
Yuzvendra Chahal on RCB: आईपीएल (IPL) में युजवेंद्र चहल (Yuvendra Chahal) अब राजस्थान रॉयल्स (Rajasthan Royald) की ओर से खेलते हैं, इससे पहले चहल 8 साल तक रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) की ओर से खेले थे. साल 2021 के बाद चहल को आरसीबी ने अपनी टीम में रिटेन नहीं किया, जब चहल आरसीबी टीम से बाहर हुए थे तो हर कोई हैरान रह गए थे. अब खुद क्रिकेटर ने अपनी बात कही है. चहल ने कहा है कि जब आरसीबी ने उन्हें रिटेन नहीं किया तो उन्हें काफी दुख पहुंचा था. भारतीय स्पिनर ने रणवीर अल्लाहबादिया के साथ इंटरव्यू में दिल खोलकर अपनी बात कही.
चहल ने कहा कि, "इतने सालों तक एक ही टीम के साथ खेलने से आप उस टीम को अपने परिवार की तरह मान लेतो हो. मैंने देखा था कि जब मैं आरसीबी से बाहर हुआ तो कई तरह की बातें सामने आई थी कि चहल ने ज्यादा पैसे मांग लिए होंगे. ये सभी बातें बकवास हैं. इसलिए मैंने इस बारे में इंटरव्यू में कहा था कि, मैं कुछ पैसे नहीं मांगा था. मैंने कुछ नहीं बोला कि भाई मेरे को इतना पैसा चाहिए. सच्चाई मुझे पता है, मेरे को पता है कि मैं कितना पैसा डिजर्व करता हूं"
स्पिनर ने अपनी बात आगे रखते हुए कहा कि, "मुझे सबसे बुरा उस बात का लगा कि, मेरे को कोई फोन कॉल नहीं आया, न ही मेरे से किसी ने बात की, कम से कम आप बात करते. क्योंकि मैं उनके लिए 140 मैच खेल चुका था. मेरे को कुछ पता नहीं चला कि उन्होंने मेरे को टीम से बाहर क्यों किया.
चहल ने कहा कि, "ऑक्शन में जब मैं आया तो उन्होंने मुझसे वादा किया कि वो आपको टीम में शामिल करने के लिए हर संभव बोली लगाएंगे. लेकिन जब मैं ऑक्शन में गया तो मुझे काफी गुस्सा आया. मैंने 8 साल किसी एक टीम को दिया है. चिन्ना स्वामी मेरा फेवरेट रहा है. वहां से मुझे काफी गुस्सा लगा, यहां तक कि जब आरसीबी के साथ मेरा मैच हुआ तो मैंने कोच से भी बात नहीं की थी. मैंने किसी से बात नहीं किया. ऑक्शन में आप जाते हो तो कुछ भी हो सकता है. .."
इसके अलावा युजवेंद्र ने आगे कहा कि, जो भी होता है अच्छे के लिए होता है. राजस्थान रॉयल्स में शामिल होने के बाद मेरे साथ एक अच्छी बात ये हुई कि मैं डेथ बॉलर बन गया हूं. मैंने डेथ ओवरों में गेंदबाजी करना शुरू कर दिया है. आरसीबी में मैं अधिकतम 16वां या 17वां ओवर फेंकता था.. आरआर में, मैं डेथ बॉलर बन गया और मेरी क्रिकेटिंग ग्रोथ 5 से 10 प्रतिशत बढ़ गई.. तभी मुझे एहसास हुआ कि जो भी होता है अच्छे के लिए होता है. कभी-कभी किसी विशेष टीम के लिए 10 साल तक खेलने के बाद लोग नई टीमों में जाते हैं.. यह ठीक है, एक पेशेवर क्रिकेटर के तौर पर आपको ऐसी चीजों से निपटना पड़ता है."
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