शीला दीक्षित (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली सरकार की एंटी करप्शन ब्यूरो ने वाटर टैंकर घोटाले के मामले में रविवार को दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के घर जाकर उनसे पूछताछ की और उन्हें 18 सवालों की एक लिस्ट सौपीं जिसके जबाब शीला दीक्षित को जल्दी ही देने हैं.
इस मामले में शीला दीक्षित ने कहा कि उनके पास एसीबी की टीम आयी थी लेकिन उन्होंने जबाब देने के लिए कोई समयसीमा नहीं बतायी है. जब उचित समझूंगी तब जबाब दूंगी, टैंकर खरीद का फैसला सामूहिक था जिसमे कई अधिकारी और एजेंसियां लगीं थी और वो टैंकर आज भी चल रहे हैं.
एसीबी ने इसी साल जून के महीने में दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष कपिल मिश्रा और बीजेपी नेता विजेंद्र गुप्ता की शिकायत पर मामला दर्ज किया था उसके बाद जल बोर्ड के कई अधिकारियों और खुद कपिल मिश्रा से भी पूछताछ हो चुकी है. आदमी पार्टी की सरकार ने वाटर टैंकर घोटाले की जांच कराई लेकिन आरोप ये लगा की जांच रिपोर्ट आने के बाद भी उसे 11 महीने तक दबाये रखा. रिपोर्ट में कहा गया कि इस घोटाले के लिए शीला दीक्षित जिम्मेदार है. एसीबी ने कहा था कि इस मामले में अरविन्द केजरीवाल से भी पूछताछ होगी क्योंकि मौजूदा दिल्ली सर्कार ने न सिर्फ रिपोर्ट को 11 महीने तक दवाएं रखा बल्कि उस कंपनी के कॉन्ट्रैक्ट को भी जारी रक्खा जिसके टैंकर लिए गए हैं.
क्या था मामला...
2010-11 के दौरान टैंकर घोटाला सामने आया था. टैंकरों को पानी की सप्लाई के लिए किराए पर भी लेना था. उनकी सप्लाई वहां होनी थी जहां इलाकों में पाइपलाइन नहीं थी. स्टेनलेस स्टील के 450 टैंकर किराए पर लिए जाने थे. इस काम के लिए सरकार ने 2010 में टेंडर निकाला जिसकी लागत 50.98 करोड़ रुपये रखी गई थी. 2010 का टेंडर रद्द कर अगले डेढ़ साल में चार बार टेंडर निकाले गए और इसकी लागत 50.98 करोड़ से बढ़ा कर 637 करोड़ रुपए कर दी गई. दिसंबर 2011 में 10 साल के लिए टैंकर किराए पर लिए गए.
इस मामले में शीला दीक्षित ने कहा कि उनके पास एसीबी की टीम आयी थी लेकिन उन्होंने जबाब देने के लिए कोई समयसीमा नहीं बतायी है. जब उचित समझूंगी तब जबाब दूंगी, टैंकर खरीद का फैसला सामूहिक था जिसमे कई अधिकारी और एजेंसियां लगीं थी और वो टैंकर आज भी चल रहे हैं.
एसीबी ने इसी साल जून के महीने में दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष कपिल मिश्रा और बीजेपी नेता विजेंद्र गुप्ता की शिकायत पर मामला दर्ज किया था उसके बाद जल बोर्ड के कई अधिकारियों और खुद कपिल मिश्रा से भी पूछताछ हो चुकी है. आदमी पार्टी की सरकार ने वाटर टैंकर घोटाले की जांच कराई लेकिन आरोप ये लगा की जांच रिपोर्ट आने के बाद भी उसे 11 महीने तक दबाये रखा. रिपोर्ट में कहा गया कि इस घोटाले के लिए शीला दीक्षित जिम्मेदार है. एसीबी ने कहा था कि इस मामले में अरविन्द केजरीवाल से भी पूछताछ होगी क्योंकि मौजूदा दिल्ली सर्कार ने न सिर्फ रिपोर्ट को 11 महीने तक दवाएं रखा बल्कि उस कंपनी के कॉन्ट्रैक्ट को भी जारी रक्खा जिसके टैंकर लिए गए हैं.
क्या था मामला...
2010-11 के दौरान टैंकर घोटाला सामने आया था. टैंकरों को पानी की सप्लाई के लिए किराए पर भी लेना था. उनकी सप्लाई वहां होनी थी जहां इलाकों में पाइपलाइन नहीं थी. स्टेनलेस स्टील के 450 टैंकर किराए पर लिए जाने थे. इस काम के लिए सरकार ने 2010 में टेंडर निकाला जिसकी लागत 50.98 करोड़ रुपये रखी गई थी. 2010 का टेंडर रद्द कर अगले डेढ़ साल में चार बार टेंडर निकाले गए और इसकी लागत 50.98 करोड़ से बढ़ा कर 637 करोड़ रुपए कर दी गई. दिसंबर 2011 में 10 साल के लिए टैंकर किराए पर लिए गए.
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