प्रदर्शन में स्थिरता नहीं होना ईशांत की अब तक की सबसे बड़ी कमजोरी रहा है
ईशांत शर्मा की गिनती उन क्रिकेटरों में की जाती है जो बेहद प्रतिभावान होने के बाद भी अब तक अपनी वास्तविक क्षमता के अनुरूप प्रदर्शन नहीं सके हैं. करियर के शुरुआती दौर में ही ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पोंटिंग की सराहना बटोरने वाले दिल्ली के इस तेज गेंदबाज का प्रदर्शन बेहद अच्छे और खराब के बीच में झूलता रहा है.
प्रदर्शन में स्थिरता का अभाव एक ऐसा पहलू है जो ईशांत के बड़ा खिलाड़ी बनने में अभी तक सबसे बड़ी बाधा साबित हुआ है. संभवत: यही कारण है कि क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट, टेस्ट, वनडे और टी 20 की टीम में वे जगह नहीं बना पाए हैं. वनडे मैचों में डेथ ओवर्स में कसी हुई गेंदबाजी नहीं कर पाना लंबे कद के इस गेंदबाज का वीक पाइंट रहा है. इसके कारण न सिर्फ वे आलोचकों के निशाने पर रहे, बल्कि वनडे टीम में अपना स्थान भी उन्हें गंवाना पड़ा. अपनी लय में होने पर ईशांत टीम के लिए मैच विनर बन जाते हैं (फाइल फोटो)
2 सितंबर को 28 वर्ष पूरे करने वाले ईशांत शर्मा रिदमिक बॉलर हैं. गेंदबाजी में लय हासिल करने के बाद उनको खेल पाना दुनिया के नामी बल्लेबाजों के लिए भी मुश्किल होता है. लंबे कद और 'स्मूद' एक्शन के कारण वे गेंदों को अच्छी उछाल दे पाते हैं. एंगल लेती उनकी गेंदों पर बल्लेबाज विकेट के पीछे या स्लिप में कैच देने को मजबूर हो जाता है. अपनी गति और ऐसी ही गेंदों से वर्ष 2008 के भारतीय टीम के ऑस्ट्रेलियाई दौरे में ईशांत ने तेज गेंदबाजी को बेहद कुशलता से खेलने वाले रिकी पोंटिंग को खासा परेशान किया था. इस दौरान हुई टेस्ट सीरीज में भारतीय टीम ने पर्थ के तेज विकेट पर ऑस्ट्रेलिया को 72 रन से हराया था. खास बात यह रही थी कि इस टेस्ट में दोनों ही पारियों में पोंटिंग को ईशांत ने ही शिकार बनाया था. आउट होने का तरीका भी एक जैसा था..रिकी पोंटिंग कै. द्रविड़ बो.ईशात शर्मा. ईशांत अच्छी गति से गेंदबाजी करते हैं. कई मौकों पर वे 150 किमी प्रति घंटा की गति से गेंदें फेंक चुके हैं.
इस दौरे में हुई वनडे सीरीज में भी 'नवोदित' ईशांत अपने प्रदर्शन से हर किसी को प्रभावित करने में सफल रहे थे.यह ईशांत की गेंदबाजी का ही असर था कि पोंटिंग ने उन्हें तब असाधारण गेंदबाज करार दिया था. ईशांत शर्मा की प्रशंसा में तत्कालीन ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ने कहा था, 'ईशांत इस मायने में दूसरे गेंदबाजों से अलग हैं कि वे कंधे के जोर से विकेट से काफी उछाल पाने में सफल होते हैं. दाएं हाथ के बल्लेबाज हों या बाएं हाथ के, वे दोनों के लिए समान रूप से खतरनाक साबित होते हैं. दाएं हाथ के बल्लेबाजों के लिहाज से उनके पास जो इन स्विंग है, वह तो बेहद खास है.' ईशांत के अनुसार, उन्होंने पोंटिंग को चौथे स्टंप (ऑफ स्टंप के बेहद करीब) गेंदबाजी करने की योजना बनाई थी जिसने बखूबी काम किया.
ईशांत की एक अन्य काबिलियत लंबे स्पैल फेंकने की उनकी क्षमता है. पर्थ टेस्ट में ही सात ओवर के स्पैल के बाद उन्हें थका हुआ समझकर तत्कालीन कप्तान अनिल कुंबले उन्हें अटैक से हटाने वाले थे. ऐसे में वीरेंद्र सहवाग ने कप्तान कुंबले को ईशांत को आक्रमण में बनाए रखने की सलाह दी. सहवाग जानते थे कि दिल्ली टीम के उनके सहयोगी ईशांत बिना थके लंबे स्पैल फेंक सकते हैं. ईशांत को अटैक पर बनाए रखने का यह फैसला कारगर रहा और उन्होंने पोंटिंग को आउट करके पर्थ टेस्ट में टीम इंडिया की जीत की राह तैयार कर दी.
इस दौरे के वनडे मैचों में भी ईशांत ने जोरदार प्रदर्शन किया. वर्ष 2008 में ही ऑस्ट्रेलियाई टीम जब टेस्ट खेलने भारत आई तो ईशांत फिर अपने प्रदर्शन से छाए रहे. दो टेस्ट मैचों में उन्होंने सर्वाधिक 16 विकेट झटके और मैन ऑफ द सीरीज घोषित किए गए. साथियों के बीच 'लंबू' के नाम से लोकप्रिय ईशांत का यह सर्वश्रेष्ठ दौर था और तब आईपीएल में कोलकाता नाइटराइडर्स की टीम ने उन्हें रिकॉर्ड राशि पर खरीदा था.
इसके बाद उनके प्रदर्शन में गिरावट आती गई. उनकी गेंदों का तीखापन कम होता गया और वे अक्सर दिशाहीन होने लगे. इसका कारण संभवत: उन्हें किसी अनुभवी गेंदबाज का सही मार्गदर्शन नहीं मिल पाना रहा. नौबत यहां तक आ पहुंची कि वनडे टीम में उन्होंने अपना स्थान गंवा दिया. ईशांत ने टेस्ट क्रिकेट में 200 से अधिक विकेट जरूर लिए हैं, लेकिन उनका औसत (36.71रन प्रति विकेट) उनकी प्रतिभा से न्याय नहीं करता. एक हद तक ईशांत को बदकिस्मत भी माना जाता है. कई बार तो बल्लेबाज को बार-बार बीट करने के बाद भी विकेट उनके खाते में नहीं आ पाते. जहीर खान के संन्यास लेने के बाद ईशांत अब टीम इंडिया में मोस्ट सीनियर बॉलर के रोल में हैं. ऐसे में टीम में उनका रोल अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देने के साथ-साथ युवा गेंदबाजों को गाइड करने का भी है. सगाई के दौरान प्रतिमा के साथ तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा
हाल ही में ईशांत की सगाई अंतरराष्ट्रीय स्तर की बास्केटबॉल खिलाड़ी खिलाड़ी प्रतिमा सिंह के साथ हुई थी. वे संभवत: वर्ष के अंत में विवाह बंधन में बंधेंगे. बाबा विश्वनाथ की नगरी बनारस में जन्मी प्रतिमा और उनकी बहनें बास्केटबॉल में 'सिंह सिस्टर्स' के नाम से जानी जाती हैं. उम्र के साथ ईशांत के प्रदर्शन में परिपक्वता आई है. उम्मीद है कि प्रतिमा के रूप में 'लेडी लक' ईशांत के प्रदर्शन को और बेहतर बनाने में मददगार साबित होगा.
ईशांत का गेंदबाजी प्रदर्शन
टेस्ट 72, रन दिए 7674, विकेट209, औसत 36.71, सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी 7/74,मैच में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 10/108, पांच विकेट सात बार, 10 विकेट एक बार
वनडे 80, रन दिए 3563, विकेट 115, सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी 4/34, औसत 30.98, इकोनॉमी रेट 5.72, स्ट्राइक रेट 32.4
टी20 मैच 14, रन दिए 400, विकेट 8, सर्वश्रेष्ठ2/34, औसत 50.00, इकोनॉमी रेट8.63, स्ट्राइक रेट 34.7.
प्रदर्शन में स्थिरता का अभाव एक ऐसा पहलू है जो ईशांत के बड़ा खिलाड़ी बनने में अभी तक सबसे बड़ी बाधा साबित हुआ है. संभवत: यही कारण है कि क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट, टेस्ट, वनडे और टी 20 की टीम में वे जगह नहीं बना पाए हैं. वनडे मैचों में डेथ ओवर्स में कसी हुई गेंदबाजी नहीं कर पाना लंबे कद के इस गेंदबाज का वीक पाइंट रहा है. इसके कारण न सिर्फ वे आलोचकों के निशाने पर रहे, बल्कि वनडे टीम में अपना स्थान भी उन्हें गंवाना पड़ा.
2 सितंबर को 28 वर्ष पूरे करने वाले ईशांत शर्मा रिदमिक बॉलर हैं. गेंदबाजी में लय हासिल करने के बाद उनको खेल पाना दुनिया के नामी बल्लेबाजों के लिए भी मुश्किल होता है. लंबे कद और 'स्मूद' एक्शन के कारण वे गेंदों को अच्छी उछाल दे पाते हैं. एंगल लेती उनकी गेंदों पर बल्लेबाज विकेट के पीछे या स्लिप में कैच देने को मजबूर हो जाता है. अपनी गति और ऐसी ही गेंदों से वर्ष 2008 के भारतीय टीम के ऑस्ट्रेलियाई दौरे में ईशांत ने तेज गेंदबाजी को बेहद कुशलता से खेलने वाले रिकी पोंटिंग को खासा परेशान किया था. इस दौरान हुई टेस्ट सीरीज में भारतीय टीम ने पर्थ के तेज विकेट पर ऑस्ट्रेलिया को 72 रन से हराया था. खास बात यह रही थी कि इस टेस्ट में दोनों ही पारियों में पोंटिंग को ईशांत ने ही शिकार बनाया था. आउट होने का तरीका भी एक जैसा था..रिकी पोंटिंग कै. द्रविड़ बो.ईशात शर्मा. ईशांत अच्छी गति से गेंदबाजी करते हैं. कई मौकों पर वे 150 किमी प्रति घंटा की गति से गेंदें फेंक चुके हैं.
इस दौरे में हुई वनडे सीरीज में भी 'नवोदित' ईशांत अपने प्रदर्शन से हर किसी को प्रभावित करने में सफल रहे थे.यह ईशांत की गेंदबाजी का ही असर था कि पोंटिंग ने उन्हें तब असाधारण गेंदबाज करार दिया था. ईशांत शर्मा की प्रशंसा में तत्कालीन ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ने कहा था, 'ईशांत इस मायने में दूसरे गेंदबाजों से अलग हैं कि वे कंधे के जोर से विकेट से काफी उछाल पाने में सफल होते हैं. दाएं हाथ के बल्लेबाज हों या बाएं हाथ के, वे दोनों के लिए समान रूप से खतरनाक साबित होते हैं. दाएं हाथ के बल्लेबाजों के लिहाज से उनके पास जो इन स्विंग है, वह तो बेहद खास है.' ईशांत के अनुसार, उन्होंने पोंटिंग को चौथे स्टंप (ऑफ स्टंप के बेहद करीब) गेंदबाजी करने की योजना बनाई थी जिसने बखूबी काम किया.
ईशांत की एक अन्य काबिलियत लंबे स्पैल फेंकने की उनकी क्षमता है. पर्थ टेस्ट में ही सात ओवर के स्पैल के बाद उन्हें थका हुआ समझकर तत्कालीन कप्तान अनिल कुंबले उन्हें अटैक से हटाने वाले थे. ऐसे में वीरेंद्र सहवाग ने कप्तान कुंबले को ईशांत को आक्रमण में बनाए रखने की सलाह दी. सहवाग जानते थे कि दिल्ली टीम के उनके सहयोगी ईशांत बिना थके लंबे स्पैल फेंक सकते हैं. ईशांत को अटैक पर बनाए रखने का यह फैसला कारगर रहा और उन्होंने पोंटिंग को आउट करके पर्थ टेस्ट में टीम इंडिया की जीत की राह तैयार कर दी.
इस दौरे के वनडे मैचों में भी ईशांत ने जोरदार प्रदर्शन किया. वर्ष 2008 में ही ऑस्ट्रेलियाई टीम जब टेस्ट खेलने भारत आई तो ईशांत फिर अपने प्रदर्शन से छाए रहे. दो टेस्ट मैचों में उन्होंने सर्वाधिक 16 विकेट झटके और मैन ऑफ द सीरीज घोषित किए गए. साथियों के बीच 'लंबू' के नाम से लोकप्रिय ईशांत का यह सर्वश्रेष्ठ दौर था और तब आईपीएल में कोलकाता नाइटराइडर्स की टीम ने उन्हें रिकॉर्ड राशि पर खरीदा था.
इसके बाद उनके प्रदर्शन में गिरावट आती गई. उनकी गेंदों का तीखापन कम होता गया और वे अक्सर दिशाहीन होने लगे. इसका कारण संभवत: उन्हें किसी अनुभवी गेंदबाज का सही मार्गदर्शन नहीं मिल पाना रहा. नौबत यहां तक आ पहुंची कि वनडे टीम में उन्होंने अपना स्थान गंवा दिया. ईशांत ने टेस्ट क्रिकेट में 200 से अधिक विकेट जरूर लिए हैं, लेकिन उनका औसत (36.71रन प्रति विकेट) उनकी प्रतिभा से न्याय नहीं करता. एक हद तक ईशांत को बदकिस्मत भी माना जाता है. कई बार तो बल्लेबाज को बार-बार बीट करने के बाद भी विकेट उनके खाते में नहीं आ पाते. जहीर खान के संन्यास लेने के बाद ईशांत अब टीम इंडिया में मोस्ट सीनियर बॉलर के रोल में हैं. ऐसे में टीम में उनका रोल अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देने के साथ-साथ युवा गेंदबाजों को गाइड करने का भी है.
हाल ही में ईशांत की सगाई अंतरराष्ट्रीय स्तर की बास्केटबॉल खिलाड़ी खिलाड़ी प्रतिमा सिंह के साथ हुई थी. वे संभवत: वर्ष के अंत में विवाह बंधन में बंधेंगे. बाबा विश्वनाथ की नगरी बनारस में जन्मी प्रतिमा और उनकी बहनें बास्केटबॉल में 'सिंह सिस्टर्स' के नाम से जानी जाती हैं. उम्र के साथ ईशांत के प्रदर्शन में परिपक्वता आई है. उम्मीद है कि प्रतिमा के रूप में 'लेडी लक' ईशांत के प्रदर्शन को और बेहतर बनाने में मददगार साबित होगा.
ईशांत का गेंदबाजी प्रदर्शन
टेस्ट 72, रन दिए 7674, विकेट209, औसत 36.71, सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी 7/74,मैच में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 10/108, पांच विकेट सात बार, 10 विकेट एक बार
वनडे 80, रन दिए 3563, विकेट 115, सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी 4/34, औसत 30.98, इकोनॉमी रेट 5.72, स्ट्राइक रेट 32.4
टी20 मैच 14, रन दिए 400, विकेट 8, सर्वश्रेष्ठ2/34, औसत 50.00, इकोनॉमी रेट8.63, स्ट्राइक रेट 34.7.
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