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दिल्ली सरकार ने दिए बारापुला ऐलिवेटेड परियोजना की जांच के आदेश, सवालों के घेरे में 175 करोड़ का भुगतान

बैठक में बाद मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने आरोप लगाया कि ये प्रोजेक्ट भी पिछली आम आदमी पार्टी सरकार के भ्रष्टाचार और घोर लापरवाही का एक और उदाहरण है. परियोजना को अक्तूबर 2017 में पूरा हो जाना था, लेकिन विभिन्न कारणों से यह परियोजना पिछड़ती गई.

दिल्ली सरकार ने दिए बारापुला ऐलिवेटेड परियोजना की जांच के आदेश, सवालों के घेरे में 175 करोड़ का भुगतान
सीएम रेखा गुप्ता... (फाइल फोटो)

बारामूला एलीवेटेड रोड के एक्सटेंशन के काम की जांच अब भ्रष्टाचार निरोधक शाखा करेगी. दिल्ली सरकार ने आदेश दिया है कि निर्माणाधीन बारापुला एलीवेटेड रोड की विस्तृत जांच की जाए. दिल्ली की मुख्यमंत्री  रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में सोमवार को वित्त व्यय समिति की बैठक में निर्माणाधीन बारापूला ऐलिवेटेड रोड, फेज-III की समीक्षा की गई और निर्माण में बरती गई अनियमितताओं और ठेकेदार कंपनी को 175 करोड़ का भुगतान करने की जांच भ्रष्टाचार निरोधक शाखा से कराने का निर्णय लिया गया. दरअसल, आरोप हैं कि ठेका लेने वाली कंपनी एक वक्त 35 करोड़ रुपये पर मान गई थी, लेकिन आदमी पार्टी की सरकार की लापरवाही के चलते सेटेलमेंट नहीं हो सका और कंपनी आर्बिट्रेशन में चली गई.

सीएम ने काम जल्द से जल्द पूरा करने के दिए निर्देश

दिल्ली सरकार की बैठक में इस परियोजना को लेकर लोकनिर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की लापरवाही पर भी चर्चा हुई और विभिन्न कारणों से इस परियोजना में देरी होने पर चिंता जताई गई. मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस परियोजना को जल्द से जल्द पूरा किया जाए. परियोजना का यह ऐलिवेटेड रोड बारापूला नाले से शुरू होगा और सराय काले खां होते हुए मयूर विहार फेज-III तक पहुंचेगा. इस उच्चस्तरीय बैठक में पीडब्ल्यूडी मंत्री प्रवेश साहिब सिंह के अलावा संबंधित विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे. मुख्यमंत्री को जानकारी दी गई कि यह परियोजना शीघ्र ही गति पकड़ लेगी, क्योंकि परियोजना के मार्ग के आने वाले पेड़ों को हटाने का अनुमति जल्द मिलने वाली है. इसके बाद यह परियोजना समय पर पूरी हो जाएगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि अब इस प्रोजेक्ट में किसी प्रकार की देरी नहीं होनी चाहिए. सरकार इस परियोजना के लिए बजट की कमी नहीं आने देगी. परियोजना के पूरा होने से दक्षिणी दिल्ली व पूर्वी दिल्ली के बीच ट्रैफिक का आवागमन सुचारू हो जाएगा. 

सीएम रेखा गुप्ता ने लगाए पिछली आप सरकार पर ये आरोप

बैठक में बाद मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने आरोप लगाया कि ये प्रोजेक्ट भी पिछली आम आदमी पार्टी सरकार के भ्रष्टाचार और घोर लापरवाही का एक और उदाहरण है. परियोजना को अक्तूबर 2017 में पूरा हो जाना था, लेकिन विभिन्न कारणों से यह परियोजना पिछड़ती गई. मामला आब्रिट्रेशन (मध्यस्थता) में चला गया, जहां से ठेकेदार कंपनी के पक्ष में फैसला आया और उसे 120 करोड़ रुपये अदा करने का आदेश दिया गया, लेकिन जब कंपनी को यह राशि अदा नहीं की गई तो वह हाई कोर्ट में चली गई. मई 2023 में कोर्ट ने पीडब्ल्यूडी को ब्याज व जीएसटी समेत 175 करोड़ रुपये अदा करने का आदेश दिया. यह राशि कंपनी को अदा कर दी गई. उस दौरान आम आदमी पार्टी सरकार में आतिशी पीडब्ल्यूडी मंत्री थी. 

मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि पिछली सरकार के भ्रष्टाचार का आलम यह था कि उसने कोर्ट में पुनर्विचार याचिका भी दायर नहीं की और न ही अफसरों के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई. उस दौरान इस राशि को कंपनी को अदा करने के कारण पीडब्ल्यूडी की अन्य योजनाएं भी प्रभावित हुईं. मुख्यमंत्री ने कहा कि कंपनी को यह राशि इसलिए दी गई, क्योंकि आम आदमी पार्टी सरकार ने उसे कार्य ही नहीं करने दिया. प्राथमिक जांच में पता चला है कि उस दौरान ठेकेदार कंपनी चाहती थी कि उसे 35 करोड़ रुपये ही मिल जाए तो वह विवाद को आगे नहीं बढ़ाएगी, लेकिन उसे यह राशि अदा नहीं की गई, जिसके बाद विवाद हाई कोर्ट तक पहुंच गया. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस अनियमितता में पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों के भी संलिप्त होने की संभावना हैं. सतर्कता जांच में उनके कार्यकलापों की भी जांच कराने का निर्णय लिया गया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस जांच में परियोजना किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं होगी और इसे तय समय पर पूरा कर लिया जाएगा. 

जानें बारापूला एलिवेटेड रोड (फेज-III) परियोजना कब शुरू हुई थी 

इस परियोजना को दिल्ली सरकार की कैबिनेट ने  सितंबर 2011 को स्वीकृति दी गई. परियोजना के कार्य के लिए 1260.63 करोड़ रुपये दिसंबर 2014 को आवंटित किए गए. परियोजना के कार्यों की शुरुआत अप्रैल 2015 से शुरू हुई, जिसे 30 महीनों के निर्धारित समय में पूरा होना था. मूल लागत 1260.63 करोड़ रुपये थी, अब तक 1238.68 करोड़ खर्च हो चुके हैं. परियोजना की संभावित कुल लागत 1330 करोड़ रुपये होने का अनुमान है. अब तक 87 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है. अब पेड़ों को शीघ्र हटाने की अनुमति मिलने वाली है, जिसके बाद यह परियोजना गति पकड़ लेगी. वित्तीय वर्ष 2025-26 में 150 करोड़ रुपये आवंटित हो चुके हैं, जिसमें जून 2025 तक 86.43 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं.

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