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This Article is From Oct 30, 2018

सरकार अपने ही सरकारी उपक्रम प्रसार भारती के प्रोफेशनल्स को मेडिकल सुविधा देने में विफल

मात्र 12 रुपये में आम लोगों को 2 लाख रूपये का इंश्योरेंस देने का दावा करने वाली सरकार अपने ही सरकारी उपक्रम प्रसार भारती के प्रोफेशनल्स को मेडिकल और इंश्योरेंस देने में विफल है.

सरकार अपने ही सरकारी उपक्रम प्रसार भारती के प्रोफेशनल्स को मेडिकल सुविधा देने में विफल
नक्सली हमले में डीडी न्यूज़ के कैमरामैन अच्युतानंदन साहू की मौत हो गई (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: गरीबों को 5 लाख तक का स्वास्थ्य बीमा देने के लिए केंद्र सरकार ने 'आयुष्मान भारत' स्कीम लागू की है. सरकार का दावा है कि इस स्कीम से गरीबों को स्वास्थ्य सेवाओं में लाभ मिल सकेगा, लेकिन ये जानकर आप को हैरत होगी कि मात्र 12 रुपये में आम लोगों को 2 लाख रूपये का इंश्योरेंस देने का दावा करने वाली सरकार अपने ही सरकारी उपक्रम प्रसार भारती के प्रोफेशनल्स को मेडिकल और इंश्योरेंस देने में विफल है. जबकि प्राइवेट चैनल्स और निजी संस्थानों में भी अब स्वास्थ्य सुविधाएं सरकारी उपक्रम के मुकाबले बेहतर मिलते हैं. पीएफ, मेडिकल और इंश्योरेंस की मूलभूत सुविधा तो मिलती ही है. लेकिन नक्सली और आतंकी घटनाओं के बीच जान की बाज़ी लगाकर रिपोर्टिंग करने वाले रिपोर्टर और कैमरामैन प्रसार भारती और सूचना और प्रसारण मंत्रालय की मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. 
 
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छत्तीसगढ़ः दंतेवाड़ा में दूरदर्शन की टीम पर हमला, कैमरामैन की मौत, दो जवान शहीद

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में दिल को दहला देने वाली घटना उस समय घटी, जब दिल्ली से चुनाव कवर करने गयी डीडी न्यूज़ की टीम पर नक्सलियों ने हमला कर दिया. इस हमले में डीडी न्यूज़ के कैमरामैन अच्युतानंदन साहू की दर्दनाक मौत हो गयी. 35 वर्षीय साहू ओडिशा के रहने वाले थे. कुछ ही वर्ष पूर्व उनकी शादी हुई थी. परिवार में बुजुर्ग मां-बाप हैं और एक बेटी है. साहू की दर्दनाक मौत से पहले भी डीडी न्यूज़ के पॉलिटिकल रिपोर्टर राजेश राज की जान एक भीषण दुर्घटना में बची थी. 6 अक्टूबर को यूपी के कानपुर में, जब मेडिकल कॉलेज से राष्ट्रपति का कवरेज कर लौट रहे दिल्ली दूरदर्शन न्यूज़ के वरीय संवाददाता राजेश राज और डीडी न्यूज़ की टीम बुरी तरह से घायल हो गयी. औरैया के पास हाईवे पर इटावा की तरफ से तेज रफ़्तार से आ रही स्कार्पियो ने अपना नियंत्रण खो दिया और दूसरी लेन में आकर इनोवा से टकरा गई. 
 
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दिल्ली के दूरदर्शन भवन में लगी आग, 10 मिनट के भीतर ही आग पर काबू पाया गया

इस हादसे में राजेश राज गाड़ी से बाहर सड़क पर गिर गए. सिर और सीने में जबरदस्त चोट लगी. राजेश राज को वहां से 80 किलोमीटर दूर कानपुर के एक निजी नरसिंग होम में भर्ती कराया गया. दो दिन के इलाज के उपरांत डॉक्टर ने दिल्ली रेफर कर दिया. 8 अक्टूबर से राजेश राज दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती थे. बीजेपी बीट और संसद की रिपोर्टिंग करने वाले राजेश राज को जहां सीने में भारी चोट लगी है. वहीं, माथे के ललाट का पूरा हिस्सा बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है. डॉक्टरों ने उन्हें प्लास्टिक सर्जरी कराने की सलाह दी है. फिलहाल 10 दिन वह राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती रहकर अस्पताल से छुट्टी पा चुके हैं, लेकिन हर दूसरे दिन अस्पताल जाना पड़ रहा है. डॉक्टर ने राज को एक महीने से भी ज़्यादा आराम करने की सलाह दी है.
 
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छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने ग्रामीणों पर हमला किया, 25 से अधिक की बेरहमी से पिटाई की

लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर अच्युतानंदन साहू की एक बच्ची का भविष्य क्या होगा. दुर्गम स्थानों और नक्सल प्रभावित इलाकों में डीडी न्यूज़ के लिए कवरेज करने वाले कर्मियों की क्या ऐसे ही मौत होती रहेगी. प्रोफेशनल्स के लिए आखिर प्रसार भारती कोई पॉलिसी कब बनायेगा. आज के ज़माने में इंश्योरेंस और मेडिकल देना कौन सी बड़ी बात है. लेकिन इक्षाशक्ति के अभाव में डीडी न्यूज़ कर्मियों की तकलीफ में सहभागी बनने की कोशिश प्रसार भारती नहीं कर पा रहा है. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में धर्मेंद्र प्रधान समेत आधा दर्जन से ज़्यादा केंद्रीय मंत्रियों ने राजेश राज से मुलाकात कर सुध ज़रूर ली, लेकिन सूचना और प्रसारण मंत्री समेत प्रसार भारती ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी.

VIDEO: दूरदर्शन की टीम पर नक्सली हमला, कैमरामैन और दो जवानों की मौत
राजेश राज ने एनडीटीवी से कहा कि डीडी न्यूज़ ने मेरे घायल होने पर काफी गंभीरता दिखाई, लेकिन प्रसार भारती के पास कोई पॉलिसी नहीं होने की वजह से मेडिकल और इंश्योरेंस जैसी महत्वपूर्ण सुविधाओं से डीडी कर्मियों को महरूम रहना पड़ रहा है. दूरदर्शन न्यूज़ के डायरेक्टर जनरल मयंक अग्रवाल ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा की अच्युतानंदन साहू के परिवार को मंत्री जी ने 15 लाख मुआवज़ा के साथ उनकी पत्नी को नौकरी देने का एलान किया है. लेकिन उनका कहना था की इंश्योरेंस स्कीम विचारधीन है. हालांकि, सरकार ने मुआवजा और नौकरी देने का एलान किया है लेकिन राशि बहुत कम है और प्रसार भारती के पास कोई मुकम्मल पॉलिसी नहीं है, जिससे इस समस्या का स्थायी निदान निकाला जा सके.

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