संजय किशोर का स्ट्रेट ड्राइव : धो देंगे धोनी के धुरंधर...

नई दिल्ली : एक नहीं, दो नहीं, पूरे तीन हैं। गैरी कर्स्टन, एलेन डॉनाल्ड और माइकल हसी... दिन-रात षडयंत्र, रणनीति और योजना बनाने में लगे हुए हैं। ये सारी तैयारी हो रही है वर्ल्ड चैम्पियन टीम इंडिया को रविवार को मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर मात देने के लिए।

जी हां। यहां बात हो रही है उस टीम की, जिसका निक नेम है 'प्रोटियाज़' और जिसे वर्ल्ड कप के दावेदारों में गिना जा रहा है। इस बार तैयारी खास है, क्योंकि टीम के साथ एक अपशगुन जुड़ा हुआ है। वर्ल्ड कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में दक्षिण अफ्रीका की टीम इतने दबाव में आ जाती है कि कभी सेमीफाइनल से आगे नहीं बढ़ पाई और टीम के साथ एक टैग जुड़ गया - 'चोकर्स'...

लिहाज़ा इस बार इरादा इतिहास बदलने का है। इस बार टीम बेहद संतुलित मानी जा रही है। बल्लेबाज़ी, गेंदबाज़ी या फिर क्षेत्ररक्षण - क्रिकेट से जुड़े तीनों क्षेत्रों में इस टीम का जवाब नहीं। टीम के कप्तान एबी डिविलियर्स को वर्ल्ड कप का सबसे मूल्यवान खिलाड़ी कहा जा रहा है। वन-डे में सबसे तेज़ शतक बना चुके हैं। फॉर्म इतना ज़बरदस्त है कि पिछले एक साल में 1,000 से ज़्यादा रन ठोक चुके हैं। फिर टीम में है प्रोटियाज़ टेस्ट कप्तान हाशिम आमला। पिछले एक साल में उनका डिविलियर्स से भी बेहतर रिकॉर्ड है। 22 वन-डे मैचों में 1,300 से ज़्यादा रन। सचिन तेंदुलकर कहते हैं कि न सिर्फ वह शानदार बल्लेबाज़ हैं, बल्कि उनको देखकर लगता है कि वह इंसान भी बड़े हैं। इनके अलावा डेविड मिलर, विकेटकीपर बल्लेबाज़ क्विंटन डी कॉक और जेपी ड्यूमिनी जिस टीम में हों, उस पर दांव लगाने वालों की कमी कहां होगी। फिर टीम में दुनिया का सबसे ख़तरनाक गेंदबाज़ है, जिसे दुनिया 'स्टेन गन' के नाम से पुकारती है। इतिहास भी दक्षिण अफ्रीका के साथ है, क्योंकि वर्ल्ड कप में उनकी टीम भारत से कभी नहीं हारी है।

टीम की सलाहकार तिकड़ी गैरी कर्स्टन, एलेन डॉनाल्ड और माइकल हसी भी इस बार पूरी तैयारी कर रही है। पिछली बार जब टीम इंडिया वर्ल्ड चैम्पियन बनी थी, तो गैरी कर्स्टन कोच थे। ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज़ माइकल हसी आईपीएल में चेन्नई सुपरकिंग्स की ओर से खेल चुके हैं। ज़ाहिर है, इन दोनों को भारतीय खिलाड़ियों की कमियों और ख़ूबियों के बारे में अच्छी तरह पता है। गेंदबाज़ी सलाहकार एलेन डॉनाल्ड अपने ज़माने के बेहद ख़तरनाक बॉलर थे।

इन तमाम बातों के बावज़ूद रविवार को महेंद्र सिंह धोनी के धुरंधर एबी डिविलियर्स एंड कंपनी को धो सकते हैं। सबसे पहली और बड़ी बात... दक्षिण अफ्रीका की टीम किसी भी वर्ल्ड कप में कमज़ोर नहीं आंकी गई थी, लेकिन टीम हर बार 'चोकर' साबित होती रही। 1992 में सेमीफाइनल, 1996 में क्वार्टरफाइनल, 1999 में सेमीफाइनल, 2003 में पहले दौर, 2007 में सेमीफाइनल और 2011 क्वार्टरफाइनल से आगे नहीं बढ़ पाई। पाकिस्तान पर धमाकेदार जीत के बाद जिस लय में धोनी की सेना आ गई है, उसे रोकते-रोकते 'चोकर्स' के हाथों में छाले पड़ सकते हैं।

दूसरी बात, दक्षिण अफ्रीकी टीम अपनी 'स्टेन गन' डेल स्टेन पर कुछ ज़्यादा ही भरोसा कर रही है। भले ही वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ माने जा रहे हैं, लेकिन इस बार ऑस्ट्रेलिया की पिचों में वह तेज़ी और उछाल नज़र नहीं आता। ज़ाहिर है, पिच बल्लेबाज़ों को ध्यान में रखकर बनाई गई हैं। आईसीसी को इस बात का अहसास हो चला था कि अगर वर्ल्ड कप के मैचों में ज़्यादा से ज़्यादा रन नहीं बने तो दर्शकों को मज़ा नहीं आएगा। सबसे बड़ा दबाव प्रसारण कंपनी और प्रायोजकों का होता है। अगर मैच जल्दी खत्म हो जाता है तो उन्हें अपने विज्ञापन दिखाने के लिए समय कम मिल पाता है।

ऐसे में बल्लेबाज़ी के लिए अनुकूल पिच पर डेल स्टेन भारतीय बल्लेबाज़ों को बहुत ज़्यादा परेशान कर पाएंगे, ऐसा नहीं लगता है। वॉर्म-अप मैच में श्रीलंका के ख़िलाफ वह एक भी विकेट नहीं ले पाए थे। वहीं वर्ल्ड कप के पहले मैच में ज़िम्बाब्वे के ख़िलाफ नौ ओवरों में स्टेन ने 64 रन लुटा दिए और विकेट मिला सिर्फ एक। वीवीएस लक्ष्मण और सुनील गावस्कर जैसे जानकार भी कह रहे हैं कि मेलबर्न की पिच पर स्विंग कराना आसान नहीं होगा। रोहित शर्मा, शिखर धवन, सुरेश रैना, और अजिंक्य रहाणे भरोसा दिलाते हैं। विराट कोहली न सिर्फ सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी हैं, बल्कि उनमें हार नहीं मानने का ऐसा जज़्बा है, जो दुनिया के किसी खिलाड़ी में नहीं दिखता। और फिर सुपर फिनिशर और सबसे कामयाब कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की चालों से तो वर्ल्ड की हर टीम सावधान है।

जहां तक दक्षिण अफ्रीका की बल्लेबाज़ी का सवाल है, उसे भेदना मुश्किल तो है, लेकिन नामुमकिन नहीं। न्यूज़ीलैंड के खिलाफ अभ्यास मैच में डिविलियर्स 24, क्विंटन डी कॉक 11, डेविड मिलर 4, फैफ डू प्लेसी 8 ही रन बना पाए थे। कीवी टीम ने प्रोटियाज़ को 134 रनों से करारी शिकस्त दी थी। वर्ल्ड कप के पहले मैच में ज़िम्बाब्वे ने भी दक्षिण अफ्रीका को डरा दिया था। एक समय 83 रन पर चार प्रोटियाज़ बल्लेबाज़ आउट हो गए थे। डी कॉक 7, हाशिम आमला 11, डू प्लेसी 24 और डिविलियर्स 25 रन बना पाए थे। डेविड मिलर और जेपी ड्यूमिनी ने शतक लगाकर टीम को संकट से उबारा। रवींद्र जडेजा से तो दक्षिण अफ्रीकी टीम इतनी डरी हुई है कि नेट्स में भारतीय मूल के एक स्पिनर को बुलाकर उससे जडेजा की तरह बॉलिंग कराई और अभ्यास किया। मोहम्मद शामी, उमेश यादव और मोहित शर्मा ऑस्ट्रेलिया की पिचों को अब ज़्यादा अच्छी तरह समझ चुके हैं।

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तो पटाखे चलाने की बारी इस बार ब्लू बिग्रेड की है। विशेषज्ञों को भरोसा हो न हो, प्रशंसकों को पूरा भरोसा है - धो देंगे धोनी के धुरंधर...