
भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे इंतजार के बाद फिर से क्रिकेट के रिश्ते बहाल हो रहे हैं। कई माह की अनिश्चिता के बाद आखिरकार दोनों देशों के बीच क्रिकेट सीरीज के बीच रास्ता साफ हो गया है। यह सीरीज तटस्थ देश श्रीलंका में खेली जाएगी। सीरीज के तहत टीम इंडिया 15 दिसंबर से पाकिस्तान के खिलाफ तीन वनडे और दो टी-20 मैच खेलेगी।
भारत सरकार से मिली हरी झंडी
सीरीज खेले जाने की पुष्टि गुरुवार को भारत सरकार की ओर से इसके लिए हरी झंडी दिए जाने के बाद हुई। इससे पहले पाकिस्तान की सरकार ने भी अपनी ओर से सीरीज के लिए सहमति दे दी थी। समझा जाता है कि इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड के जाइल्स क्लार्क ने इस दिशा में मध्यस्थ की भूमिका निभाई।
क्लार्क पाकिस्तान पर आईसीसी के टास्क फोर्स के प्रमुख हैं। वे हमेशा से ही दक्षिण एशिया के इन दोनों सुपर पावर क्रिकेट देशों के बीच सीरीज के पक्षधर रहे हैं। भारत और पाकिस्तान ने वर्ष 2007 के बाद से एक-दूसरे के खिलाफ सीरीज नहीं खेली है। वर्ष 2008 के मुंबई आतंकी हमले के बाद से दोनों देशों के बीच क्रिकेट संबंध बाधित हैं।
(क्लिक करें : नवाज शरीफ ने PCB को श्रीलंका में खेलने की अनुमति दी - रिपोर्ट)
आयोजक देश को लेकर थी अलग;अलग राय
हाल के समय में भारत और पाकिस्तान के क्रिकेट बोर्ड के बीच इस सीरीज को लेकर तो सहमति बन रही थी लेकिन इसके आयोजक देश को लेकर अलग-अलग राय थी। जहां पाकिस्तान चाहता था कि यह सीरीज उसके 'अडाप्टेड घर' संयुक्त अरब अमीरात में हो, वहीं बीसीआई का कहना था कि सीरीज तभी संभव होगी जब पाक टीम भारत का दौरा करे।
अंतरराष्ट्रीय केलेंडर के हिसाब से पाकिस्तान को इस सीरीज की मेजबानी करनी थी और वास्तविक कार्यक्रम के तहत दो टेस्ट, पांच वनडे और दो टी-20 मैच खेले जाने थे।
इस तरह आसान हुई राह
दोनों देशों ने वर्ष 2014 में एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए थे जिसमें पाकिस्तान की ओर से अगली सीरीज की मेजबानी की बात कही गई थी। दोनों देशों की सरकार के बीच हाल सियासी स्तर पर बढ़ती दूरियों के चलते क्रिकेट सीरीज काफी मुश्किल लग रही थी। पीसीबी के चेयरमैन शहरयार खान ने पिछले सप्ताह कहा था कि इस मामले में अंतिम निर्णय दोनों देशों की सरकार के स्तर पर किया जाना है। आतंक के माहौल में दोनों देशों के बीच क्रिकेट संभव नहीं होने के अपने रुख में बदलाव करते हुए बीसीसीआई ने शशांक मनोहर के अध्यक्ष बनने के बाद इस बारे में सकारात्मक पहल की।
भारत सरकार से मिली हरी झंडी
सीरीज खेले जाने की पुष्टि गुरुवार को भारत सरकार की ओर से इसके लिए हरी झंडी दिए जाने के बाद हुई। इससे पहले पाकिस्तान की सरकार ने भी अपनी ओर से सीरीज के लिए सहमति दे दी थी। समझा जाता है कि इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड के जाइल्स क्लार्क ने इस दिशा में मध्यस्थ की भूमिका निभाई।
क्लार्क पाकिस्तान पर आईसीसी के टास्क फोर्स के प्रमुख हैं। वे हमेशा से ही दक्षिण एशिया के इन दोनों सुपर पावर क्रिकेट देशों के बीच सीरीज के पक्षधर रहे हैं। भारत और पाकिस्तान ने वर्ष 2007 के बाद से एक-दूसरे के खिलाफ सीरीज नहीं खेली है। वर्ष 2008 के मुंबई आतंकी हमले के बाद से दोनों देशों के बीच क्रिकेट संबंध बाधित हैं।
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आयोजक देश को लेकर थी अलग;अलग राय
हाल के समय में भारत और पाकिस्तान के क्रिकेट बोर्ड के बीच इस सीरीज को लेकर तो सहमति बन रही थी लेकिन इसके आयोजक देश को लेकर अलग-अलग राय थी। जहां पाकिस्तान चाहता था कि यह सीरीज उसके 'अडाप्टेड घर' संयुक्त अरब अमीरात में हो, वहीं बीसीआई का कहना था कि सीरीज तभी संभव होगी जब पाक टीम भारत का दौरा करे।
अंतरराष्ट्रीय केलेंडर के हिसाब से पाकिस्तान को इस सीरीज की मेजबानी करनी थी और वास्तविक कार्यक्रम के तहत दो टेस्ट, पांच वनडे और दो टी-20 मैच खेले जाने थे।
इस तरह आसान हुई राह
दोनों देशों ने वर्ष 2014 में एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए थे जिसमें पाकिस्तान की ओर से अगली सीरीज की मेजबानी की बात कही गई थी। दोनों देशों की सरकार के बीच हाल सियासी स्तर पर बढ़ती दूरियों के चलते क्रिकेट सीरीज काफी मुश्किल लग रही थी। पीसीबी के चेयरमैन शहरयार खान ने पिछले सप्ताह कहा था कि इस मामले में अंतिम निर्णय दोनों देशों की सरकार के स्तर पर किया जाना है। आतंक के माहौल में दोनों देशों के बीच क्रिकेट संभव नहीं होने के अपने रुख में बदलाव करते हुए बीसीसीआई ने शशांक मनोहर के अध्यक्ष बनने के बाद इस बारे में सकारात्मक पहल की।