अंडर 19 वर्ल्डकप में भारतीय टीम ने अपने सभी मैच बेहद आसानी से जीते (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
पृथ्वी शॉ की ब्रिगेड ने शानदार अंदाज में यह कर दिखाया... भारतीय टीम ने आज न्यूजीलैंड में एकतरफा फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया को 8 विकेट से हराकर आईसीसी अंडर19 वर्ल्डकप जीत लिया है. भारत ने चौथी बार जूनियर वर्ल्डकप हासिल किया है. पृथ्वी शॉ से पहले मोहम्मद कैफ (2000), विराट कोहली (2008) और उन्मुत चंद (2012) अंडर 19 वर्ल्डकप में चैंपियन बनी भारतीय टीम की अगुवाई कर चुके हैं. भारतीय टीम ने इस बार ऑस्ट्रेलिया को हराकर टूर्नामेंट में अपने अभियान का आगाज किया था और आज इसी टीम को फाइनल में हराकर अपने अभियान का समापन किया. पूरे टूर्नामेंट के दौरान भारतीय टीम, क्रिकेट समीक्षकों की चहेती बनी रही. अपने शुरुआती मैचों में टीम ने जिस तरह का प्रदर्शन किया था, उसे देखते हुए फाइनल से पहले ही कोच राहुल द्रविड़ के मार्गदर्शन में बढ़-चढ़कर प्रदर्शन करने वाली भारतीय टीम को अन्य टीमों के मुकाबले में बेहद मजबूत माना जा रहा था.अंडर 19 वर्ल्डकप की इस जीत को भारतीय क्रिकेट के लिहाज से मील का पत्थर माना जा रहा है. नजर डालते हैं, उन कारणों पर जो इस जीत को बेहद बड़ा बना रहे हैं... हर विपक्षी टीम को ऑल आउट किया
प्रतियोगिता के फाइनल मुकाबले सहित भारतीय टीम ने छह मैच खेले. इन सभी मैचों में भारत ने अपनी सभी विपक्षी टीमों को आउट किया. टीम का यह प्रदर्शन उसके गेंदबाजों और फील्डरों की कड़ी मेहनत का दिखाता है. पृथ्वी शॉ की इस टीम ने पहले मैच में ऑस्ट्रेलिया को 228 के स्कोर पर ढेर कर दिया. पापुआ न्यू गिनी की टीम इसके आगे 64 और जिम्बाब्वे की टीम 154 रन पर आउट हुई. क्वार्टर फाइनल में भारतीय टीम ने बांग्लादेश को 134 रन पर ढेर किया तो सेमीफाइनल में पाकिस्तान को महज 69 रन पर. फाइनल में ऑस्ट्रेलिया की टीम इसके आगे 216 रन पर ढेर हुई. हर जीत का अंतर रहा 'विशाल'
भारतीय टीम ने प्रतियोगिता के अपने सारे मैच बड़े अंतर से जीते. दूसरे शब्दों में कहें तो लगा ही नहीं कि दूसरी टीमें उसे मुकाबला दे पा रही हैं. पहले मैच में वह ऑस्ट्रेलिया से 100 रन से जीती. इसके बाद अगले दो मैचों में पापुआ न्यू गिनी और जिम्बाब्वे की टीमों का बुरा हाल हुआ. ये दोनों मैच भारत ने 10 विकेट से जीते. क्वार्टर फाइनल में बांग्लादेश 131 रन से हारा तो सेमीफाइनल में प्रबल प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान 203 रन से. फाइनल में टीम ने 67 गेंद शेष रहते मजबूत ऑस्ट्रेलिया को 8 विकेट से रौंद डाला. बल्लेबाजों ने अपने कौशल से हर किसी को प्रभावित किया
विजेता टीम के सदस्य पृथ्वी शॉ और शुभमन गिल को भविष्य का चमकीला सितारा माना जा रहा है. शुभमन ने पाकिस्तान के खिलाफ मैच में गजबका टेम्परामेंट दिखाते हुए शतक बनाया. अपनी बल्लेबाजी ने उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि टीम अपने स्कोर को सम्मानजनक बनाने में सफल रहे. पृथ्वी शॉ को शॉट खेलने की उनकी नैसर्गिक क्षमता के कारण काफी ऊंचा रेट किया जा रहा है. फाइनल में शतक जमाते हुए मनजोत कालरा ने भी दिखा दिया कि वे भी किसी से कम नहीं हैं. इस टीम में कई ऐसे खिलाड़ी हैं जो बल्लेबाजी और गेंदबाजीं, दोनों में समान रूप से कुशल हैं. इससे टीम में गजब का संतुलन दिखाई दिया.
वीडियो: गावस्कर ने इस अंदाज में की विराट कोहली की तारीफ
140+ के दो गेंदबाजों ने सबका ध्यान खींचा
आमतौर पर स्पिन गेंदबाजी को भारत की ताकत माना जाता है, लेकिन इस बार की भारतीय टीम इसका अपवाद साबित हुई. दो तेज गेंदबाजों कमलेश नागरकोटी और शिवम मावी ने तमाम विपक्षी बल्लेबाजों को मुश्किल में डाला. ये दोनों ही 145 किमी प्रति घंटा के आसपास की गति से लगातार गेंदबाजी करने में सक्षम हैं. गति के अलावा ये लाइन-लेंथ और वेरिएशन के मामले में भी बेजोड़ नजर आए. टूर्नामेंट में 149 किमी प्रति घंटा की गति से गेंद फेंकने वाले नागरकोटी से वेस्टइंडीज के दिग्गज तेज गेंदबाज इयान बिशप काफी प्रभावित दिखे. उनका मानना था कि लयबद्ध एक्शन के कारण ही नागरकोटी अपनी गेंदों में इतनी गति 'भरने' में सफल होते हैं. कुल मिलाकर अंडर 19 वर्ल्डकप 2018 की इस जीत ने साबित कर दिया है कि भारतीय क्रिकेट सही राह पर है...
प्रतियोगिता के फाइनल मुकाबले सहित भारतीय टीम ने छह मैच खेले. इन सभी मैचों में भारत ने अपनी सभी विपक्षी टीमों को आउट किया. टीम का यह प्रदर्शन उसके गेंदबाजों और फील्डरों की कड़ी मेहनत का दिखाता है. पृथ्वी शॉ की इस टीम ने पहले मैच में ऑस्ट्रेलिया को 228 के स्कोर पर ढेर कर दिया. पापुआ न्यू गिनी की टीम इसके आगे 64 और जिम्बाब्वे की टीम 154 रन पर आउट हुई. क्वार्टर फाइनल में भारतीय टीम ने बांग्लादेश को 134 रन पर ढेर किया तो सेमीफाइनल में पाकिस्तान को महज 69 रन पर. फाइनल में ऑस्ट्रेलिया की टीम इसके आगे 216 रन पर ढेर हुई.
भारतीय टीम ने प्रतियोगिता के अपने सारे मैच बड़े अंतर से जीते. दूसरे शब्दों में कहें तो लगा ही नहीं कि दूसरी टीमें उसे मुकाबला दे पा रही हैं. पहले मैच में वह ऑस्ट्रेलिया से 100 रन से जीती. इसके बाद अगले दो मैचों में पापुआ न्यू गिनी और जिम्बाब्वे की टीमों का बुरा हाल हुआ. ये दोनों मैच भारत ने 10 विकेट से जीते. क्वार्टर फाइनल में बांग्लादेश 131 रन से हारा तो सेमीफाइनल में प्रबल प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान 203 रन से. फाइनल में टीम ने 67 गेंद शेष रहते मजबूत ऑस्ट्रेलिया को 8 विकेट से रौंद डाला.
विजेता टीम के सदस्य पृथ्वी शॉ और शुभमन गिल को भविष्य का चमकीला सितारा माना जा रहा है. शुभमन ने पाकिस्तान के खिलाफ मैच में गजबका टेम्परामेंट दिखाते हुए शतक बनाया. अपनी बल्लेबाजी ने उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि टीम अपने स्कोर को सम्मानजनक बनाने में सफल रहे. पृथ्वी शॉ को शॉट खेलने की उनकी नैसर्गिक क्षमता के कारण काफी ऊंचा रेट किया जा रहा है. फाइनल में शतक जमाते हुए मनजोत कालरा ने भी दिखा दिया कि वे भी किसी से कम नहीं हैं. इस टीम में कई ऐसे खिलाड़ी हैं जो बल्लेबाजी और गेंदबाजीं, दोनों में समान रूप से कुशल हैं. इससे टीम में गजब का संतुलन दिखाई दिया.
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140+ के दो गेंदबाजों ने सबका ध्यान खींचा
आमतौर पर स्पिन गेंदबाजी को भारत की ताकत माना जाता है, लेकिन इस बार की भारतीय टीम इसका अपवाद साबित हुई. दो तेज गेंदबाजों कमलेश नागरकोटी और शिवम मावी ने तमाम विपक्षी बल्लेबाजों को मुश्किल में डाला. ये दोनों ही 145 किमी प्रति घंटा के आसपास की गति से लगातार गेंदबाजी करने में सक्षम हैं. गति के अलावा ये लाइन-लेंथ और वेरिएशन के मामले में भी बेजोड़ नजर आए. टूर्नामेंट में 149 किमी प्रति घंटा की गति से गेंद फेंकने वाले नागरकोटी से वेस्टइंडीज के दिग्गज तेज गेंदबाज इयान बिशप काफी प्रभावित दिखे. उनका मानना था कि लयबद्ध एक्शन के कारण ही नागरकोटी अपनी गेंदों में इतनी गति 'भरने' में सफल होते हैं. कुल मिलाकर अंडर 19 वर्ल्डकप 2018 की इस जीत ने साबित कर दिया है कि भारतीय क्रिकेट सही राह पर है...
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