आख़िर क्यों मात खा रही है टीम इंडिया अंतिम 10 ओवरों में?

आख़िर क्यों मात खा रही है टीम इंडिया अंतिम 10 ओवरों में?

महेंद्र सिंह धोनी (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

वनडे में पहले 15 ओवर और आख़िरी 10 ओवर का पेंच सुलझाने की कोशिश वर्षों से होती रही है। कुछ कप्तानों ने इसका हल ढूंढ़ लिया, तो कुछ अब भी जवाब तलाशने में लगे हैं। आख़िर क्या है मैच के आख़िरी 10 ओवरों में? बल्लेबाज़ी हो या फिर गेंदबाज़ी, क्यों मात खा रही है टीम इंडिया अंतिम 10 ओवरों में?

अगर सीरीज़ में खेले गए मैचों के आंकड़ों पर नज़र डालें, तो टीम इंडिया आख़िरी 10 ओवरों में ज़्यादा रन नहीं बटोर सकी है। पर्थ में पहले बल्लेबाज़ी करते हुए भारतीय टीम ने आख़िरी 10 ओवर में 93 रन बटोरे, ब्रिसबेन में 75 और मेलबर्न में 88 रन बनाए। ऑस्ट्रेलिया ने कैनबरा में पहले बल्लेबाज़ी की और टीम इंडिया से ज़्यादा रन अपने आख़िरी 10 ओवर में बटोरे। कंगारूओं ने इतने ही ओवर में 111 रन बनाए।

हर कोई कह रहा है कि टीम इंडिया की गेंदबाज़ी ख़राब है, गेंदबाज़ रन लुटाने में माहिर हो गए हैं और इसके लिए उनके अनुभव की दुहाई दी जा रही है। टीम इंडिया के डायरेक्टर रवि शास्त्री यहां तक कहते हैं कि सभी खिलाड़ी सीख रहे हैं और यहां से टीम का ग्राफ़ ऊपर जाएगा। अब ज़रा ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ों पर भी नज़र डाल लिया जाए। कंगारू गेंदबाज़ों और भारतीय गेंदबाज़ों का अनुभव मिलाजुला कर बराबर है, लेकिन गेंदबाज़ी में वो कम रन लुटाते हैं, जबकि हमारे गेंदबाज़ ज़्यादा।

भारतीय टीम के गेंदबाज़ों की कैनबरा वनडे के आख़िरी 10 ओवर में इकॉनोमी रेट देखा जाए, तो उमेश ने 3 ओवर डाले जिसमें उनकी इकॉनोमी 8.00 की रही। स्विंग के उस्ताद माने जाने वाले भुवनेश्वर कुमार ने 2 ओवर डाले और 10.50 की इकॉनोमी से रन दिए। ईशांत शर्मा के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 10 साल हो गए हैं, लेकिन उन्होंने रन रोकना नहीं सीखा। 78 वनडे खेल चुके ईशांत ने 4 ओवर डाले और 12.50 की इकॉनोमी से रन दिए। ऋषि धवन को एक ओवर डालने का मौक़ा मिला तो उनकी इकॉनोमी 11.00 रही।

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दूसरी तरफ़ ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाज़ों से इसकी तुलना की जाए तो पहले तीन वनडे में कंगारूओं ने पहले गेंदबाज़ी की और आख़िरी 10 ओवर में- जोश हेज़लवुड का इकॉनोमी 5.67 का रहा, जॉन हेस्टिंग का इकॉनोमी 6.75, मिचेल मार्श 7.50, केन रिचर्ड्सन 9.00, जेम्स फ़ॉकनर 9.09 और स्कॉट बॉलैंड 9.88 का रहा। दोनों की तुलना में कौन बेहतर है, इसका फ़ैसला करना ज़्यादा मुश्किल काम नहीं है। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को आख़िरी 10 ओवरों की परेशानी का जवाब जल्द ढूंढ़ना होगा, तभी फिर से वो चैंपियन धोनी कहलाएंगे।