नई दिल्ली:
देश की सर्वोच्च न्यायालय ने एक बार फिर बीसीसीआई पर करारा प्रहार करते हुए कहा है कि बीसीसीआई में सबकुछ ठीक नहीं है। कोर्ट ने कहा कि बीसीसीआई के काम में कुछ गंभीर खामी है।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के नवनियुक्त अध्यक्ष एन श्रीनिवासन फिलहाल अपना पद ग्रहण नहीं कर सकते क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को उन पर इस सम्बंध में लगाई गई रोक खत्म करने से इंकार कर दिया।
बीसीसीआई की ओर से श्रीनिवासन का पक्ष रखते हुए सीनियर वकील सीए सुंदरम ने मांग की कि श्रीनिवासन को अध्यक्ष के तौर पर कुछ जिम्मेदारियां निभाने की मोहलत दी जाए लेकिन न्यायालय ने इसे स्वीकार नहीं किया।
न्यायाधीश एके पाठक की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने बीसीसीआई से एक प्रस्ताव मांगा है, जिसमें इस बात का उल्लेख हो कि श्रीनिवासन खेल संघ के संविधान के तहत अपना काम सम्भाल सकते हैं लेकिन वह सट्टेबाजी और स्पॉट फिक्सिंग मामलों में आरोपी अपने दामाद गुरुनाथ मयप्पन के खिलाफ जारी जांच को किसी प्रकार से प्रभावित नहीं करेंगे।
सर्वोच्च न्यायालय, बिहार क्रिकेट संघ (सीएबी) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है। सीएबी को बीसीसीआई से मान्यता नहीं मिली है। सीएबी सचिव आदित्य वर्मा ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर करते हुए श्रीनिवासन को बोर्ड के सर्वोच्च पद के लिए चुनाव लड़ने से रोकने की गुजारिश की थी।
संघ की दलील है कि ऐसे में जबकि श्रीनिवासन के दामाद मयप्पन स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी से जुड़े मामलों को लेकर जांच के घेरे में हैं, श्रीनिवासन को इस पद पर आसीन होने का कोई अधिकार नहीं। वर्मा की दलील है कि श्रीनिवासन जांच को प्रभावित कर सकते हैं।
न्यायालय ने श्रीनिवासन को अधय्क्ष पद का चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी थी लेकिन उसने निर्देश दिया था कि सीएबी से जुड़ी याचिका पर सुनवाई पूरी होने तक वह पद ग्रहण नहीं कर सकते। श्रीनिवासन को रविवार को आयोजित वार्षिक आम बैठक में निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया।
इस मामले में अब अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को होगी।
(इनपुट आईएएनएस से भी)
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के नवनियुक्त अध्यक्ष एन श्रीनिवासन फिलहाल अपना पद ग्रहण नहीं कर सकते क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को उन पर इस सम्बंध में लगाई गई रोक खत्म करने से इंकार कर दिया।
बीसीसीआई की ओर से श्रीनिवासन का पक्ष रखते हुए सीनियर वकील सीए सुंदरम ने मांग की कि श्रीनिवासन को अध्यक्ष के तौर पर कुछ जिम्मेदारियां निभाने की मोहलत दी जाए लेकिन न्यायालय ने इसे स्वीकार नहीं किया।
न्यायाधीश एके पाठक की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने बीसीसीआई से एक प्रस्ताव मांगा है, जिसमें इस बात का उल्लेख हो कि श्रीनिवासन खेल संघ के संविधान के तहत अपना काम सम्भाल सकते हैं लेकिन वह सट्टेबाजी और स्पॉट फिक्सिंग मामलों में आरोपी अपने दामाद गुरुनाथ मयप्पन के खिलाफ जारी जांच को किसी प्रकार से प्रभावित नहीं करेंगे।
सर्वोच्च न्यायालय, बिहार क्रिकेट संघ (सीएबी) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है। सीएबी को बीसीसीआई से मान्यता नहीं मिली है। सीएबी सचिव आदित्य वर्मा ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर करते हुए श्रीनिवासन को बोर्ड के सर्वोच्च पद के लिए चुनाव लड़ने से रोकने की गुजारिश की थी।
संघ की दलील है कि ऐसे में जबकि श्रीनिवासन के दामाद मयप्पन स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी से जुड़े मामलों को लेकर जांच के घेरे में हैं, श्रीनिवासन को इस पद पर आसीन होने का कोई अधिकार नहीं। वर्मा की दलील है कि श्रीनिवासन जांच को प्रभावित कर सकते हैं।
न्यायालय ने श्रीनिवासन को अधय्क्ष पद का चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी थी लेकिन उसने निर्देश दिया था कि सीएबी से जुड़ी याचिका पर सुनवाई पूरी होने तक वह पद ग्रहण नहीं कर सकते। श्रीनिवासन को रविवार को आयोजित वार्षिक आम बैठक में निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया।
इस मामले में अब अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को होगी।
(इनपुट आईएएनएस से भी)
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