
क्रिप्टोकरेंसी को लेकर स्पोर्ट्स क्लब की दिलचस्पी बढ़ रही है. इसी कड़ी में पुर्तगाल के सबसे बड़े फुटबॉल क्लब Benfica ने फैन टोकन लॉन्च करने की योजना बनाई है. इसके लिए ब्लॉकचेन बेस्ड फैन एंगेजमेंट फर्म Socios के साथ टाई अप किया गया है. फैन टोकन एक प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी होते हैं जिनके होल्डर्स को क्लब से जुड़े अधिकतर फैसलों में वोट करने की अनुमति मिलती है.
Benfica के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर Domingos Soares ने एक स्टेटमेंट में कहा, "हम डिजिटल एसेट्स पर ध्यान दे रहे हैं. यह मार्केट हमारी इंडस्ट्री में प्रभाव रखता है. Benfica के फैन्स को एक पॉजिटिव एक्सपीरिएंस देने के लिए क्लब लगातार कोशिश करता है." फुटबॉल क्लब्स के लिए रेवेन्यू के सोर्स के तौर पर फैन टोकन्स का महत्व बढ़ रहा है. Manchester City, Barcelona और Paris St Germain जैसे क्लब्स को फैन टोकन्स उपलब्ध कराने वाली Socios का कहना है कि उसके पार्टनर क्लब्स को पिछले वर्ष इन टोकन्स से लगभग 20 करोड़ डॉलर मिले थे.
बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसीज की तरह फैन टोकन्स की भी एक्सचेंजों पर ट्रेडिंग की जा सकती है. हालांकि, रेगुलेटर्स की ओर से इनवेस्टर्स को ऐसे डिजिटल एसेट्स के बारे में चेतावनी दी जाती रही है. इसके बावजूद बहुत से बड़े कारोबारी और सेलेब्रिटीज क्रिप्टोकरेंसीज का समर्थन करते हैं. इनमें इलेक्ट्रिक कार मेकर टेस्ला के प्रमुख एलन मस्क और ट्विटर के फाउंडर जैक डोर्सी शामिल हैं. मशहूर फुटबॉलर Lionel Messi ने Socios को प्रमोट करने के लिए मार्च में 2 करोड़ डॉलर से अधिक का एग्रीमेंट किया था. Messi का पिछले वर्ष फुटबॉल क्लब PSG के साथ दो वर्ष का कॉन्ट्रैक्ट हुआ था. इसमें उनकी फीस के तौर पर फ्रांस के इस क्लब के फैन टोकन्स भी शामिल थे.
पिछले सीजन में Benfica का फाइनेंशियल रिजल्ट 11 वर्षों में सबसे खराब रहा था. कोरोना महामारी के कारण क्लब के रेवेन्यू पर बड़ा असर पड़ा था और इसे 1.74 करोड़ यूरो का लॉस उठाना पड़ा था. Benfica को टैक्स फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों का भी सामना करना पड़ा था. इन आरोपों की जांच की जा रही है. कुछ अन्य बड़े फुटबॉल क्लब्स पर भी महामारी का असर पड़ा है और इससे उन्हें अपने खर्चों में कटौती करने के लिए मजबूर होना पड़ा है.