिक नुकसान होगा, 2012 के बाद वाले गए तो नुकसान होगा, 2015 के बाद वाले गए तो नुकसान नहीं होगा, आकलन करने की ज़रूरत, संगठन से सरकार बनती है, सरकार से संगठन नहीं.'

बता दें कि एचएस फुलका मार्च 2017 में पंजाब में नेता विपक्ष बने थे, लेकिन कुछ ही समय बाद उन्होंने नेता विपक्ष पद से यह कहकर इस्तीफा दे दिया था कि वह 1984 के केस पर फोकस करना चाहते हैं. साल 2015 में गुरु ग्रंथ साहिब से हुई बेअदबी के मामले में पंजाब सरकार के ढीले रवैय्ये के विरोध में उन्होंने विधायकी से भी इस्तीफा दे दिया था. काफी समय से फुलका आम आदमी पार्टी की बैठकों में नज़र नहीं आ रहे थे. 

एचएस फुल्का ने आम आदमी पार्टी छोड़ी, बिना फीस लिए लड़ा था 1984 के दंगा पीड़ितों का केस

इस्तीफे की वजह?
एचएस फुल्का ने कई बार यह जिक्र किया था कि दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने 1984 के हिंसा पीड़ितों के लिए उम्मीद के मुताबिक काम नहीं किया. ना पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिलवाया ना नौकरी दी. संभावना है कि फुल्का के मन में ये टीस हो जो अब जाकर बाहर आई. 21 दिसंबर को दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से भारत रत्न सम्मान वापस लिए जाने की मांग वाला प्रस्ताव पास कर दिया था. दलील यह दी गई थी कि राजीव गांधी ने 1984 में सिखों के कत्लेआम को जायज ठहराया था, लेकिन बाद में आम आदमी पार्टी इस बात से पलट गई. जबकि 31 दिसंबर को फुलका ने राजीव गांधी के बारे में अपनी राय जाहिर की.

VIDEO: यह फैसला पीड़ितों के लिए जीत की तरह - एचएस फुल्का

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