यह ख़बर 23 नवंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

तूफानी गेंदबाज से ज्यादा खतरनाक होती है गुस्साई बीवी : तेंदुलकर

खास बातें

  • सचिन तेंदुलकर ने दुनिया भर के तेज गेंदबाजों को भले ही छठी का दूध याद दिलाया हो, लेकिन इस स्टार बल्लेबाज का मानना है कि जब बीवी गुस्से में हो, तो उसका सामना करना सबसे मुश्किल होता है।
नई दिल्ली:

सचिन तेंदुलकर ने अपनी बेहतरीन बल्लेबाजी से दुनिया भर के तेज गेंदबाजों को भले ही छठी का दूध याद दिलाया हो, लेकिन इस स्टार भारतीय बल्लेबाज का मानना है कि जब बीवी गुस्से में हो, तो उसका सामना करना सबसे मुश्किल होता है।

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में दो दशक से अधिक समय बिताने वाले तेंदुलकर ने मराठी पुस्तक 'संवाद लीजेंड शी' (महान खिलाड़ियों से बातचीत) ने क्रिकेट से इतर की बातें की हैं। तेंदुलकर से लंदन में साक्षात्कार के दौरान जब हल्के-फुल्के अंदाज में पूछा गया कि कौन ज्यादा डरावना होता है, गुस्साया तेज गेंदबाज या गुस्साई बीवी?

तेंदुलकर ने भी इसी अंदाज में जवाब दिया, आपने तो यहां मुझे मुश्किल में डाल दिया। अभी मैं घर से बाहर हूं, इसलिए कह सकता हूं कि गुस्साई बीवी। इस स्टार बल्लेबाज ने उन लोगों का जिक्र भी किया, जिन्होंने उनके करियर में अहम योगदान दिया। अपने पिता और बड़े भाई के अलावा तेंदुलकर ने अपनी पत्नी सहित तीन महिलाओं का जिक्र किया, जिन्होंने उनके जीवन में अहम भूमिका निभाई।

उन्होंने कहा, ‘मैं अपनी मां से शुरुआत करूंगा। उनकी जगह कोई नहीं ले सकता। वह यह सुनिश्चित करती थीं कि मैं पर्याप्त भोजन करूं, ताकि मैं प्रत्येक दिन घंटों तक अभ्यास कर पाऊं। मेरी मां कामकाजी महिला थी। वह कार्यालय जाकर वहां घंटों काम करती थी और इसके बाद परिवार का भी ध्यान रखती थी।

उन्होंने कहा, क्योंकि जब मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया, तो मुझे अपना स्कूल बदलना पड़ा। मुझे अपने घर से स्कूल जाने के लिए दो बसें बदलनी पड़ती थीं। इसके बाद मुझे फिर अभ्यास के लिए जाना पड़ता था। इसलिए मेरे परिवार ने मुझे अंकल और आंटी के पास छोड़ने का फैसला किया। मैं जहां अभ्यास करता था, वहां से उनका घर कुछ ही दूर था। मेरा स्कूल भी वहां से 10 मिनट की दूरी पर था। तेंदुलकर ने इसमें अपनी पत्नी अंजलि को भी शामिल किया और कहा कि उन्होंने उन्हें जिंदगी के नए मायने सिखाए।

उन्होंने कहा, आखिरी, लेकिन महत्वपूर्ण मेरी पत्नी है। मैं 1990 में अपनी पत्नी से मिला और वह मुझे अब 21 साल से जानती है। यह काफी लंबा समय है। वह मेरे करियर के सभी उतार-चढ़ावों, उन बुरे दौरों, जबकि मैं चोटिल था, मेरे साथ रहीं।

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तेंदुलकर ने कहा, मेरे लिए जो मुश्किल दौर था, उसमें उन्होंने मुझे जिंदगी के दूसरे पहलू से अवगत कराया। जब मैं चोटिल या हताश होता था, तो उन्होंने मुझे अलग तरह से सोचना सिखाया। ईश्वर ने मुझे जो कुछ दिया है, उसके बदल शुक्रिया अदा करना और जो कुछ नहीं दिया, उसके बदले शिकायत नहीं करना उन्होंने ही सिखाया। इस तरह से जिंदगी को अलग तरह से देखने से मेरे करियर में काफी अंतर पैदा हुआ। इसलिए मैं उनका भी शुक्रिया अदा करता हूं।