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This Article is From Jan 23, 2017

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा, अन्य खेलों में भी क्यों न लागू हों लोढा समिति की सिफारिशें

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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा, अन्य खेलों में भी क्यों न लागू हों लोढा समिति की सिफारिशें
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों बीसीसीआई अध्यक्ष और सचिव को पद से हटा दिया था...
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सभी खेल फेडरेशनों को BCCI की तरह रिफॉर्म करने वाली याचिका पर सोमवार को केंद्र को नोटिस भेजा है. कोर्ट ने मामले को BCCI मामले की सुनवाई के साथ भी जोड़ दिया है. एक याचिका में कहा गया था कि BCCI की तरह लोढा पैनल की सिफारिशों को देश के बाकी खेल फेडरेशनों में भी लागू किया जाना चाहिए, क्योंकि इन फेडरेशनों में भी सुधार की जरूरत है. अब देखने वाली बात यह होगी कि केंद्र सरकार इस पर क्या जवाब देती है.

सर्वोच्च अदालत ने सोमवार को केन्द्र सरकार से पूछा है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) में प्रशासिक सुधार के लिए लोढा पैनल की सिफारिशों को अन्य खेल संस्थाओं में भी क्यों नहीं लागू किया जाना चाहिए? अदालत ने इस मुद्दे पर अर्जुन पुरस्कार हासिल करने वाले खिलाड़ियों द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह पूछा है. इस याचिका में पूर्व हॉकी खिलाड़ी अशोक कुमार का नाम भी शामिल है. न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर, न्यायमूर्ति एनवी रामाना और न्यायमूर्ति डीवाय चन्द्रचूड़ की खंडपीठ ने याचिका पर केन्द्र सरकार की प्रतिक्रिया मांगी है.

जानिए क्यों हुआ था लोढा पैनल का गठन
दरअसल बीसीसीआई के लिए मुश्किलों का दौर साल 2013 में शुरू हुआ था, जब आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग और मैच फिक्सिंग के मामले ने जोर पकड़ा. दिल्ली पुलिस ने आईपीएल टीम राजस्थान रॉयल के तीन खिलाड़ियों को गिरफ्तार किया. इन पर मैच के दौरान स्पॉट फ़िक्सिंग में लिप्त होने का आरोप था. इसके कुछ ही दिन बाद उस समय के बीसीसीआई प्रमुख एन श्रीनिवासन के दामाद और उनकी आईपीएल टीम चेन्नई सुपर किंग्स के सीईओ गुरुनाथ मयप्पन और अभिनेता बिंदु दारा सिंह भी हिरासत में ले लिए गए. इस मामले ने तूल पकड़ा और वह सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान इसकी जांच के लिए जस्टिस मुकुल मुद्गल के अध्यक्षता में एक कमेटी बना दी, जिसने साल 2014 में अपनी रिपोर्ट सौंपी.

मुद्गल कमेटी की रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई में सुधारों की जरूरत महसूस करते हुए कुछ सख्त निर्देश दिए और इसके लिए जनवरी, 2015 को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व प्रधान न्यायाधीश जस्टिस आरएम लोढा के नेतृत्व में तीन सदस्यों की कमेटी गठित कर दी. फिर जस्टिस लोढ़ा कमेटी ने  4 जनवरी, 2016 को बीसीसीआई में सुधारों के लिए कई् अहम सिफारिशें रखीं. बीसीसीआई ने इनमें से कई सिफारिशों पर तो हां कह दिया, लेकिन कुछ को लेकर अड़ियल रुख अपना लिया. बस तब से इस पर कई दौर की सुनवाई हो चुकी थी और बीसीसीआई अपने रुख से डिगने को तैयार नहीं था. सुप्रीम कोर्ट ने उसे कई बार चेतावनी भी दी, उसका फंड भी रोका, लेकिन बोर्ड अपनी समस्याओं का रोना रोता रहा. अंत में कोर्ट ने बोर्ड अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के को पद से हटा दिया.

लोढा पैनल की कुछ मुख्य सिफारिशें
  • 9 सदस्यों वाली परिषद! लोढा पैनल ने यह सिफारिश की थी कि बीसीसीआई की 14 सदस्यों वाली कार्यकारिणी कमेटी की जगह 9 सदस्यों वाली शीर्ष परिषद बनाई जाए.
  • 70 साल से अधिक वाले पद छोड़े! एक अहम सिफारिश यह थी कि 70 साल से अधिक की उम्र का कोई भी व्यक्ति बीसीसीआई या राज्य बोर्ड की किसी भी कमेटी का सदस्य न बने.
  • एक राज्य-एक संघ! पैनल ने कहा था कि किसी भी राज्य में सिर्फ एक ही संघ होना चाहिए और एक राज्य सिर्फ एक वोट कर सकता है. अगर एक राज्य में एक से ज्यादा क्रिकेट संघ है तो वह रोटेशन के तहत वोट दें.
  • 3 सदस्यों वाली चयन समिति! बीसीसीआई की कार्यकारिणी कमेटी में कोई भी मंत्री या सरकारी अधिकारी न हो. टीम चयन के लिए पांच सदस्यों की जगह तीन सदस्य वाली चयन समिति बने.
  • 3 साल का कार्यकाल! पैनल ने कहा कि एक पदाधिकारी एक बार में केवल तीन साल के लिए ही बीसीसीआई की कार्यकारिणी का सदस्य रहे और ज्यादा से ज्यादा तीन बार बीसीसीआई का चुनाव लड़े. लगातार दो बार कोई भी पदाधिकारी किसी भी पद पर नहीं रह सकता.
  • अलग-अलग संचालन! आईपीएल और बीसीसीआई की अलग-अलग संचालन संस्था हो. आईपीएल और राष्ट्रीय कैलेंडर के बीच 15 दिन का अंतर होना चाहिए यानी आईपीएल ख़त्म होने के 15 दिन के बाद खिलाड़ी कोई भी अंतरराष्ट्रीय मैच खेल सकता है.
  • सट्टेबाजी को वैधता! लोढा पैनल ने सट्टेबाज़ी को वैध करने की सिफारिश की थी, लेकिन यह भी कहा था कि कोई खिलाड़ी, प्रबंधक और पदाधिकारी सट्टेबाज़ी का हिस्सा न हो. पैनल ने यह भी सिफारिश की कि मैच फिक्सिंग और स्पॉट फिक्सिंग को अपराध माना जाए.  
  • एक व्यक्ति-एक पद! एक सदस्य सिर्फ एक पद पर रहे चाहे वह राज्य क्रिकेट बोर्ड के किसी समिति का हो या बीसीसीआई की मूल समिति का.
  • RTI के दायरे में लाना! बीसीसीआई को आरटीआई एक्ट के दायरे में लाया जाए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इसे संसद का मामला बताया था और इसे नहीं माना.
  • खिलाड़ियों के हित के लिए एक संघ बनाए जाए और उसकी फंडिंग बीसीसीआई करे.

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