"रोहित की बैटिंग में यह है सबसे बड़ी त्रुटि, लेकिन...", मांजरेकर ने किया भारतीय कप्तान का समर्थन

WTC Final: पूर्व बल्लेबाज ने कहा कि करियर के इस मुकाम पर टेस्ट क्रिकेट उनके लिए सबसे ज्यादा रोमांचक दिखायी पड़ता है. और कुछ ऐसा ही विराट कोहली के बारे में भी कहा जा सकता .

खास बातें

  • WTC Final 7 जून से खेला जाएगा
  • रोहित की फॉर्म बनी चिंता का विषय
  • संजय मांजरेकर ने कहा चिंता की कोई बात नहीं
नई दिल्ली:

टीम इंडिया ने WTC Final के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं, तो दिग्गजों की ओपिनियन भी आनी शुरू हो गयी है. मुकाबला 7 जून से खेला जाएगा. टीम इंडिया ने नेट पर पसीना बहाना शुरू कर दिया है, लेकिन सबसे बड़ी चिंता की बात हो चली है कप्तान रोहित शर्मा (Rohit Sharma) का पूरी तरह से आउट-ऑफ-फॉर्म होना. खत्म हुए आईपीएल में रोहित का बल्ला पूरी तरह से रूठा रहा. रोहित खेले 16 मैचों में सिर्फ 20.75 के औसत से 332 ही रन बना सके. पूरे टूर्नामेंट में दो ही अर्द्धशतक उनके बल्ले से निकले. ऐसे में फैंस बहुत ही चिंतित हैं कि एक तो फॉर्म खराब और दूसरा टेस्ट क्रिकेट, ऐसे में रोहित का क्या होगा. हालांकि, संजय मांजरेकर के रूप में रोहित को बड़ा समर्थक मिला है.

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मांजरेकर ने स्टार-स्पोर्ट्स से बातचीत में कहा कि प्रबंधन को रोहित की फॉर्म को लेकर चिंतित नहीं होना चाहिए. और  उन्हें टेस्ट क्रिकेट में वह सहजता मिल जाएगी, जो वह तलाश रहे हैं. मांजरेकर ने कहा कि रोहित के आईपीएल के प्रदर्शन को साइड में रख दें क्योंकि वह पिछले साल भी आईपीएल में आउट ऑफ फॉर्म रहे थे, लेकिन हम ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टेस्ट में उनकी शानदार बल्लेबाजी देखी थी. 


पूर्व बल्लेबाज ने कहा कि करियर के इस मुकाम पर टेस्ट क्रिकेट उनके लिए सबसे ज्यादा रोमांचक दिखायी पड़ता है. और कुछ ऐसा ही विराट कोहली के बारे में भी कहा जा सकता है. इस समय टेस्ट क्रिकेट में रोहित की बल्लेबाजी त्रुटिहीन रही है. हमें उनकी बल्लेबाजी में केवल एक ही खामी दिखायी पड़ी है. समस्या यह है कि वह कई बार पुल शॉट खेलते हुए कई बार आउट हुए हैं. कई बार विरोधियों ने फील्डर सजाकर प्लानिंग के तहत शॉर्ट-पिच पर उन्हें आउट किया है. मांजरेकर ने यह भी बताया कि रोहित कैसे पुल-शॉट को ताकत देने के लिए फॉलो-थ्रू का इस्तेमाल करते हैं. 

उन्होंने कहा कि अगर आप वनडे क्रिकेट देखोगे, तो पाओगे कि उनका पुल शॉट बहुत ही रुचिकर होता है. उनकी बैकलिफ्ट ऊंचाई से नहीं आती है. इसलिए, वह शॉट को नीचे रख पाते हैं. उनकी बैकलिफ्ट काफी नीची होती है. वह सिर्फ गेंद का चयन करते हैं और बल्ला फॉलो-थ्रू में कमर के पीछे जाता है. और यहीं से वह शॉट को ताकत प्रदान करते हैं.

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