नई दिल्ली:
इंडियन प्रीमियर लीग पर क्रिकेटरों को लालची बनाने का आरोप लगाते हुए श्रीलंका के विश्वकप विजेता कप्तान अर्जुन रणतुंगा ने आज कहा कि इस लीग से भारतीय क्रिकेट को बदनामी के सिवा कुछ नहीं मिला और उन्हें हैरानी है कि कई महान क्रिकेटर इसे बचाने की कोशिश में लगे हैं।
रणतुंगा ने कहा, मैं पहले से कहता आया हूं कि आईपीएल क्रिकेट में सट्टेबाजी, फिक्सिंग, शराबखोरी, डोपिंग जैसी कई बुराइयों को लेकर आया है। मौजूदा स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण ने ताबूत में आखिरी कील ठोकने का काम किया है और मेरा मानना है कि क्रिकेट की भलाई के लिए आईपीएल को बंद कर देना चाहिए। आईपीएल के मुखर आलोचकों में से एक रहे रणतुंगा ने हैरानी जताई कि कई महान क्रिकेटर आईपीएल के पक्ष में बोल रहे हैं।
उन्होंने कहा, मुझे दुख है कि अपने जमाने के कई महान क्रिकेटर पैसा कमाने के लिए आईपीएल का बचाव कर रहे हैं। ईरापल्ली प्रसन्ना जैसे कुछ ही क्रिकेटर हैं, जो इसके खिलाफ खुलकर सामने आए हैं। उन्होंने कहा, आईपीएल क्यों खेला जा रहा है। इससे भारतीय क्रिकेट को क्या मिला है। विश्व क्रिकेट में भारत की इतनी बदनामी कभी नहीं हुई। यह 2000 के मैच फिक्सिंग प्रकरण के बराबर का मामला है और इसका असर सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है।
रणतुंगा ने कहा, मुझे पिछले छह साल में एक भी खिलाड़ी ऐसा नहीं देखा जो भारतीय क्रिकेट को आईपीएल की देन हो। आईपीएल के चलते भारत को कभी तेंदुलकर, द्रविड़, गावस्कर या कपिल जैसे खिलाड़ी नहीं मिल सकेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि बीसीसीआई का घरेलू क्रिकेट का ढांचा इतना सक्षम है कि उससे अच्छे क्रिकेटर निकल सके और उसे आईपीएल की कोई जरूरत नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ आईपीएल छह ही नहीं बल्कि हर सत्र में भ्रष्टाचार का शक रहा है और आईसीसी की भ्रष्टाचार निरोधक ईकाई के पूर्व अध्यक्ष सर पाल कंडोन ने 2008 में आईपीएल के पहले सत्र के बाद ही इसके संकेत दिए थे।
रणतुंगा ने कहा, आईपीएल में फिक्सिंग का खुलासा अब हुआ है, लेकिन 2008 में पहले सत्र से ही शक की सुई इस लीग पर थी। सर पाल कंडोन ने इस पर एक दस्तावेज भी आईसीसी बोर्ड को दिया था। उन्होंने कहा, सर पाल कंडोन ने कहा था कि नब्बे के दशक के बाद अब आईपीएल क्रिकेट में भ्रष्टाचार के आसान जरिये के रूप में उभरा है। यदि बीसीसीआई को वाकई क्रिकेट से भ्रष्टाचार को दूर करना था तो उसी समय कार्रवाई करनी चाहिए थी। उन्होंने कहा, लेकिन भारतीय बोर्ड ने अपनी खुद की भ्रष्टाचार निरोधक ईकाई बनाई और हर आईपीएल में कोई ना कोई विवाद जुड़ा रहा। यह क्रिकेट नहीं बल्कि क्रिकेट का तमाशा है और खिलाड़ियों को लालची बना रहा है।
कुछ भारतीय सटोरियों के श्रीलंका प्रीमियर लीग में कुछ फ्रेंचाइजी के बेनामी मालिक होने की खबरों के बारे में पूछने पर रणतुंगा ने कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा, मैंने भी ऐसी खबरें पढ़ी हैं। मैं शुरू से श्रीलंका प्रीमियर लीग के भी खिलाफ था, क्योंकि मुझे अंदेशा था कि ऐसी किसी भी लीग के साथ गैर जरूरी चीजें भी क्रिकेट में आ जाएंगी। अगर ऐसा है तो इसकी जांच होनी चाहिए। रणतुंगा ने यह भी कहा कि आईपीएल में अनियमितताओं की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए और सरकार को इसमें दखल देना चाहिए।
उन्होंने कहा, भारत सरकार को चाहिए कि बीसीसीआई को अपनी छत्रछाया में ले जैसा कि श्रीलंका में है। बीसीसीआई के मौजूदा पदाधिकारियों को बर्खास्त करके नए सिरे से चयन होना चाहिए।
रणतुंगा ने कहा, मैं पहले से कहता आया हूं कि आईपीएल क्रिकेट में सट्टेबाजी, फिक्सिंग, शराबखोरी, डोपिंग जैसी कई बुराइयों को लेकर आया है। मौजूदा स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण ने ताबूत में आखिरी कील ठोकने का काम किया है और मेरा मानना है कि क्रिकेट की भलाई के लिए आईपीएल को बंद कर देना चाहिए। आईपीएल के मुखर आलोचकों में से एक रहे रणतुंगा ने हैरानी जताई कि कई महान क्रिकेटर आईपीएल के पक्ष में बोल रहे हैं।
उन्होंने कहा, मुझे दुख है कि अपने जमाने के कई महान क्रिकेटर पैसा कमाने के लिए आईपीएल का बचाव कर रहे हैं। ईरापल्ली प्रसन्ना जैसे कुछ ही क्रिकेटर हैं, जो इसके खिलाफ खुलकर सामने आए हैं। उन्होंने कहा, आईपीएल क्यों खेला जा रहा है। इससे भारतीय क्रिकेट को क्या मिला है। विश्व क्रिकेट में भारत की इतनी बदनामी कभी नहीं हुई। यह 2000 के मैच फिक्सिंग प्रकरण के बराबर का मामला है और इसका असर सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है।
रणतुंगा ने कहा, मुझे पिछले छह साल में एक भी खिलाड़ी ऐसा नहीं देखा जो भारतीय क्रिकेट को आईपीएल की देन हो। आईपीएल के चलते भारत को कभी तेंदुलकर, द्रविड़, गावस्कर या कपिल जैसे खिलाड़ी नहीं मिल सकेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि बीसीसीआई का घरेलू क्रिकेट का ढांचा इतना सक्षम है कि उससे अच्छे क्रिकेटर निकल सके और उसे आईपीएल की कोई जरूरत नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ आईपीएल छह ही नहीं बल्कि हर सत्र में भ्रष्टाचार का शक रहा है और आईसीसी की भ्रष्टाचार निरोधक ईकाई के पूर्व अध्यक्ष सर पाल कंडोन ने 2008 में आईपीएल के पहले सत्र के बाद ही इसके संकेत दिए थे।
रणतुंगा ने कहा, आईपीएल में फिक्सिंग का खुलासा अब हुआ है, लेकिन 2008 में पहले सत्र से ही शक की सुई इस लीग पर थी। सर पाल कंडोन ने इस पर एक दस्तावेज भी आईसीसी बोर्ड को दिया था। उन्होंने कहा, सर पाल कंडोन ने कहा था कि नब्बे के दशक के बाद अब आईपीएल क्रिकेट में भ्रष्टाचार के आसान जरिये के रूप में उभरा है। यदि बीसीसीआई को वाकई क्रिकेट से भ्रष्टाचार को दूर करना था तो उसी समय कार्रवाई करनी चाहिए थी। उन्होंने कहा, लेकिन भारतीय बोर्ड ने अपनी खुद की भ्रष्टाचार निरोधक ईकाई बनाई और हर आईपीएल में कोई ना कोई विवाद जुड़ा रहा। यह क्रिकेट नहीं बल्कि क्रिकेट का तमाशा है और खिलाड़ियों को लालची बना रहा है।
कुछ भारतीय सटोरियों के श्रीलंका प्रीमियर लीग में कुछ फ्रेंचाइजी के बेनामी मालिक होने की खबरों के बारे में पूछने पर रणतुंगा ने कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा, मैंने भी ऐसी खबरें पढ़ी हैं। मैं शुरू से श्रीलंका प्रीमियर लीग के भी खिलाफ था, क्योंकि मुझे अंदेशा था कि ऐसी किसी भी लीग के साथ गैर जरूरी चीजें भी क्रिकेट में आ जाएंगी। अगर ऐसा है तो इसकी जांच होनी चाहिए। रणतुंगा ने यह भी कहा कि आईपीएल में अनियमितताओं की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए और सरकार को इसमें दखल देना चाहिए।
उन्होंने कहा, भारत सरकार को चाहिए कि बीसीसीआई को अपनी छत्रछाया में ले जैसा कि श्रीलंका में है। बीसीसीआई के मौजूदा पदाधिकारियों को बर्खास्त करके नए सिरे से चयन होना चाहिए।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं