आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग को लेकर पेप्सी इस टूर्नामेंट से हटना चाहती है (सौजन्य : PTI)
शशांक मनोहर के भारतीय क्रिकेट बोर्ड का अध्यक्ष बने हुए अभी एक सप्ताह भी नहीं हुआ है, कि बीसीसीआई को एक बड़ा झटका लगा है। बीसीसीआई के सबसे बड़े टूर्नामेंट इंडियन प्रीमियर लीग की स्पॉन्सरशिप कंपनी पेप्सी ने टूर्नामेंट से नाता तोड़ने के लिए बोर्ड को खत भेजा है।
स्पॉट फिक्सिंग को बताया कारण
एक प्रमुख अंग्रेजी अखबार के मुताबिक पेप्सी ने बोर्ड को लिखे खत में आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग मामले के चलते उपजे विवाद को वजह बताते हुए टूर्नामेंट से हटने की इच्छा जताई है। एनडीटीवी के स्रोतों ने भी खबर की पुष्टि की है। वैसे यह खत शशांक मनोहर के बीसीसीआई अध्यक्ष बनने से काफी पहले भेजा गया था।
पेप्सी के पास आईपीएल के साल 2013 से 2017 के स्पॉन्सरशिप का अधिकार है और इसके लिए उसे भारतीय क्रिकेट बोर्ड को 396 करोड़ रुपये अदा करने हैं। हालांकि इस बारे में पेप्सी कंपनी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
पेप्सी के लिए आसान नहीं होगा हटना
अब यह माना जा रहा है कि बीसीसीआई की वर्किंग कमेटी में बीसीसीआई इस मुद्दे पर चर्चा करेगी। हालांकि पेप्सी के लिए इस करार से अलग हटना इतना आसान नहीं होगा। इसके लिए उसे बीसीसीआई को पेनल्टी भी चुकानी पड़ सकती है। शशांक मनोहर खुद भी नामचीन वकील हैं, ऐसे में पेप्सी को इस पहलू में कानूनी विकल्प तलाशने में भी मुश्किल हो सकती है।
ऐसे में बहुत संभव है कि बीसीसीआई के नए अध्यक्ष पेप्सी को इस करार को 2017 तक कायम रखने के लिए मना लें। शशांक ने बीसीसीआई अध्यक्ष बनने के बाद महज दो महीनों के अंदर बीसीसीआई की छवि को बदलने का भरोसा दिलाया है। पेप्सी आईपीएल की खराब छवि के चलते ही पल्ला झाड़ना चाहती है, वहीं मनोहर खराब छवि को बेहतर छवि में बदलने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
स्पॉट फिक्सिंग को बताया कारण
एक प्रमुख अंग्रेजी अखबार के मुताबिक पेप्सी ने बोर्ड को लिखे खत में आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग मामले के चलते उपजे विवाद को वजह बताते हुए टूर्नामेंट से हटने की इच्छा जताई है। एनडीटीवी के स्रोतों ने भी खबर की पुष्टि की है। वैसे यह खत शशांक मनोहर के बीसीसीआई अध्यक्ष बनने से काफी पहले भेजा गया था।
पेप्सी के पास आईपीएल के साल 2013 से 2017 के स्पॉन्सरशिप का अधिकार है और इसके लिए उसे भारतीय क्रिकेट बोर्ड को 396 करोड़ रुपये अदा करने हैं। हालांकि इस बारे में पेप्सी कंपनी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
पेप्सी के लिए आसान नहीं होगा हटना
अब यह माना जा रहा है कि बीसीसीआई की वर्किंग कमेटी में बीसीसीआई इस मुद्दे पर चर्चा करेगी। हालांकि पेप्सी के लिए इस करार से अलग हटना इतना आसान नहीं होगा। इसके लिए उसे बीसीसीआई को पेनल्टी भी चुकानी पड़ सकती है। शशांक मनोहर खुद भी नामचीन वकील हैं, ऐसे में पेप्सी को इस पहलू में कानूनी विकल्प तलाशने में भी मुश्किल हो सकती है।
ऐसे में बहुत संभव है कि बीसीसीआई के नए अध्यक्ष पेप्सी को इस करार को 2017 तक कायम रखने के लिए मना लें। शशांक ने बीसीसीआई अध्यक्ष बनने के बाद महज दो महीनों के अंदर बीसीसीआई की छवि को बदलने का भरोसा दिलाया है। पेप्सी आईपीएल की खराब छवि के चलते ही पल्ला झाड़ना चाहती है, वहीं मनोहर खराब छवि को बेहतर छवि में बदलने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
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