भारतीय क्रिकेट संघ यानि बीसीसीआई ने आईपीएल−7 के पहले चरण का आयोजन संयुक्त अरब अमीरात में करवाने की ठानी तो एक साथ कई सवाल खड़े हो गए। ख़ासकर शारजाह क्रिकेट स्टेडियम में इसके आयोजन के बाद आईपीएल−7 को लेकर सवालों का दौर शुरू हो गया है।
शारजाह का नाम सुनते ही क्रिकेट फ़ैन्स के ज़ेहन में जावेद मिंयादाद का वो आखिरी गेंद पर छक्का कौंध जाता है, जिसने कई साल क्रिकेट टीम और क्रिकेट प्रेमियों की बेचैनी को बरक़रार रखा और आज भी टीस के साथ याद किया जाता है।
भारतीय क्रिकेट फ़ैन्स वो मैच भी भूल नहीं पाते जब एशिया कप के फ़ाइनल में श्रीलंका की ओर से सनथ जयसूर्या ने 189
रन बनाए और जीत के लिए 300 के लक्ष्य का पीछा करती हुई भारतीय टीम 27वें ओवर में ही 54 रन बनाकर ऑल आउट हो गई।
मैच में भारत की ओर से सबसे ज़्यादा रॉबिन सिंह ने 11 रन बनाए। भारतीय टीम को 245 रनों से हार का सामना करना पड़ा।
क्रिकेट बॉलीवुड और बाज़ार को एक साथ लाने में शारजाह ने ज़रूर अहम रोल अदा किया, लेकिन इसके साथ ही सट्टेबाज़ी अंडरवर्ल्ड और मैच फ़िक्सिंग के साये में यहां क्रिकेट की बदनामी भी हुई। साल 2000 में हुए मैच फ़िक्सिंग स्कैंडल ने शारजाह की छवि धूमिल कर दी।
इस विवाद के बाद भारतीय सरकार ने फ़ैसला लेकर टीम इंडिया के शारजाह में खेलने पर पाबंदी लगा दी।
बीबीसी के क्रिकेट संवाददाता जोनाथन एग्यू ने यहां तक कहा कि वो वहां कम से कम दर्जनभर मैचों का गवाह रहे हैं जो फ़िक्सड थे। वो इसके लिए शपथ लेने को तैयार थे, हालांकि आईसीसी की एंटी करप्शन यूनिट कुछ साबित नहीं कर पाई।
शारजाह को लेकर शक के बादल हमेशा छाये रहे। यही वजह है कि कीर्ति आज़ाद जैसे क्रिकेटर अब भी बीसीसीआई के इस फ़ैसले पर सवाल उठाने से नहीं चूक रहे हैं।
कीर्ति आज़ाद ने बयान दिया कि मुद्गल कमेटी की जांच के बावजूद बीसीसीआई के इस फ़ैसले से वो हैरान हैं कि आईपीएल−7
के कुछ मैच संयुक्त अरब अमीरात में आयोजित होंगे। कीर्ति कहते हैं कि यूएई तो अच्छा विकल्प है, ये फ़िक्सिंग का पैवेलियन है।
मुझे पूरी उम्मीद है कि बीसीसीआई के कुछ अधिकारी इससे बेहद खुश होंगे।
भारतीय टीम को 2006 में भी यूएई में मैच खेलने की इजाज़त मिली, फिर हाल के दिनों में दूसरे देशों के अलावा अंडर 19
भारतीय टीम को भी यहां खेलने की इजाज़त दी गई। भारतीय टीम ने एशिया कप के फ़ाइनल में पाकिस्तान को हराया जबकि
अंडर 19 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया पांचवें नंबर पर रही।
हालांकि आईपीएल और बीसीसीआई के अधिकारी दावा कर रहे हैं कि वो बीते साल की ग़लतियों को शारजाह में दुबारा नहीं होने देंगे, लेकिन यूएई और ख़ासकर शारजाह में मैच के आयोजन पर सवाल ज़रूर उठते रहेंगे।
शारजाह की यादें क्रिकेट फ़ैन्स के लिए सिर्फ़ कड़वी नहीं हैं। शायद जावेद मियांदाद के छक्के की कड़वाहट 12 साल बाद 1998 में कम हुई जब सचिन तेंदुलकर ने ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ शारजाह में ऑपरेशन 'डेज़र्ट स्टॉर्म' को अंजाम दिया।
सचिन ने उस टूर्नामेंट में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ लगातार दो शतकीय पारी खेली और अपने 25वें जन्मदिन पर अपने फ़ैन्स
को नायाब तोहफ़ा दिया। मैच के दौरान आए तूफ़ान ने सचिन का ध्यान नहीं बंटने दिया। वो तूफ़ान के दौरान भी हेल्मेट पहने रहे।
सचिन की दो पारियों ने सचिन को दुनिया का बेहतरीन बल्लेबाज़ बना दिया। शेन वॉर्न ने बाद में माना कि सचिन उनके
सपनों में आकर डराते रहे।
ऑपरेशन डेज़र्ट स्टॉर्म में सचिन तेंदुलकर की ये पारी एक मीठी याद बनकर भारतीय फ़ैन्स के ज़ेहन में ज़रूर है, लेकिन
शारजाह में क्रिकेट को ऐसे ही तूफ़ान से गुज़रना होगा। ये बात खिलाड़ियों और अधिकारियों को याद रखनी होगी।
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