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This Article is From Oct 11, 2016

रवींद्र जडेजा के बाद मुरली विजय ने भी तोड़ा नियम, दौड़ पड़े 'डेंजर एरिया' में!

रवींद्र जडेजा के बाद मुरली विजय ने भी तोड़ा नियम, दौड़ पड़े 'डेंजर एरिया' में!
मुरली विजय ने भी पिच के बीचोंबीच दौड़ लगा दी थी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: टीम इंडिया के दो खिलाड़ियों को इंदौर टेस्ट के दौरान अंपायरों की चेतावनी का सामना करना पड़ा. रविवार को जहां बाएं हाथ के ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा को न केवल अंपायर की सख्त चेतावनी मिली, बल्कि उन पर 50 फीसदी मैच फीस का जुर्माना भी भरना पड़ा, वहीं सोमवार को ओपनर मुरली विजय ने जडेजा वाली ही गलती दोहरा दी. ऐसे में यदि खेल के नियमों को देखें, तो इन दोनों खिलाड़ियों ने इसका उल्लंघन किया और यह खेल भावना के भी खिलाफ रहा. हालांकि विजय ने गलती दोहराई नहीं, अन्यथा उन्हें भी जडेजा की तरह परिणाम भुगतना पड़ता. गौरतलब है कि मैच के दूसरे दिन चायकाल के बाद अंतिम सत्र में रवींद्र जडेजा ने यह नियम एक बार नहीं बल्कि चार बार तोड़ा था. उनकी इस गलती की सजा टीम इंडिया को भी मिली थी... आइए जानते हैं कि आखिर हुआ क्या और क्या है डेंजर एरिया, जो इसका कारण रहा...

टीम इंडिया की दूसरी पारी के पहले ओवर में तेज गेंदबाज ट्रेंट बोल्ट की पहली ही गेंद मुरली विजय के बैट का भीतरी किनारा लेकर गई और विजय रन लेने के लिए डेंजर एरिया तक दौड़ते चले गए. हालांकि उनके साथी गौतम गंभीर ने उन्हें वापस लौटा दिया. डेंजर एरिया में दौड़ने के लिए मुरली विजय को अंपायर ने नियम के अनुरूप पहले अनौपचारिक चेतावनी दी. हालांकि विजय ने मामले की गंभीरता को समझते हुए गलती दोहराई नहीं.

बल्लेबाज को पता होता है...
जब रवींद्र जडेजा को चेतावनी दी गई थी, तो उस पर कमेंटेटर वीरेंद्र सहवाग और संजय मांजरेकर का कहना था कि किसी भी बल्लेबाज को यह अच्छी तरह पता होता है कि वह कहां दौड़ रहा है. ऐसे में यह कहना कि उसने अनजाने में पिच के डेंजर एरिया में दौड़ लगाई, यह बात हजम होने लायक नहीं है.  ऐसे में खिलाड़ियों को खेल भावना और नियमों का सम्मान करते हुए इससे बचना चाहिए.

डेंजर एरिया और इसका नुकसान
डेंजर एरिया (Danger Area) यानी स्टंप्स की सीध में पिच का सुरक्षित क्षेत्र, जहां पर गेंदबाज आमतौर पर गेंद को टप्पा देते हैं. स्टंप्स के नजदीक बीचोंबीच स्थित इस दो फीट लंबे एरिया पर न तो गेंदबाजों और न ही बल्लेबाजों को दौड़ने की इजाजत होती है. यदि इस एरिया में स्पॉट आ जाते हैं या उसमें गढ्ढे आ जाते हैं, तो पिच पर गेंद अनियमित उछाल ले सकती है यानी अचानक नीची रह जाती है या ऊपर उठती है या ज्यादा टर्न ले सकती है... इससे बल्लेबाज को चोट भी लग सकती है और वह आउट भी हो सकता है... आमतौर पर इससे स्पिनरों को ज्यादा फायदा मिलता है... कई बार बल्लेबाज या खुद गेंदबाज खासतौर से पेसर जानबूझकर ऐसा करते हैं, जिससे साथी स्पिनरों को फायदा मिले... इसीलिए यह नियम बनाया गया है कि कोई भी बल्लेबाज रन लते समय डेंजर एरिया में नहीं दौड़ेगा और यदि वह ऐसा करता है, तो पहली बार में अंपायर उसे चेतावनी देते हैं, फिर दूसरी बार में गलती की गंभीरता को देखते हुए टीम पर रनों की पेनल्टी लगा सकते हैं, मैच फीस काट सकते हैं या यदि गेंदबाज है, तो उसे आगे गेंदबाजी करने से रोक भी सकते हैं..

आईसीसी के नियम के मुताबिक यदि रवींद्र जडेजा के खाते में अगले 24 माह के दौरान 4 या अधिक डीमेरिट अंक जुड़ जाते हैं, तो यह अंक कम सेकम दो सस्पेंशन अंकों में तब्दील हो जाएंगे और उन पर अगले मैच या मैचों के लिए प्रतिबंध लग सकता है. दो सस्पेंशन अंकों का मतलब होता है- एक टेस्ट या दो वनडे या दो टी-20 का प्रतिबंध.

जडेजा की 50 फीसदी मैच फीस कटी, 3 डीमेरिट अंक जुड़े
रवींद्र जडेजा वाली घटना पर नजर डालें, तो यह बात टीम इंडिया की पहली पारी के अंतिम दूसरे ओवर की थी. 168वें ओवर में रोहित शर्मा और रवींद्र जडेजा बल्लेबाजी कर रहे थे. उस समय रोहित 37 और जडेजा 16 रन पर खेल रहे थे. जडेजा ने शॉट खेलने के बाद पिच के बींचोबीच (डेंजर एरिया में) दौड़ लगा दी. इससे पहले भी वह ऐसा कर चुके थे और अंपायर ने उन्हें ऐसा न करने की दो बार अनौपचारिक और एक आधिकारिक चेतावनी दी थी. ऐसे में जब जडेजा ने चौथी बार वही गलती की, तो अंपायर ब्रूस ऑक्सेनफोर्ड ने उन्हें दूसरी सख्त चेतावनी देते हुए 5 रन की पेनल्टी लगी दी. ऐसे में न्यूजीलैंड के स्कोर में बिना बैटिंग किए ही 5 रन जुड़ गए. इतना ही नहीं मैच रेफरी डेविड बून ने उनकी 50 प्रतिशत मैच फीस भी काट ली है और उनके नाम 3 डीमेरिट अंक जोड़ दिए गए हैं. इसके अगले ही ओवर में विराट कोहली ने 557 रन पर पारी समाप्ति की घोषणा कर दी.

खराब पिच पर अत्यधिक खतरनाक होते हैं जडेजा
रवींद्र जडेजा टीम इंडिया के लिए बल्ले से भले ही कभी कभार योगदान देते हों, लेकिन गेंदबाजी में काफी प्रभावी रहते हैं. खासतौर से घरेलू पिच पर उनका कोई जवाब नहीं. ऐसे में यदि पिच उनके अनुकूल मिल जाए, तो विरोधी टीम के बल्लेबाजों के लिए उन्हें खेलना लगभग नामुमकिन होता है और वह उन्हें पलभर में पैवेलियन लौटा देते हैं. ऐसे में पिच पर दौड़ने से उनकी मंशा पर शक हो रहा था.

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