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This Article is From Oct 14, 2016

वर्ल्‍डकप2011 : फाइनल के धोनी के छक्‍के की तो खूब चर्चा, लेकिन इस खिलाड़ी की मैच जिताऊ पारी हुई नजरअंदाज

वर्ल्‍डकप2011 : फाइनल के धोनी के छक्‍के की तो खूब चर्चा, लेकिन इस खिलाड़ी की मैच जिताऊ पारी हुई नजरअंदाज
वर्ल्‍डकप के फाइनल में गौतम गंभीर ने 97 रन की बेहतरीन पारी खेली थी
क्रिकेट वर्ल्‍डकप-2011 में टीम इंडिया की जीत खेलों के लिहाज से इस सदी की देश की यादगार घटनाओं में से एक है. इस वर्ल्‍डकप को जीतकर टीम इंडिया ने वर्ष 1983 में कपिल देव के नेतृत्‍व में मिली यादगार वर्ल्‍डकप जीत की कामयाबी को दोहराया था.

श्रीलंका के खिलाफ इस वर्ल्‍डकप फाइनल की याद आते ही टीम इंडिया के कप्‍तान महेंद्र सिंह धोनी के छक्‍के की याद ताजा होती है. माही ने श्रीलंका गेंदबाज नुवान कुलसेकरा की गेंद पर यह छक्‍का जड़कर जैसे ही टीम इंडिया को जीत दिलाई, यह क्रिकेटप्रेमियों की याद में बसकर रह गया. महेंद्र सिंह धोनी पर केंद्रित फिल्‍म 'एमएस धोनी : द अनटोल्‍ड स्‍टोरी' ने इस छक्‍के की 'गूंज' को और बढ़ाने का काम किया.(बर्थडे विशेष : गौतम गंभीर के नाम है खास उपलब्धि, जिसे सचिन, गावस्कर भी नहीं हासिल कर पाए)

फिल्‍म के ट्रेलर में धोनी का किरदार निभाने वाले सुशांत सिंह राजपूत को यह छक्‍का लगाते हुए दिखाया गया, लेकिन  इस छक्‍के की 'धूम' में टीम इंडिया के एक बल्‍लेबाज की मैच जिताऊ पारी मानो दबकर रह गई. मैच में टीम इंडिया की जीत में गौतम गंभीर की 97 रन की पारी का भी महत्‍वपूर्ण योगदान था लेकिन भारत को चैंपियन बनाने में गंभीर की इस पारी को वह श्रेय नहीं मिला, जिसकी यह हकदार थी. (14 अक्‍टूबर को जन्‍मे गौतम गंभीर ने शुक्रवार को ही 35 वर्ष पूरे किए हैं)

श्रीलंका के बनाए गए 274 के स्‍कोर के जवाब में टीम इंडिया के चेज पर नजर डालने पर गंभीर की इस यादगार पारी का महत्‍व समझा जा सकता है. श्रीलंका के स्‍कोर का पीछा करते हुए टीम इंडिया ने पारी की दूसरी ही गेंद पर विस्‍फोटक बल्‍लेबाज वीरेंद्र सहवाग को गंवा दिया. टीम के खाते में एक भी रन नहीं था और पहला विकेट आउट हो चुका था. पहले क्रम पर बैटिंग के लिए आए गंभीर अभी ठीक से सेट हो भी नहीं पाए थे कि दूसरे ओपनर सचिन तेंदुलकर (18रन) भी लसित मलिंगा के शिकार बन गए. 31 के कुल स्‍कोर पर सहवाग और सचिन के आउट होते ही वानखेड़े स्‍टेडियम में सन्‍नाटा था. वर्ल्‍डकप जीतने की उम्‍मीदें धराशायी सी नजर आ रही थीं. श्रीलंकाई गेंदबाज पूरे जोश में थे. ऐसी स्थिति में गौतम गंभीर ने दिल्‍ली के अपने साथी बल्‍लेबाज विराट कोहली के साथ स्थिति संभाली. इन दोनों ने तीसरे विकेट के लिए 83 रन की साझेदारी की.

इस साझेदारी से टीम इंडिया कुछ बेहतर स्थिति में नजर आ ही रही थी कि विराट आउट हो गए. इसके बाद गौतम गंभीर ने धोनी के साथ विकेट की पतझड़ को रोका और ढीली गेंदों पर आक्रामक रुख अख्तियार करते हुए स्‍कोर को भी बढ़ाना जारी रखा. गौतम-धोनी की जोड़ी ने 109 रन जोड़कर भारत को विजय की राह पर बढ़ाया. धोनी ने यदि स्‍कोर को तेजी से बढ़ाने का काम किया तो गंभीर ने एक छोर को 'सील' करते हुए विपक्षी गेंदबाजों को लंबे समय तक कामयाबी से वंचित रखा. गंभीर दुर्भाग्‍यशाली रहे कि शतक पूरा नहीं कर पाए. वे 97 रन (122 गेंद, नौ चौके, स्‍ट्राइक रेट 79.51 ) के निजी स्‍कोर  पर टी. परेरा के शिकार बन गए.

फाइनल में भारत की जीत की राह पर बढ़ाने के लिहाज से गौतम गंभीर की इस पारी का योगदान भी धोनी के 91 रन (79 रन, आठ चौके व दो छक्‍के) से कम नहीं था.  सहवाग, सचिन के आउट होने के बाद यदि टीम इंडिया के आगे के एक-दो विकेट जल्‍दी गिर जाते तो फाइनल जीत की राह बेहद मुश्किल हो सकती थी. लेकिन गंभीर ने इस मुश्किल क्षणों में धैर्य का परिचय दिया और पहले विराट और फिर धोनी के साथ साझेदारी कर टीम की जीत के करीब पहुंचाया. इसके बाद धोनी के नाबाद 91 रनों और छक्‍के के साथ दिलाई गई जीत ने क्रिकेटप्रेमियों के दिमाग में ऐसी छाप छोड़ी कि फाइनल भारतीय कप्‍तान के करिश्‍मे के लिए ही सबसे ज्‍यादा याद किया जाता है...

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