आर अश्विन (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
टीम इंडिया ने विदेशी धरती पर 9 साल से अजेय दक्षिण अफ्रीका को चारों खाने चित कर दिया। उसने 4 टेस्ट मैचों की सीरीज का आखिरी मैच जीतकर 3-0 से करारी मात दी। पूरी सीरीज की तरह ही दिल्ली टेस्ट में भी हमारे खिलाड़ी गेम के हर क्षेत्र में उनसे आगे रहे। जहां विराट को उनकी कप्तानी में पहली होम सीरीज जीत मिली, वहीं भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 11 साल बाद हराने में सफलता हासिल की। ऐसे में यह जीत और खास हो जाती है।
हम आपको दिल्ली टेस्ट और पूरी सीरीज में टीम इंडिया के प्रदर्शन का विश्लेषण करते हुए जीत के 5 कारण बता रहे हैं :
अश्विन को कभी नहीं भूलेंगे दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज
रहाणे की बल्लेबाजी
रवींद्र जडेजा की दमदार वापसी
टीम वर्क
स्पिन फ्रेंडली विकेट
हम आपको दिल्ली टेस्ट और पूरी सीरीज में टीम इंडिया के प्रदर्शन का विश्लेषण करते हुए जीत के 5 कारण बता रहे हैं :
अश्विन को कभी नहीं भूलेंगे दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज
- दिल्ली टेस्ट: अश्विन ने दिल्ली टेस्ट की पहली पारी में मात्र 2 विकेट लिए, वहीं उन्हें दूसरी पारी में 5 विकेट लिए। इस प्रकार उन्होंने करियर में 16वीं बार एक पारी में 5 विकेट हासिल कर लिए। पहली पारी में उन्हें कम विकेट मिले लेकिन उन्होंने इसकी कमी को 56 रन की शानदार पारी खेलकर पूरा कर दिया। अजिंक्य रहाणे के साथ उनकी 98 रनों का साझेदारी ने पहली पारी में टीम इंडिया का स्कोर 334 तक ले जाने में अहम भूमिका निभाई।
- सीरीज: यदि यूं कहा जाए कि पूरी सीरीज अश्विन के नाम रही, तो गलत नहीं होगा। उन्होंने पूरी सीरीज में 31 विकेट लिए। इसके साथ ही सीरीज में उन्होंने एक साल में एक पारी में सबसे अधिक बार 5 या अधिक विकेट लेने के अनिल कुंबले और हरभजन सिंह के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया। उन्होंने इस साल 7 बार पांच विकेट लिए। उनकी गेंदों पर दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज नाचते नजर आए।
रहाणे की बल्लेबाजी
- दिल्ली टेस्ट: इस मैच में अजिंक्य रहाणे ने दोनों पारियों में शतक लगाकर खुद को एलीट क्लब में शामिल कर लिया। रहाणे ऐसे 5वें भारतीय बल्लेबाज हैं, जिन्होंने किसी टेस्ट की दोनों पारियों में शतक लगाया है। रहाणे की शतकीय पारियों और कोहली-अश्विन के साथ की गई साझेदारी से टीम इंडिया बड़ा स्कोर खड़ा कर पाई।
- सीरीज: इस सीरीज के पहले 2 मैचों में रहाणे का बल्ला नहीं चला था और उनका उच्च स्कोर 15 था, जबकि एक मैच में उन्हें बैटिंग का मौका ही नहीं मिला। हालांकि फील्डिंग में उन्होंने अच्छा योगदान दिया, क्योंकि टर्न लेती गेंदों पर स्लिप या उसके आसपास कैच पकड़ना भी महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने मोहली टेस्ट में 4 कैच पकड़े, नागपुर में 2 और दिल्ली में 3 कैच लिए। पूरी सीरीज में उन्होंने 10 कैच लिए।
रवींद्र जडेजा की दमदार वापसी
- दिल्ली टेस्ट: कोटला की पिच पर पहली पारी में अश्विन ने नहीं बल्कि जडेजा ने अपनी बाएं हाथ की घातक गेंदबाजी से विरोधी बल्लेबाजों को खूब नचाया। उन्होंने पहली पारी में 5 विकेट लिए, जबकि दूसरी पारी में 2 विकेट झटके। हालांकि मोहाली और नागपुर की तरह वे इस बार ज्यादा रन नहीं बना पाए, लेकिन गेंदबाजी जबर्दस्त की।
- सीरीज: पूरी सीरीज में जडेजा ने 14 माह बाद टीम इंडिया में अपनी वापसी का भरपूर जश्न मनाया। उन्होंने 4 मैचों में 23 विकेट झटके। जडेजा ने न केवल गेंदबाजी अच्छी की, बल्कि बैटिंग में भी हाथ दिखाए और महत्वपूर्ण मौकों पर अच्छी साझेदारी की। उन्होंने मोहाली की पहली पारी (38 रन) और नागपुर टेस्ट की पहली पारी (34 रन) में अच्छा योगदान दिया, क्योंकि इन दोनों मैचों में टीम इंडिया बड़े मुश्किल से 200 रन का आंकड़ा पार कर पाई थी। यानी कम स्कोर वाले गेम के हिसाब से उनके रन बहुमूल्य रहे।
टीम वर्क
- दिल्ली टेस्ट: कोटला की पिच स्पिनरों के साथ-साथ तेज गेंदबाजों को भी मदद मिल रही थी। ऐसे में उमेश यादव ने मौके का फायदा उठाया और टीम इंडिया को पहली पारी में शुरुआती सफलता दिलाई। यादव ने दो जबकि ईशांत ने एक विकेट लिया। यादव ने दूसरी पारी में तीन विकेट लिए। जडेजा, अश्विन का तेज गेंदबाजों ने भी भरपूर साथ दिया। जबकि बल्लेबाजी में विजय, पुजारा के नहीं चलने पर रहाणे, विराट ने रन बनाए।
- सीरीज: सीरीज के पहले 3 मैचों में दोनों ही टीम के बल्लेबाज खुलकर नहीं खेल सके। टीम इंडिया की ओर से पहले 2 मैचों में जहां चेतेश्वर पुजारा, मुरली विजय और जडेजा ने बल्ले से अच्छा प्रदर्शन किया, वहीं दिल्ली टेस्ट में अजिंक्य रहाणे और विराट कोहली ने पारी संभाली। इस प्रकार यदि देखें तो मौका आने पर टीम के हर खिलाड़ी ने अपनी भूमिका निभाई, जिससे टीम इंडिया दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ क्लीन स्वीप कर सकी।
स्पिन फ्रेंडली विकेट
- दिल्ली टेस्ट: फिरोजशाह कोटला की पिच मिलीजुली रही। यानी इसमें तेज और स्पिन दोनों को मदद मिली। इसके साथ ही रन भी बने। फिर भी यह पिच काफी हद तक स्पिनरों के ज्यादा अनुकूल रही। तभी तो जडेजा-अश्विन छाए रहे। दोनों ने मिलकर इस मैच में 14 विकेट लिए।
- सीरीज: टीम इंडिया की जीत में स्पिन फ्रेंडली विकट ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सीरीज में 91 विकेट स्पिनर्स के नाम रहे। यदि आप रिकॉर्ड पर नजर डालेंगे, तो पाएंगे दक्षिण अफ्रीका की ओर से मॉर्ने मॉर्कल ने पूरी सीरीज में अच्छी गेंदबाजी की है। उन्होंने 3 मैचों में 9 विकेट लिए। ऐसे में यदि विकेट स्पिन नहीं होते, तो वे खतरनाक साबित हो सकते थे। हमें स्पिन विकेट पर दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों की खराब तकनीक का भरपूर लाभ मिला।
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