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This Article is From Oct 04, 2018

दिल्‍ली के मरीजों के लिए आरक्षण का असर : अस्पताल में भीड़ कम, दूसरे में शिफ़्ट!

दिल्ली सरकार दिल्ली के अस्पतालों में भीड़ कम करना चाहती है और उसका मानना है की दिल्ली के संसाधनों और पैसे पर दिल्ली वालों का पहला हक है.

दिल्‍ली के मरीजों के लिए आरक्षण का असर : अस्पताल में भीड़ कम, दूसरे में शिफ़्ट!
नई दिल्‍ली: दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत उत्तर पूर्वी दिल्ली के गुरु तेग बहादुर हॉस्पिटल में 80 फीसदी आरक्षण दिल्ली वालों के लिए लागू कर दिया है जिसके चलते बाहर के लोग नाराज़ हैं तो दिल्ली वाले इसको अच्छा फैसला बता रहे हैं. लेकिन इसका नतीजा ये हुआ कि मरीजों का बोझ अब दूसरे अस्पतालों पर आ पड़ा है जो इसके लिए तैयार नहीं हैं.

दिल्ली सरकार दिल्ली के अस्पतालों में भीड़ कम करना चाहती है और उसका मानना है की दिल्ली के संसाधनों और पैसे पर दिल्ली वालों का पहला हक है. इसलिए 1 अक्टूबर से पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर उत्तर पूर्वी दिल्ली में गुरु तेग बहादुर अस्पताल में दिल्ली से बाहर के मरीजों के लिए मुफ्त दवा और मुफ्त टेस्ट पूरी तरह से बंद कर दिए गए हैं. साथ ही ओपीडी और बेड में 80 फ़ीसदी आरक्षण केवल दिल्ली वालों के लिए कर दिया गया है जिसके बाद अस्पताल में ओपीडी टेस्ट मुफ्त दवा से लेकर हर विभाग में मरीजों का लोड कम हुआ है.

गुरु तेग बहादुर अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर सुनील कुमार के मुताबिक 'पहले अस्पताल में रोजाना 8 से 9 हज़ार ओपीडी हुआ करती थी जो 1 अक्टूबर के बाद कुल 5 हज़ार पर आ गई है. जिसमें से तीन हजार के करीब दिल्ली के मरीज हैं और दो हजार के करीब दिल्ली से बाहर के यानी करीब 60 से 65% इस अस्पताल पर लोड दिल्ली के बाहर के मरीजों का था जो इस योजना में कम होता दिखाई दे रहा है.'

इस योजना के लागू होने से अस्पताल में दिल्ली से बाहर के मरीजों, खासतौर से उत्तर प्रदेश से आने वाले मरीज़ बहुत नाराज़ हैं. उनका कहना है कि देश की राजधानी दिल्ली पूरे देश की है इसलिए दिल्ली के अस्पतालों में बाहर वालों के लिए सीमाएं लगा देना सही कदम नहीं है. उत्तर प्रदेश के बागपत से अपनी 82 साल की मां का पथरी का इलाज कराने आए वीरेंद्र यादव ने कहा कि 'दिल्ली सरकार का ये जो फैसला हुआ है कि केवल दिल्ली वालों का इलाज होगा वो बात तो सही है, लेकिन मेरे विचार से ये देश को बांटने वाली भावनाएं हैं. कल दिल्ली वालों के लिए यूपी वाले पानी बिजली और सब्ज़ी बंद कर देंगे, मज़दूर सब यूपी से आ रहे हैं. क्या केजरीवाल ने इस तरह की बातों पर विचार किया?'

हालांकि 1 अक्टूबर से लागू हुए इस फैसले के बाद अस्पताल में भीड़ कम हुई, साथ ही दवा के लिए लगने वाली लंबी लाइन के छोटे होने से दिल्ली वाले खुश हैं. अस्पताल में आए दिल्ली के एक मरीज ने कहा कि 'ये व्यवस्था अच्छी है. हर राज्य में अपना मुख्यमंत्री होता है, अपनी सरकार होती है. जैसे दिल्ली में अरविंद केजरीवाल हैं उसी तरह उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ हैं. दिल्ली में अरविंद केजरीवाल हेल्थ, एजुकेशन में अच्छा काम कर रहे हैं इसी तरह उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ भी अच्छा काम करें और यूपी के लोगों को सुविधाएं दें, अच्छे अस्पताल बनाएं जिससे वहां के लोगों को मजबूर होकर दिल्ली में अस्पताल में इलाज के लिए ना आना पड़े.'

लेकिन इस फैसले का नतीजा ये हुआ कि इस अस्पताल का लोड 500 मीटर की दूरी पर बने पूर्वी दिल्ली नगर निगम के स्वामी दयानंद अस्पताल पर पड़ रहा है जो इसके लिए तैयार नहीं. स्वामी दयानंद अस्पताल की मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. रजनी खेड़वाल ने बताया कि 'हमारे यहाँ जो पहले 2000 मरीज़ रोज़ आते थे वो अब 3000 से ज़्यादा आ रहे हैं. इमरजेंसी में 30-40% लोड बढ़ गया है. डिलीवरी में भी 40% का इजाफा हुआ है और हमारे पास इतना इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं हैं, बेड्स नहीं है, स्टाफ़ नहीं है कि इसको टैकल कर सकें या मैनेज कर सकें.'

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