बड़ौदा के लिए खेलने वाले इस खिलाड़ी को फैंस सराह रहे हैं
खास बातें
- जिंदगी इम्तहान लेती है..!
- विष्णु का जिदंगी के थपेड़े को करारा जवाब !
- सोशल मीडिया पर बने चर्चा का विषय
नयी दिल्ली: जिंदगी कब क्या दिखा दे, कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन क्रिकेट की दुनिया में कई चैंपियनों ने उदाहरण पेश किया है कि जब जिंदगी के थपड़े निर्मम प्रहार करें, तो उसका कैसे सामना किया जाए.मसलन साल 1999 विश्व कप में सचिन तेंदुलकर का पिता के निधन के बाद बीच टूर्नामेंट से वापस लौटना. और दाह संस्कार के बाद तुरंत वापस मैच खेलने के लिए जाना. मसलन साल 2006 में रणजी ट्रॉफी मुकाबले में बीच मैच में पिता के निधन के अगले दिन सुबह विराट कोहली का दिल्ली के लिए मैच खेलना और फॉलोऑन से बचाना. इसी कड़ी में अब एक मिसाल पेश की एक अनजान चेहरे और बड़ौदा के 29 साल के क्रिकेटर विष्णु सोलंकी ने.
चंद ही दिन पहले की ही बात है कि जिंदगी के थपेड़े ने विष्णु पर जोरदार प्रहार किया, जब उनके नवजात बच्ची का जन्म होने के बाद ही निधन हो गया था. कोई भी शख्स इस घटना से बुरी तरह से टूट सकता था और इस घटना ने विष्णु को बुरी तरह से झकझोर कर रख दिया था, लेकिन घटना को बिसराकर और एकतरफ रखकर विष्णु बड़ौदा के रणजी ट्रॉफी मुकाबला खेलने कटक पहुंचे. और घटना के बाद वापसी करते हुए पहला मैच खेलते हुए विष्णु सोलंकी ने ग्रुप बी के तहत चंडीगढ़ के खिलाफ खेले जा रहे मैच के दूसरे दिन शुक्रवार को शतक जड़ते हुए 103 रन की नाबाद पारी खेली. सोलंकी ने अपनी पारी के लिए 161 गेंद खेलीं और 12 चौके लगाए और एक शानदार मिसाल पेश की, जिसे आने वाले समय में याद किया जाएगा. उनके अंदाज को पूर्व क्रिकेटर और फैंस जमकर सराह रहे हैं.
मुंबई के लिए रणजी ट्रॉफी खेल चुके अपने समय के मशहूर क्रिकेटर शिशिर हटंगड़ी ने विष्णु को रियल हीरो बताया है
फैंस के बीच विष्णु की चर्चा है
फैंस साहस को सलाम कर रहे हैं
इस तरह के संदेशों की कमी नहीं है
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