
Rohit Sharma's retirement: देश के तमाम चैनलों पर चल रही ऑपरेशन सिंदूर की चर्चाओं के बीच रोहित शर्मा (Rohit Sharma) ने बुधवार को टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेकर अपने करोड़ों प्रशंसकों सहित सभी को भौंचक्का दिया. यही वह रोहित शर्मा हैं, जिन्होंने कुछ महीने पहले ही इरफान पठान के साथ इंटरव्यू में कहा था, 'मैं कहीं नहीं जा रहा.' यह वही रोहित हैं, जो चैंपियंस ट्रॉफी में खिताबी जीत के बाद इंग्लैंड दौरे में टेस्ट टीम की कप्तानी करने को लेकर बहुत ही ज्यादा उत्साहित थे. रोहित ने कंगारू पूर्व कप्तान माइकल क्लार्क के पोडकास्ट 'बियांड 23' में इंग्लैंड दौरे में टीम की कमान संभालने और जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी और मोहम्मद सिराज जैसे आक्रमण की अगुवाई करने को लेकर विस्तार से बात की थी, लेकिन मंगलवार को हुए बड़े घटनाक्रम के बाद साफ हो गया कि अब रोहित के पास टेस्ट फॉर्मेट को टा-टा कहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. और बुधवार को उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से इस पर मुहर लगा दी.
Thank you, Captain 🫡🫡
— BCCI (@BCCI) May 7, 2025
End of an era in whites!@ImRo45 bids adieu to Test cricket. He will continue to lead India in ODIs.
We are proud of you, Hitman 🫡🫡 pic.twitter.com/azlpZFWdhn
सेलेक्टरों ने बीसीसीआई से साझा किया प्लान
चीफ सेलेक्टर अजित अगरकर और उनके साथियों ने पिछले नहीं एक नहीं, बल्कि कई बार टेस्ट टीम में रोहित के भविष्य को लेकर विस्तार से चर्चा की. और कई मीटिंग और फिर मंगलवार को आखिरी मुलाकात के बाद सभी रोहित को एकमत से कप्तानी न सौंपने पर सहमत थे. और चीफ सेलेक्टर ने साथियों और अपनी राय से रविवार को बीसीसीआई को अवगत करा दिया. और बोर्ड के आला अधिकारियों ने भी इस राय पर मुहर लगाते हुए रोहित को फैसले से अवगत करा दिया. इसी के बाद ही रोहित ने टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहने का फैसला ले लिया.
सेलेक्टरों का प्लान भी बना वजह
दरअसल अगरकर एंड कंपनी ने फैसला ले लिया था कि वह इंग्लैंड दौरे में 'भविष्य के कप्तान' के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं. वैसे बीसीसीआई का एक धड़ा रोहित को ही इंग्लैंड दौरे में टेस्ट टीम के कप्तान के रूप में देखना चाहता था. और चैंपियंस ट्रॉफी की जीत ने पलड़ा रोहित की तरफ और झुका दिया था. मगर चयन समिति की पॉलिसी में 38 साल के रोहित शर्मा फिट नहीं बैठ रहे थे. पांचों सेलेक्टर्स एकमत थे कि अब किसी युवा खिलाड़ी को कप्तानी सौंपने का समय आ गया है और इन्होंने जब फैसला लिया, तो बीसीसीआई के शीर्ष अधिकारी भी चयन समिति की बात को नहीं टाल सके.

यह प्रदर्शन बना ताबूत में आखिरी कील!
बात सिर्फ रोहित की 38 साल की उम्र और भविष्य के कप्तान को लेकर भी नहीं थी! अगर रोहित की रेड-बॉल फॉर्म ने साथ दिया होता, तो ये तमाम पहलू गौण हो जाते, लेकिन खराब फॉर्म ने ही सारी बात बिगाड़ दी. चैंपियंस ट्रॉफी से पहले ऑस्ट्रेलिया दौरे में खेले 3 टेस्ट मैचों में रोहित पूरी तरह जंग लगे दिखाई पड़े. वह 3 टेस्ट मैचों की पारियों में सिर्फ 6.20 के औसत से सिर्फ 31 रन रन ही बना सके थे. और यह खराब प्रदर्शन उनकी सेलेक्टरों के फैसले रूपी ताबूत में आखिरी कील बन गया.
इस खराब फॉर्म से सेलेक्टरों से दूर होते गए
वास्तव में रोहित रेड बॉल क्रिकेट में लंबे समय से खराब फॉर्म से गुजर रहे थे. पिछले साल रोहित ने 14 टेस्ट मैच खेले. और इसकी 26 पारियों में वह 2 शतक और इतने ही अर्द्धशतकों से सिर्फ 24.76 के औसत के साथ 619 रन ही बना सके. मैच दर मैच रोहित की नाकामी उनको सेलेक्टरों से दूर करती गई! लेकिन ऑस्ट्रेलिया दौरे की नाकामी ने सेलेक्टरों की थोड़ी बहुत बची सहानुभूति और जगह को पूरी तरह से खत्म कर दिया.
इस सीरीज ने बिगाड़ दिया पूरा गणित!
पिछले साल न्यूजीलैंड टीम भारत दौरे पर आई, तो वह हुआ जो भारतीय टेस्ट इतिहास में कभी नहीं हुआ. कीवी टीम ने सभी को चौंकाते हुए घर में शेर कहे जाने वाली टीम इंडिया का 3-0 से सफाया कर दिया. कप्तान रोहित बुरी तरह से नाकाम रहे और उन्होंने 6 पारियों में 15.16 के औसत से सिर्फ 91 ही रन बनाए. लेकिन इस सीरीज ने रोहित और भारत पर बड़ा कलंक लगाने के अलावा सबसे बड़ा नुकसान यह किया कि इसने भारत के WTC Final में पहुंचने पर जबर्दस्त प्रहार किया. अगर भारत यह सीरीज जीतता भी नहीं और ड्रॉ खेल लेता, तो एक बार को कंगारुओं से हारने के बाद भी भारत WTC Final खेल सकता था, लेकिन इस न्यूजीलैंड सीरीज ने टीम इंडिया और करोड़ों भारतीय फैंस के सपने पर पानी फेर दिया.
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