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This Article is From May 21, 2018

टेस्‍ट क्रिकेट से टॉस खत्‍म करने के प्रस्‍ताव पर यह बोले पाकिस्‍तान के पूर्व क्रिकेटर जावेद मियांदाद

पाकिस्तान के दिग्‍गज क्रिकेट रहे जावेद मियांदाद ने टेस्ट क्रिकेट से टॉस की परंपरा खत्म करने के प्रस्ताव का समर्थन किया है.

टेस्‍ट क्रिकेट से टॉस खत्‍म करने के प्रस्‍ताव पर यह बोले पाकिस्‍तान के पूर्व क्रिकेटर जावेद मियांदाद
जावेद मियांदाद ने पाकिस्‍तान के लिए 124 टेस्‍ट मैच खेले थे (फाइल फोटो)
कराची: पाकिस्तान के दिग्‍गज क्रिकेट रहे जावेद मियांदाद ने टेस्ट क्रिकेट से टॉस की परंपरा खत्म करने के प्रस्ताव का समर्थन किया है. इस प्रस्‍ताव के पक्ष में अपनी राय जताते हुए पाकिस्‍तान के पूर्व कप्‍तान मियांदाद ने कहा कि इससे मेजबान टीमें अपनी टीम को फायदा देने वाली पिच बनाने के बजाय गुणवत्‍ता के लिहाज से बेहतर पिच बनाने पर जोर देंगी. दूसरी ओर, पाकिस्‍तान के एक अन्‍य पूर्व कप्‍तान सलीम मलिक इस प्रस्‍ताव के विरोध में हैं. मलिक का मानना है कि क्रिकेट की शीर्ष संस्‍था आईसीसी को खेल की परंपरा से किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए.

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टेस्‍ट क्रिकेट से टॉस खत्‍म करने के प्रस्‍ताव पर जब मियांदाद से राय मांगी गई तो उन्‍होंने कहा‘मुझे टॉस की परंपरा खत्म करने के प्रयोग में कोई खामी नजर नहीं आती.’मियांदाद का मानना है कि इससे मैच खासकर टेस्ट क्रिकेट अच्छी पिचों पर खेले जाएंगे.’उन्‍होंने कहा कि इस फैसले के लागू होने पर मेजबान टीमें अपने को रास आने वाली पिचों की बजाय बेहतर पिचें बनाने पर जोर देंगी. मियांदाद ने कहा,‘हमने हाल ही में देखा है कि पाकिस्तान ने यूएई में मैच जीते हैं जहां पिचें धीमी और कम उछाल वाली होती है लेकिन ऑस्ट्रेलिया या न्यूजीलैंड में वह जूझती नजर आई है. इसके लिये जरूरी है कि अच्छी पिचों पर क्रिकेट खेला जाए.’दूसरी ओर पाकिस्‍तान के पूर्व क्रिकेटर सलीम मलिक की राय इस मामले में मियांदाद से एकदम अलग है. मलिक ने कहा कि आईसीसी को खेल की परंपरा से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए.

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गौरतलब है कि इस माह मुंबई में इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) की क्रिकेट समिति की बैठक में इस पर बात की जायेगी कि खेल से टास खत्म कर देना चाहिये या नहीं. इंटरनेशनल क्रिकेट में सिक्का उछालने यानी टॉस की परम्परा इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच साल 1877 में खेले गए पहले टेस्ट मैच से ही चली आ रही है. हाल ही में इस परंपरा पर सवाल उठाए गए है. आलोचकों का कहना है कि इससे यानी टॉस उछालकर बल्‍लेबाजी का फैसला करने से मेजबान यानी घरेलू मैदान में खेलने वाली टीम को काफी फायदा होता है. (इनपुट: एजेंसी)

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