विज्ञापन
This Article is From Nov 13, 2017

फिटनेस को लेकर और सख्त हुआ BCCI, खिलाड़ियों को देना पड़ रहा है यह टेस्ट...

इस परीक्षण से खिलाड़ी को अपनी रफ्तार को बढ़ाने, मोटापा कम करने, दमखम बढ़ाने और मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद मिलती है.

फिटनेस को लेकर और सख्त हुआ BCCI, खिलाड़ियों को देना पड़ रहा है यह टेस्ट...
टीम इंडिया के खिलाड़ियों को देना पड़ रहा है DNA टेस्ट.
नई दिल्ली: भारतीय कप्तान विराट कोहली के फिटनेस को लेकर बेहद सख्त रवैये को देखते हुए भारतीय क्रिकेटरों को अब डीएनए परीक्षण से गुजरना पड़ रहा है. इससे प्रत्येक खिलाड़ी की आनुवंशिक फिटनेस स्थिति के बारे में पता चल रहा है. इस परीक्षण से खिलाड़ी को अपनी रफ्तार को बढ़ाने, मोटापा कम करने, दमखम बढ़ाने और मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद मिलती है.

यह भी पढ़ें : विराट कोहली फिटनेस को इतनी अहमियत देते हैं तो कामयाबी तो मिलेगी ही...

पता चला है कि बीसीसीआई ने टीम ट्रेनर शंकर बासु की सिफारिश पर इस परीक्षण को शुरू किया है. इससे राष्ट्रीय टीम के लिए अधिक व्यापक फिटनेस कार्यक्रम तैयार किया जा सके. डीएनए परीक्षण या आनुवंशिक फिटनेस परीक्षण से 40 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति की फिटनेस, स्वास्थ्य और पोषण से संबंधित तथ्यों के बारे में पता किया जा सकेगा. इसके बाद संपूर्ण विश्लेषण के लिए हर क्रिकेटर के डीएनए आंकड़ों को एक व्यक्ति विशेष का वजन और खानपान जैसे परिवेशी आंकड़ों के साथ मिलाया जाएगा.

यह भी पढ़ें :'यो-यो' टेस्ट पास कर रणजी खेलेंगे रविचंद्रन अश्विन

बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हां, हमने भारतीय क्रिकेट टीम के लिए पिछले कुछ समय से डीएनए परीक्षण शुरू किया है. यह फिटनेस के नए मापदंडों के अनुसार किया जा रहा है. इसे टीम प्रबंधन ने तय किया है. डीएनए परीक्षण सबसे पहले अमेरिका में एनबीए (बास्केटबॉल) और एनएफएल में शुरू किए गए.' उन्होंने कहा, 'शंकर बासु ने यह आइडिया दिया और यह काफी लाभकारी साबित हुआ है. हर खिलाड़ी के परीक्षण में बीसीसीआई को 25 से 30 हजार रुपये के बीच खर्च करना पड़ रहा है जो कि काफी कम धनराशि है.'

VIDEO : मैदान पर की बदसलूकी तो पड़ेगा महंगा


इससे पहले भारतीय टीम का शरीर में वसा के प्रतिशत का पता करने के लिए स्किनफोल्ड टेस्ट और बाद में डेक्सा टेस्ट होता था. अधिकारी ने कहा, 'स्किनफोल्ड टेस्ट मुख्य रूप से लंबे समय के लिए उपयोग किया गया था, लेकिन इसमें पाया गया कि शरीर में वसा की मात्रा को लेकर परिणाम पूरी तरह से सही नहीं हैं. इसके बाद शरीर में वसा का प्रतिशत पता करने के लिए डेक्सा टेस्ट अपनाया गया.'  

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com