विराट कोहली इन दिनों अपने करियर के सर्वश्रेष्ठ दौर से गुजर रहे हैं
भारतीय क्रिकेट में यह बदलाव का दौर है. विराट कोहली के नेतृत्व में टीम इंडिया देश के मैदानों पर ही नहीं, विदेशी मैदानों में भी अच्छा प्रदर्शन कर रही है. दूसरी ओर, महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में वनडे और टी-20 में भी टीम का प्रदर्शन कमोबेश अच्छा रहा है. टीम इंडिया के इस प्रदर्शन में खास बात यह है कि युवा खिलाड़ी बढ़-चढ़कर अपने प्रदर्शन से जीत में अहम भूमिका निभा रहे हैं. भारतीय क्रिकेट के लिहाज से यह अच्छा संकेत माना जा सकता है.
पिछले तीन दशक के लिहाज से भारतीय क्रिकेट की प्रगति को देखें तो निश्चित रूप के प्रदर्शन में सुधार देखा जा सकता है. भारत ही नहीं दुनिया के महान ओपनर सुनील गावस्कर ने जब संन्यास लिया जो यह सवाल उभरा था कि सनी के बाद कौन... कौन सा क्रिकेटर उनकी जगह लेगा. कपिलदेव के संन्यास के समय भी लगभग यही बात कही गई. लेकिन सचिन तेंदुलकर भारतीय क्रिकेट में बड़े स्टार के रूप में उभरे और पूरा क्रिकेट परिदृश्य मानो 'तेंदुलकरमय' हो गया. सचिन ने टीम इंडिया को नई ऊंचाई पर पहुंचाया.
समय गुजरते हुए सचिन के साथ सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण भी टीम इंडिया के साथ जुड़े और बल्लेबाजी के आधार स्तंभ बने. देश और विदेश के मैदानों में शानदार प्रदर्शन करने वाली इस चौकड़ी के 'फेबुलस फोर' का संबोधन दिया गया. समय गुजरने के साथ जब इन चारों खिलाड़ियों ने एक-एक कर संन्यास लिया तो सवाल फिर यही था...इन शानदार बल्लेबाजों की जगह कौन लेगा..भारतीय टीम को जीत दिलाने की जिम्मेदार अब कौन उठाएगा...
भारतीय क्रिकेट टीम के मौजूदा प्रदर्शन को देखें तो इस सवाल का जवाब अब मिल गया है. टेस्ट टीम के कप्तान विराट कोहली, मध्य क्रम के उपयोगी बल्लेबाज अजिंक्य रहाणे, बेहद प्रतिभाशाली रोहित शर्मा और कर्नाटक के उदीयमान केएल राहुल के रूप में भारत को 'फेब फोर' के लिए नई चौकड़ी मिल गई है. इस सूची में केएल राहुल का नाम कुछ लोगों को अजीब लग सकता है, लेकिन दो साल पहले ही इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने वाले इस युवा ने जिस तरह से क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में प्रदर्शन किया है, उसे देखते हुए वे इस नायाब क्लब में स्थान पाने के असली हकदार हैं. इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि महज 24 साल के राहुल ने देशी और विदेशी, दोनों ही मैदानों में यह प्रदर्शन किया है. नजर डालते हैं, 'फेब फोर' में स्थान बनाने के हकदार इन चारों क्रिकेटरों के बारे में..
विराट कोहली : विपक्षी गेंदबाजों के लिए बन गए बड़ा 'सिरदर्द'
टेस्ट टीम के कप्तान विराट कोहली ने 'फेब फोर' में सचिन तेंदुलकर की जगह को भरा है. विराट इस समय तीनों फॉर्मेट में जिस तरह का प्रदर्शन कर रहे हैं, उसे देखते हुए उन्होंने मौजूदा समय का दुनिया का सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज माना जा सकता है. क्रिकेट के सारे स्ट्रोक्स उनके पास हैं. विराट की सबसे बड़ी बात यह है कि उनकी रनों की भूख कभी खत्म नहीं होती और यही बात उन्हें अपने दौर के दूसरे अच्छे बल्लेबाजों से अलग रखती है. टेस्ट, वनडे और टी-20, तीनों तरह के क्रिकेट में उनका रन औसत और स्ट्राइक रेट जबर्दस्त है. टी20 और वनडे का तो उनका औसत आश्चर्यजनक रूप से 50 के ऊपर है. महान तेंदुलकर भी इन दोनों फॉर्मेट के क्रिकेट में इतना ऊंचा औसत नहीं रख पाए. रनिंग विटवीन द विकेट और लीडरशिप क्वालिटी के मामले में भी विराट बेजोड़ हैं. नए 'फैब फोर' के लीडर बनने के वे सही हकदार हैं.
अजिंक्य रहाणे : समर्पण भाव कोई इनसे सीखे
विराट कोहली के बाद मुंबई के अजिंक्य रहाणे को भारत के मध्य क्रम का आधार स्तंभ माना जा सकता है. 'मिस्टर डिपेंडेबल' राहुल द्रविड़ की तरह ही वे लंगर डालकर खेलने में माहिर हैं. गेंदबाजों के लिए उनका विकेट हासिल करना आसान नहीं होता. अजिंक्य की एक बड़ी खूबी यह भी है कि देशी-विदेशी, दोनों तरह के मैदानों के लिहाज से अपने खेल को ढाल लेते हैं. बेशक, वनडे और टी20 में स्ट्राइक रोटेट करने के लिहाज से उन्हें राहुल द्रविड़ की तरह कुछ कमजोर माना जा सकता है, लेकिन वे बल्लेबाजी के दौरान एक छोर को 'सील' कर देते हैं, इससे दूसरे छोर पर मौजूद बल्लेबाज को खुलकर स्ट्रोक खेलने की आजादी मिल जाती है. फील्डिंग और कैचिंग में तो अजिंक्य बेजोड़ हैं.
रोहित शर्मा : हर स्ट्रोक में दिखती है श्रेष्ठता
लंबे समय तक रोहित शर्मा को ऐसा क्रिकेटर माना जाता रहा जो बेहद टेलेंटेड होने के बावजूद अपनी प्रतिभा से न्याय नहीं कर पा रहा था. बहरहाल अब लगता है कि मुंबई के इस स्टाइलिश बल्लेबाज ने अपनी क्षमता के अनुरूप प्रदर्शन करना सीख लिया है. वनडे और टी 20 के लिहाज से तो वे टीम इंडिया के लिए बहुमूल्य खिलाड़ी हैं. उनके शॉट्स ऐसे होते हैं कि विपक्षी खिलाड़ी भी ताली बजाने से खुद को नहीं रोक पाते. वनडे मैचों में दो दोहरे शतक उनके नाम पर दर्ज हैं. टेस्ट मैच के लिहाज से उन्होंने शुरुआती दो मैचों में दो शतक जमाकर बेहतरीन शुरुआत की थी, लेकिन बीच में कुछ राह भटक गए. अनुभव के साथ रोहित अपने आपको बेहतर कर रहे हैं. इस बल्लेबाज की सबसे बड़ी खासियत यही है कि ये सीधे बल्ले से खेलते हुए भी अपने और टीम के स्ट्राइक रेट को ऊंचाई पर बनाए रखते हैं.
लोकेश राहुल : छोटे से इंटरनेशनल करियर में ही दिखाई चमक
क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में अभी 10 से कम मैच खेले कर्नाटक के इस बल्लेबाज ने अपनी तकनीक से हर किसी को प्रभावित किया है. राहुल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वे इन तीनों फॉर्मेट के क्रिकेट में फिट हैं। टेस्ट, वनडे और टी 20, तीनों तरह के क्रिकेट में छक्का मारकर शतक लगाने का अनोखा रिकॉर्ड राहुल के नाम पर है. वेस्टइंडीज के खिलाफ टी 20 सीरीज के पहले मुकाबले में विशाल स्कोर का पीछा करते हुए राहुल ने न सिर्फ शतक जमाया, बल्कि टीम की जीत तक लगभग पहुंचा ही दिया था. दुर्भाग्य से भारत यह मैच एक रन से हार गया. आईपीएल में विराट कोहली की टीम रायल चैलेंजर्स बेंगलुरू से खेलते हुए राहुल कई यादगार पारियां खेल चुके हैं. आठ टेस्ट मैचों ही तीन शतक और एक अर्धशतक उनके नाम पर हैं. जरूरत पड़ने पर राहुल विकेटकीपिंग की जिम्मेदारी भी निभा लेते हैं. राहुल के मौजूदा प्रदर्शन को देखते हुए कहा जा सकता है कि अगर वे राह नहीं भटके तो आने वाले समय में कई बड़ी कामयाबियां उनकी राह में खड़ी हैं...
पिछले तीन दशक के लिहाज से भारतीय क्रिकेट की प्रगति को देखें तो निश्चित रूप के प्रदर्शन में सुधार देखा जा सकता है. भारत ही नहीं दुनिया के महान ओपनर सुनील गावस्कर ने जब संन्यास लिया जो यह सवाल उभरा था कि सनी के बाद कौन... कौन सा क्रिकेटर उनकी जगह लेगा. कपिलदेव के संन्यास के समय भी लगभग यही बात कही गई. लेकिन सचिन तेंदुलकर भारतीय क्रिकेट में बड़े स्टार के रूप में उभरे और पूरा क्रिकेट परिदृश्य मानो 'तेंदुलकरमय' हो गया. सचिन ने टीम इंडिया को नई ऊंचाई पर पहुंचाया.
समय गुजरते हुए सचिन के साथ सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण भी टीम इंडिया के साथ जुड़े और बल्लेबाजी के आधार स्तंभ बने. देश और विदेश के मैदानों में शानदार प्रदर्शन करने वाली इस चौकड़ी के 'फेबुलस फोर' का संबोधन दिया गया. समय गुजरने के साथ जब इन चारों खिलाड़ियों ने एक-एक कर संन्यास लिया तो सवाल फिर यही था...इन शानदार बल्लेबाजों की जगह कौन लेगा..भारतीय टीम को जीत दिलाने की जिम्मेदार अब कौन उठाएगा...
भारतीय क्रिकेट टीम के मौजूदा प्रदर्शन को देखें तो इस सवाल का जवाब अब मिल गया है. टेस्ट टीम के कप्तान विराट कोहली, मध्य क्रम के उपयोगी बल्लेबाज अजिंक्य रहाणे, बेहद प्रतिभाशाली रोहित शर्मा और कर्नाटक के उदीयमान केएल राहुल के रूप में भारत को 'फेब फोर' के लिए नई चौकड़ी मिल गई है. इस सूची में केएल राहुल का नाम कुछ लोगों को अजीब लग सकता है, लेकिन दो साल पहले ही इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने वाले इस युवा ने जिस तरह से क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में प्रदर्शन किया है, उसे देखते हुए वे इस नायाब क्लब में स्थान पाने के असली हकदार हैं. इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि महज 24 साल के राहुल ने देशी और विदेशी, दोनों ही मैदानों में यह प्रदर्शन किया है. नजर डालते हैं, 'फेब फोर' में स्थान बनाने के हकदार इन चारों क्रिकेटरों के बारे में..
विराट कोहली : विपक्षी गेंदबाजों के लिए बन गए बड़ा 'सिरदर्द'
टेस्ट टीम के कप्तान विराट कोहली ने 'फेब फोर' में सचिन तेंदुलकर की जगह को भरा है. विराट इस समय तीनों फॉर्मेट में जिस तरह का प्रदर्शन कर रहे हैं, उसे देखते हुए उन्होंने मौजूदा समय का दुनिया का सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज माना जा सकता है. क्रिकेट के सारे स्ट्रोक्स उनके पास हैं. विराट की सबसे बड़ी बात यह है कि उनकी रनों की भूख कभी खत्म नहीं होती और यही बात उन्हें अपने दौर के दूसरे अच्छे बल्लेबाजों से अलग रखती है. टेस्ट, वनडे और टी-20, तीनों तरह के क्रिकेट में उनका रन औसत और स्ट्राइक रेट जबर्दस्त है. टी20 और वनडे का तो उनका औसत आश्चर्यजनक रूप से 50 के ऊपर है. महान तेंदुलकर भी इन दोनों फॉर्मेट के क्रिकेट में इतना ऊंचा औसत नहीं रख पाए. रनिंग विटवीन द विकेट और लीडरशिप क्वालिटी के मामले में भी विराट बेजोड़ हैं. नए 'फैब फोर' के लीडर बनने के वे सही हकदार हैं.
अजिंक्य रहाणे : समर्पण भाव कोई इनसे सीखे
विराट कोहली के बाद मुंबई के अजिंक्य रहाणे को भारत के मध्य क्रम का आधार स्तंभ माना जा सकता है. 'मिस्टर डिपेंडेबल' राहुल द्रविड़ की तरह ही वे लंगर डालकर खेलने में माहिर हैं. गेंदबाजों के लिए उनका विकेट हासिल करना आसान नहीं होता. अजिंक्य की एक बड़ी खूबी यह भी है कि देशी-विदेशी, दोनों तरह के मैदानों के लिहाज से अपने खेल को ढाल लेते हैं. बेशक, वनडे और टी20 में स्ट्राइक रोटेट करने के लिहाज से उन्हें राहुल द्रविड़ की तरह कुछ कमजोर माना जा सकता है, लेकिन वे बल्लेबाजी के दौरान एक छोर को 'सील' कर देते हैं, इससे दूसरे छोर पर मौजूद बल्लेबाज को खुलकर स्ट्रोक खेलने की आजादी मिल जाती है. फील्डिंग और कैचिंग में तो अजिंक्य बेजोड़ हैं.
रोहित शर्मा : हर स्ट्रोक में दिखती है श्रेष्ठता
लंबे समय तक रोहित शर्मा को ऐसा क्रिकेटर माना जाता रहा जो बेहद टेलेंटेड होने के बावजूद अपनी प्रतिभा से न्याय नहीं कर पा रहा था. बहरहाल अब लगता है कि मुंबई के इस स्टाइलिश बल्लेबाज ने अपनी क्षमता के अनुरूप प्रदर्शन करना सीख लिया है. वनडे और टी 20 के लिहाज से तो वे टीम इंडिया के लिए बहुमूल्य खिलाड़ी हैं. उनके शॉट्स ऐसे होते हैं कि विपक्षी खिलाड़ी भी ताली बजाने से खुद को नहीं रोक पाते. वनडे मैचों में दो दोहरे शतक उनके नाम पर दर्ज हैं. टेस्ट मैच के लिहाज से उन्होंने शुरुआती दो मैचों में दो शतक जमाकर बेहतरीन शुरुआत की थी, लेकिन बीच में कुछ राह भटक गए. अनुभव के साथ रोहित अपने आपको बेहतर कर रहे हैं. इस बल्लेबाज की सबसे बड़ी खासियत यही है कि ये सीधे बल्ले से खेलते हुए भी अपने और टीम के स्ट्राइक रेट को ऊंचाई पर बनाए रखते हैं.
लोकेश राहुल : छोटे से इंटरनेशनल करियर में ही दिखाई चमक
क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में अभी 10 से कम मैच खेले कर्नाटक के इस बल्लेबाज ने अपनी तकनीक से हर किसी को प्रभावित किया है. राहुल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वे इन तीनों फॉर्मेट के क्रिकेट में फिट हैं। टेस्ट, वनडे और टी 20, तीनों तरह के क्रिकेट में छक्का मारकर शतक लगाने का अनोखा रिकॉर्ड राहुल के नाम पर है. वेस्टइंडीज के खिलाफ टी 20 सीरीज के पहले मुकाबले में विशाल स्कोर का पीछा करते हुए राहुल ने न सिर्फ शतक जमाया, बल्कि टीम की जीत तक लगभग पहुंचा ही दिया था. दुर्भाग्य से भारत यह मैच एक रन से हार गया. आईपीएल में विराट कोहली की टीम रायल चैलेंजर्स बेंगलुरू से खेलते हुए राहुल कई यादगार पारियां खेल चुके हैं. आठ टेस्ट मैचों ही तीन शतक और एक अर्धशतक उनके नाम पर हैं. जरूरत पड़ने पर राहुल विकेटकीपिंग की जिम्मेदारी भी निभा लेते हैं. राहुल के मौजूदा प्रदर्शन को देखते हुए कहा जा सकता है कि अगर वे राह नहीं भटके तो आने वाले समय में कई बड़ी कामयाबियां उनकी राह में खड़ी हैं...
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