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Ravichandran Ashwin: "मुझे इस बात का खासा अफसोस है...", जीत के बाद अश्विन ने कह दी बड़ी बात

Ravichandran Ashwin: अश्विन ने मैच के बाद संवाददाता सम्मेलन ने कहा,‘इस पिच पर अगर आप अच्छी गेंद भी करते हैं, तो उस पर रन बन सकते हैं. यहां की उछाल से निपटना वास्तव में चुनौतीपूर्ण था.

Ravichandran Ashwin: "मुझे इस बात का खासा अफसोस है...", जीत के बाद अश्विन ने कह दी बड़ी बात
ravichandran Ashwin: अश्विन की बात बीसीसीआई तक जरूर पहुंचेगी. कितना सुना जाएगा, यह देखने वाली होगी
चेन्नई:

Ashwin big statement:  भले ही रविचंद्रन अश्विन (Ravichandran Ashwin) अपनी उम्र के 39वें साल में चल रहे हों, लेकिन बांग्लादेश के खिलाफ (Ind vs Ban 1st Test) चेन्नई में शनिवार को खत्म हुए पहले टेस्ट इस महान ऑफ स्पिनर-कम-बल्लेबाज ने दिखाया कि वह भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट और खासकर भारतीय जमीं पर कितने ज्यादा अहम हैं.अश्विन ने बांग्लादेश के खिलाफ पहले टेस्ट के दौरान बल्लेबाजों पर अपना पूरा दबदबा बनाए रखा और छह विकेट लिए और भारत के इस स्टार ऑफ़ स्पिनर ने कहा कि उन्होंने उछाल के कारण तेज गेंदबाजों के लिए अनुकूल माने जाने वाली लाल मिट्टी से बनी इस पिच में गेंदबाजी करने का पूरा आनंद लिया. अश्विन ने 88 रन देकर छह विकेट लिए और भारत को बांग्लादेश के खिलाफ पहले टेस्ट क्रिकेट मैच में 280 रन से बड़ी जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई. अश्विन अब 101 टेस्ट में 522 विकेट ले चुके हैं.

"उछाल से निपटना चुनौतीपूर्ण था"

अश्विन ने मैच के बाद संवाददाता सम्मेलन ने कहा,‘इस पिच पर अगर आप अच्छी गेंद भी करते हैं, तो उस पर रन बन सकते हैं. यहां की उछाल से निपटना वास्तव में चुनौतीपूर्ण था. लाल मिट्टी से बनी पिच की खूबसूरती है कि यह कुछ अलग तरीके से व्यवहार करती है और इसमें उछाल होती है.' चेन्नई के रहने वाले इस क्रिकेटर ने तो यहां तक कहा कि उन्हें काली मिट्टी के बजाय लाल मिट्टी से बनी पिच पर खेलना पसंद है. उन्होंने कहा,‘आप देश भर में कुछ जगहों पर काली मिट्टी से बनी पिच पर खेलते हो. मैं किसी स्थान का नाम नहीं लूंगा लेकिन इस तरह की पिच पर आपको कड़ी मेहनत करनी होती है और आखिर में कुछ हासिल भी नहीं होता है.'

"भारत की पिचों की अपनी प्रकृति है"

अश्विन ने इस बात पर भी अफसोस जताया कि पिछले कुछ वर्षों में देश भर में काली मिट्टी की पिचों को प्राथमिकता दी जा रही है. उन्होंने कहा,‘साल के विभिन्न समय में पिच अलग-अलग तरह का व्यवहार करती हैं. हमने पिछले कुछ वर्षों में लाल मिट्टी की काफी पिच खो दी हैं जिन्हें भारत में टेस्ट क्रिकेट में खेलने के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता था.' सक्रिय क्रिकेट के दिनों में ही महान क्रिकेटर का दर्जा पा चुके ऑफ स्पिनर बोले, ‘देश में कुछ अवसरों पर लोग भारत को समग्र रूप से समझने में गलती कर जाते हैं. मेरा वास्तव में मानना है कि भारत की पिचों की अपनी तरह की अलग प्रकृति होती है. कुछ अवसरों पर जवाब ईडन गार्डंस में खेलने के लिए जाते हैं, तो आपको घरेलू मैदान पर खेलने जैसा नहीं लगता है. इसके बाद आप धर्मशाला जाते हैं और यहां भी अचानक आपको लगता है कि जैसे आप घरेलू मैदान पर नहीं खेल रहे हैं.'

उन्होंने कहा,‘कई बार लोग इसका सही आकलन नहीं कर पाते हैं क्योंकि मिट्टी की प्रकृति भिन्न होती है और मौसम भी भिन्न होता है. यह ऑस्ट्रेलिया के जैसा नहीं है जहां प्रत्येक ‘बॉक्सिंग डे' मैच मेलबर्न में खेला जाता है. हम ऐसा नहीं करते हैं. यहां पोंगल पर होने वाला टेस्ट मैच हमेशा चेन्नई में नहीं खेला जाता है.'


 

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