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This Article is From Jun 30, 2016

रवि शास्त्री vs सौरव गांगुली: जब कोच का चुनाव बन गया व्यक्तिगत टकराव का कारण

रवि शास्त्री vs सौरव गांगुली: जब कोच का चुनाव बन गया व्यक्तिगत टकराव का कारण
टीम इंडिया के डायरेक्टर के रूप में सफल रहे हैं शास्त्री (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: 1992 के ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए जब सौरव गांगुली पहली बार टीम इंडिया में शामिल हुए थे, तो उस टीम का हिस्सा रवि शास्त्री भी थे। इस टूर के दौरान दोनों खिलाड़ियों ने एक ही ड्रेसिंग रूम साझा किया था, लेकिन गांगुली और शास्त्री कभी एक साथ मैच नहीं खेल पाए, क्योंकि इस सीरीज में गांगुली को एक ही मैच खेलने का मौका मिला था, जिसमें रवि शास्त्री को मौका नहीं मिला था।

इस सीरीज के बाद सौरव गांगुली को टीम से बाहर कर दिया गया था और 4 साल तक वह बाहर ही रहे। 1996 में जब सौरव की वापसी हुई, तब तक शास्त्री क्रिकेट को अलविदा कह चुके थे।

पहले कभी सामने नहीं आया टकराव
इससे पहले शास्त्री और गांगुली के बीच कभी टकराव देखने को नहीं मिला था, लेकिन इन दिनों दोनों खिलाड़ी एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हुए नज़र आ रहे हैं। टीम इंडिया के लिए खेलते हुए दोनों ने भारत को कई मैचों और टूर्नामेंट में जीत दिलाई, लेकिन आज उसी टीम के कोच के चुनाव को लेकर दोनों एक-दूसरे के ऊपर हमले कर रहे हैं।

कुछ दिन पहले क्रिकेटप्रेमियों के बीच चर्चा का एक ही विषय था कि टीम इंडिया का नया कोच कौन होगा। सभी जानना चाह रहे थे कि कोच देसी होगा या विदेशी। टॉम मूडी को छोड़कर जब किसी बड़े विदेशी खिलाड़ी ने आवेदन नहीं किया, तभी यह लगभग तय हो गया था कि किसी भारतीय को ही कोच बनाया जाएगा।
 
सचिन, सौरव और लक्ष्मण कोच चयन समिति के सदस्य थे (फाइल फोटो)

जब शास्त्री का सपना टूटा
सब यही उम्मीद कर रहे थे कि टीम इंडिया के कोच रवि शास्त्री बनेंगे, क्योंकि पिछले 18 महीने में उन्होंने टीम डायरेक्टर के रूप में अच्छा काम किया था, लेकिन भारत के पूर्व लेग स्पिनर अनिल कुंबले ने जब आवेदन किया तब समीकरण बदल गए। क्रिकेटप्रेमियों का जो सपोर्ट शास्त्री के लिए था, वह अनिल कुंबले की तरफ शिफ्ट होता नज़र आया। यह स्वाभाविक भी था, क्योंकि कुंबले शास्त्री से अच्छे खिलाड़ी रहे हैं। सबसे बड़ा फैक्टर यह था कि कुंबले ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से 2008 में संन्यास लिया था, जबकि शास्त्री ने 1992 में। इसलिए कम उम्र और आधुनिक क्रिकेट की समझ अनिल कुंबले के फेवर में रही।

जब कोच चुनने की जिम्मेदारी सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण को दी गई तब यह उम्मीद की जा रही थी कि ये तीनों सही निर्णय लेंगे और चयन कुंबले का होगा। तीनों ने रवि शास्त्री की तुलना में अनिल कुंबले के साथ ज्यादा मैच खेले हैं, ऐसे में वे कुंबले के स्वभाव और निष्ठा को लेकर ज्यादा आश्वस्त थे।

कैसे शुरू हुआ व्यक्तिगत टकराव
कोच नहीं बन पाने के बाद रवि शास्त्री का दुखी होना स्वाभाविक था। उन्होंने एक अखबार को इंटरव्यू दिया, जिसमें उन्होंने चयन प्रक्रिया में सौरव गांगुली की भूमिका पर सवाल उठाया। शास्त्री का कहना था कि इंटरव्यू के दौरान सौरव गांगुली मौजूद नहीं थे। फिर अलग-अलग अखबार में शास्त्री के इंटरव्यू आने लगे और सभी में वे सौरव पर नाराज़ होते नज़र आए। उन्होंने यह मैसेज देने की कोशिश की कि वे गांगुली की वजह से कोच नहीं बन पाए। मीडिया ने भी गांगुली और शास्त्री के विवाद को ऐसे पेश किया जैसे दोनों के बीच महाभारत चल रही हो। रवि शास्त्री के इंटरव्यू में बहुत कुछ था लेकिन चर्चा सिर्फ शास्त्री और गांगुली के टकराव पर हुई।
 
अनिल कुंबले को टीम इंडिया का नया कोच चुना गया है।

गांगुली ने कैसे दिया शास्त्री को जवाब
पहले सौरव गांगुली, शास्त्री के बयान को नज़रअंदाज़ करते नज़र आए, लेकिन जब बात आगे बढ़ी तो गांगुली को जवाब देने के लिए सामने आना पड़ा। बुधवार को मीडिया से बात करते हुए गांगुली ने रवि शास्त्री पर हमला बोल दिया। उन्होंने कहा, 'अगर रवि शास्त्री सोचते है कि वह गांगुली की वजह से कोच नहीं बन पाए तो वे बेवकूफों की दुनिया में रह रहे हैं।'

रवि शास्त्री बार-बार इंटरव्यू में सौरव की अनुपस्थिति को लेकर सवाल उठा रहे थे, इसका जवाब देते हुए सौरव ने कहा कि उन्होंने बीसीसीआई को पहले ही सूचना दे दी थी कि इंटरव्यू के दिन 5 बजे लेकर 6.30 तक वे बंगाल क्रिकेट एसोसिशन की मीटिंग में व्यस्त रहेंगे। गांगुली का यह भी कहना था कि अगर वे इंटरव्यू के में मौजूद नहीं थे तो रवि शास्त्री खुद भी मौजूद नहीं थे। उन्हें भारत आकर इंटरव्यू देना चाहिए था। दरअसल शास्त्री ने स्काइप के जरिए इंटरव्यू दिया था क्योंकि इंटरव्यू के दौरान वे बैंकॉक में छुट्टी मना रहे थे।

यह बात यहीं ख़त्म होने वाली नहीं है। आगे इस तरह के कई टकराव देखने को मिल सकते हैं। रवि शास्त्री ने अपना तीर चला दिया है, यदि अनिल कुंबले कोच के रूप में सफल होते हैं तब तो अच्छी बात है, लेकिन यदि वे विफल होते हैं तो सवाल चयन समिति पर उठाए जा सकते हैं। यह तर्क भी दिया जा सकता है कि टीम डायरेक्टर के रूप में सफल हुए रवि शास्त्री को कोच क्यों नहीं बनाया गया? ऐसे में जो क्रिकेटर और क्रिकेटप्रेमी कुंबले को लेकर आज खुश नज़र आ रहे हैं, समय आने पर वे कुंबले की आलोचना करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।

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