एमएस धोनी ने तो इस रिकॉर्ड का भी नहीं पाला मोह, जो वह अगले ही मैच में हासिल कर लेते...

एमएस धोनी ने तो इस रिकॉर्ड का भी नहीं पाला मोह, जो वह अगले ही मैच में हासिल कर लेते...

एमएस धोनी ने अपने खेल पर फोकस करने के लिए कप्तानी छोड़ी है (फाइल फोटो)

खास बातें

  • एमएस धोनी ने 199 वनडे मैचों में टीम इंडिया की कप्तानी की
  • धोनी की कप्तानी में इंडिया ने आखिरी सीरीज न्यूजीलैंड से खेली थी
  • उनकी कप्तानी में टीम ने 110 मैचों में जीत हासिल की थी
नई दिल्ली:

महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni), जिसने टीम इंडिया को हर वह ऊंचाई दी, जिसकी उनसे उम्मीद थी. फैसले लेने में महारत रखने वाले इस पूर्व कप्तान के कूल मिजाज का हर कोई कायल रहा है. आमतौर जब भी हम और आप कोई बड़ा फैसला लेने के बारे में सोचते हैं, खासतौर से कोई ऐसा फैसला जो हमारे करियर को बदलकर रख देने की संभावनाओं से भरा हो, तो हम में से अधिकांश की रातों की नींद हराम हो जाती है, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता और अगर असर होता भी है, तो वह चेहरे पर नजर नहीं आता. लोगों की इसी श्रेणी में आते हैं टीम इंडिया के वनडे और टी-20 कप्तान रहे महेंद्र सिंह धोनी.

जब उन्होंने टेस्ट टीम की कप्तानी छोड़ी थी, तो भी उनके चेहरे पर निराशा के कोई भाव नहीं थे और अब जब उन्होंने वनडे और टी-20 की कप्तानी छोड़ी है, तो भी वह हंसते हुए नजर आए. जाहिर है उनके दिमाग में भविष्य का खाका खिंचा हुआ है और उन्हें इसे लेकर कोई चिंता नहीं है. उन्होंने कहा भी है कि वह कोई भी फैसला बिना सोचे-समझे नहीं करते. इस बीच उन्होंने कप्तानी छोड़ते समय एक ऐसी मंजिल पर भी ध्यान नहीं दिया, जो उन्हें अगला वनडे खेलते ही हासिल हो जाती... (पढ़ें- एमएस धोनी के 5 चौंकाने वाले फैसले)

झारखंड और गुजरात के बीच नागपुर में सेमीफाइनल मैच के दौरान एमएस धोनी मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद के साथ हंसते हुए चर्चा में मशगूल दिखे. जाहिर है उस दौरान उनके मन में कप्तानी छोड़ने को लेकर विचार उमड़ रहे होंगे, लेकिन उनके चेहरे पर इसका कोई निशान नहीं नजर आ रहा था. यही तो उनकी खासियत है, वह तनाव को हावी नहीं होने देते और कूल बने रहते हैं. उन्हें देखकर कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि वह कप्तानी छोड़ने जा रहे हैं, उल्टे लोग समझ रहे थे कि वह इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज को लेकर टीम संयोजन के बारे में विमर्श कर रहे होंगे. हो भी क्यों न वह हमेशा टीम के बारे में सोचते जो रहते हैं... (कप्तानी छोड़ने से पहले महेंद्र सिंह धोनी 'एमएसडी' ने मुख्य चयनकर्ता 'एमएसके' से कहे यह तीन शब्द...)

आपने एमएस धोनी को बल्लेबाजी के दौरान 90 के आसपास भी बड़ा शॉट लगाते हुए देखा होगा. मतलब वह शतक के करीब पहुंचकर भी टीम की जरूरत के हिसाब से ही खेलते रहे, फिर चाहे शतक बने या न बने या कोई अन्य रिकॉर्ड बना पाएं या नहीं. मैच खेलने के मामले में बात करें, तो कप्तान और विकेटकीपर के रूप में वह 331 मैचों के साथ वर्ल्ड में नंबर वन हैं, लेकिन वह इंग्लैंड के खिलाफ 15 जनवरी से होने वाली वनडे सीरीज के पहले मैच में एक ऐसा मुकाम हासिल कर लेते, जो हर कप्तान और क्रिकेटर का सपना होता है. वैसे खिलाड़ी के रूप में धोनी यह उपलब्धि पहले ही हासिल कर चुके थे, लेकिन कप्तान के रूप में भी उनके पास एक मैच खेलने के साथ ही ऐसा करने का मौका था, लेकिन उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया और टीम हित में सोचते हुए खुद ही विराट कोहली के लिए रास्ता साफ कर दिया..

पूरी कर लेते मैचों की डबल सेंचुरी, वर्ल्ड में हैं नंबर तीन पर
यदि महेंद्र सिंह धोनी कप्तान के रूप में एक वनडे और खेल लेते तो कप्तान के तौर पर यह उनका 200वां मैच होता, जो एक उपलब्धि होती. वैसे कप्तान के रूप में धोनी ने पहले ही कई अविस्मरणीय उपलब्धियां अपने नाम कर ली हैं. धोनी (199 वनडे) कप्तान के रूप में सबसे अधिक वनडे खेलने वाले कप्तानों में तीसरे नंबर पर हैं. उनसे ऊपर ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पॉन्टिंग (230) और न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान स्टीफन फ्लेमिंग (218) हैं, लेकिन यह दोनों ही संन्यास ले चुके हैं. मतलब धोनी चाहते, तो कम से कम स्टीफन फ्लेंमिंग को पछाड़कर दूसरे नंबर पर तो आ ही सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.  

टी-20 की बात करें, तो 72 मैचों के साथ टॉप पर हैं, वहीं टेस्ट मैचों में एमएस धोनी कप्तान के तौर पर सर्वाधिक मैच खेलने वालों के बीच छठे नंबर पर हैं. उन्होंने 60 मैच के बाद टेस्ट से संन्यास लिया था. धोनी भारत के एकमात्र ऐसे कप्तान भी हैं, जिसने ऑस्ट्रेलियाई धरती पर वनडे और टी-20 सीरीज और न्यूजीलैंड में वनडे सीरीज जीती है.

टीम का हित सर्वोपरि
महेंद्र सिंह धोनी ने हमेशा ही टीम के हित को सबसे पहले रखा है. जब उन्हें लगा कि वह टेस्ट मैचों में टीम को जीत नहीं दिला पा रहे हैं, तो उन्होंने उससे हट जाना उचित समझा और अब टीम इंडिया विराट कोहली की कप्तानी में पिछले 5 सीरीज से अजेय है. अब उन्होंने अगला वनडे वर्ल्ड कप नजदीक आता देख वनडे और टी-20 की कप्तानी त्याग दी है. टीम इंडिया को अगले वर्ल्ड कप से पहले महज 55 मैच खेलने हैं. मतलब टीम को आकार देने के लिए विराट के पास समय कम बचता और चैंपियन्स ट्रॉफी भी पास है, जिसके लिए टीम के पास इंग्लैंड के खिलाफ वनडे सीरीज अहम होगी. अब विराट कोहली अपने मन मुताबिक टीम चुन पाएंगे.

कप्तान के रूप में बनाए 6 हजार से अधिक रन
एमएस धोनी ने कप्तान के रूप में वनडे में 54 के औसत से 6633 रन बनाए हैं और उनका स्ट्राइक रेट 86 का रहा है. टी-20 में 122.60 के स्ट्राइक रेट से 112 रन बनाए हैं, जबकि टेस्ट में 40.63 के औसत से 3454 रन ठोके हैं.

वनडे, टी-20, टेस्ट में सक्सेस रेट
एमएस धोनी ने 199 वनडे मैचों में कप्तानी की, जिनमे से 110 में जीत दिलाई और उन्का सक्सेस रेट 60% रहा. इस मामले में भारत में उनसे पीछे अजहर हैं, जिन्होंने 174 मैचों में टीम की कप्तानी की और 90 में जीत दिलाई और उनका सक्सेस रेट 54% रहा. टेस्ट में धोनी ने 60 मैचों में कप्तानी कर 27 में जीत दिलाई और सक्सेस रेट 45% रहा. इस मामले में उनसे पीछे सौरव गांगुली हैं, जिन्होंने 49 मैचों में कप्तानी कर 21 टेस्ट में जीत दिलाई थी और उनका सक्सेस रेट 26% रहा था. धोनी की कप्तानी में इंडिया ने 72 टी20 खेले हैं, जिनमें से 41 में जीत मिली और सक्सेस रेट 60% रहा है.

आईसीसी के सभी टूर्नामेंट जीते, टेस्ट में नंबर वन
एमएस धोनी ने अपनी कप्तानी में टीम इंडिया के आईसीसी टी-20 वर्ल्ड कप (2007), वनडे वर्ल्ड कप (2011) दिलाए हैं और 2013 में चैंपियन्स ट्रॉफी में जीत दिलाई. उनकी कप्तानी में टीम इंडिया साल 2009 में टेस्ट मैचों में नंबर वन रही थी.


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