मुंबई:
भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने ऑस्ट्रेलिया में भारतीय क्रिकेट टीम में मतभेदों की अटकलों को खारिज कर दिया और अध्यक्ष एन श्रीनिवासन ने कहा कि ये ‘बढ़ा चढ़ाकर’ पेश की गयी मीडिया रिपोर्ट हैं।
मीडिया में भारतीय टीम में मतभेदों की रिपोटरें के संबंध में प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए श्रीनिवासन ने कहा कि उन्होंने मीडिया मैनेजर से पूछा है और बोर्ड को किसी चीज के बारे में चिंतित होने की जरूरत नहीं है।
श्रीनिवासन ने यहां आईपीएल संचालन परिषद की बैठक के बाद पत्रकारों से कहा, ‘आपको इसकी कोई जानकारी नहीं है। मुझे नहीं लगता कि टीम में कोई मतभेद है। चिंता की कोई बात नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘वे प्रेस कांफ्रेस में ऐसे सवालों का जवाब दे रहे थे। यह प्रत्येक मैच के बाद होता है। मैंने वहां मीडिया मैनेजर से बात की। मुझे लगता है कि रिपोटरें को बढ़ा चढ़ाकर पेश किया गया है।’ बीसीसीआई उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने भी टीम में मतभेदों की रिपोटरें से इंकार किया।
उन्होंने कहा, ‘सहवाग का बयान तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है। हमें यही पता चला है। टीम में कोई मतभेद नहीं है। यह मीडिया द्वारा लगायी जा रही अटकलें हैं। मुझे नहीं लगता कि कोई समस्या है। बीसीसीआई लगातार टीम के संपर्क में है।’
रोटेशन प्रणाली ने काफी विवाद खड़ा कर दिया है, इसके बारे में पूछने पर शुक्ला ने कहा, ‘अंतिम एकादश का फैसला टीम प्रबंधन करता है जिसमें मैनेजर, कप्तान और कोच शामिल हैं।’ टीम प्रबंधन ने केवल तीन सलामी बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर के लिये ही रोटेशन प्रणाली अपनायी है जिसके बाद ही मतभेदों की रिपोर्ट आ रही हैं।
सबसे पहले मतभेद की बात तब खुलकर सामने आयी जब गंभीर ने मैच जल्दी खत्म नहीं करने के लिये महेंद्र सिंह धोनी की आलोचना की लेकिन कप्तान ने इसे राय में भिन्नता करार करते हुए नकार दिया।
धोनी ने सार्वजनिक रूप से तीनों खिलाड़ियांे की क्षेत्ररक्षण क्षमता पर सवाल उठाकर धमाका कर दिया और उन्होंने कहा कि इन तीनों को इसलिये साथ में नहीं खिलाया जा रहा क्योंकि ये धीमे क्षेत्ररक्षक हैं जिससे टीम अतिरिक्त 20 रन गंवा सकती है। इसके बाद सहवाग ने कहा कि सीनियरों को कभी नहीं बताया गया कि क्षेत्ररक्षण ही रोटेशन प्रणाली के इस्तेमाल का कारण है।
सीनियर खिलाड़ियों ने एक दूसरे के खिलाफ टिप्पणी के लिये प्रेस कांफ्रेस का सहारा लिया और उनके बीच शाब्दिक जंग मीडिया की नजरों से नहीं बच सकी जिसने लगातार खिलाड़ियों के खराब प्रदर्शन के बारे में लिखा है।
मीडिया में भारतीय टीम में मतभेदों की रिपोटरें के संबंध में प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए श्रीनिवासन ने कहा कि उन्होंने मीडिया मैनेजर से पूछा है और बोर्ड को किसी चीज के बारे में चिंतित होने की जरूरत नहीं है।
श्रीनिवासन ने यहां आईपीएल संचालन परिषद की बैठक के बाद पत्रकारों से कहा, ‘आपको इसकी कोई जानकारी नहीं है। मुझे नहीं लगता कि टीम में कोई मतभेद है। चिंता की कोई बात नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘वे प्रेस कांफ्रेस में ऐसे सवालों का जवाब दे रहे थे। यह प्रत्येक मैच के बाद होता है। मैंने वहां मीडिया मैनेजर से बात की। मुझे लगता है कि रिपोटरें को बढ़ा चढ़ाकर पेश किया गया है।’ बीसीसीआई उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने भी टीम में मतभेदों की रिपोटरें से इंकार किया।
उन्होंने कहा, ‘सहवाग का बयान तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है। हमें यही पता चला है। टीम में कोई मतभेद नहीं है। यह मीडिया द्वारा लगायी जा रही अटकलें हैं। मुझे नहीं लगता कि कोई समस्या है। बीसीसीआई लगातार टीम के संपर्क में है।’
रोटेशन प्रणाली ने काफी विवाद खड़ा कर दिया है, इसके बारे में पूछने पर शुक्ला ने कहा, ‘अंतिम एकादश का फैसला टीम प्रबंधन करता है जिसमें मैनेजर, कप्तान और कोच शामिल हैं।’ टीम प्रबंधन ने केवल तीन सलामी बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर के लिये ही रोटेशन प्रणाली अपनायी है जिसके बाद ही मतभेदों की रिपोर्ट आ रही हैं।
सबसे पहले मतभेद की बात तब खुलकर सामने आयी जब गंभीर ने मैच जल्दी खत्म नहीं करने के लिये महेंद्र सिंह धोनी की आलोचना की लेकिन कप्तान ने इसे राय में भिन्नता करार करते हुए नकार दिया।
धोनी ने सार्वजनिक रूप से तीनों खिलाड़ियांे की क्षेत्ररक्षण क्षमता पर सवाल उठाकर धमाका कर दिया और उन्होंने कहा कि इन तीनों को इसलिये साथ में नहीं खिलाया जा रहा क्योंकि ये धीमे क्षेत्ररक्षक हैं जिससे टीम अतिरिक्त 20 रन गंवा सकती है। इसके बाद सहवाग ने कहा कि सीनियरों को कभी नहीं बताया गया कि क्षेत्ररक्षण ही रोटेशन प्रणाली के इस्तेमाल का कारण है।
सीनियर खिलाड़ियों ने एक दूसरे के खिलाफ टिप्पणी के लिये प्रेस कांफ्रेस का सहारा लिया और उनके बीच शाब्दिक जंग मीडिया की नजरों से नहीं बच सकी जिसने लगातार खिलाड़ियों के खराब प्रदर्शन के बारे में लिखा है।
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